‘BRICS’ सम्मेलन में गुटेरेस का आह्वान: जलवायु और स्वास्थ्य संकट से निपटने को सहयोग बढ़ाएं

एंटोनियो गुटेरेस ने BRICS सम्मेलन में जलवायु संकट, स्वास्थ्य आपात स्थिति, और AI के न्यायपूर्ण उपयोग पर ज़ोर देते हुए वैश्विक सहयोग और संस्थागत सुधारों की मांग की। उन्होंने प्लास्टिक प्रदूषण, जैवविविधता और ऊर्जा रूपांतरण को प्राथमिकता देने का आह्वान किया।;

By :  Hastakshep
Update: 2025-07-08 04:56 GMT

Antonio Guterres' call at the 'BRICS' conference: Increase cooperation to tackle climate and health crisis

मानवजनित संकटों पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की चिंता

  • जलवायु परिवर्तन से सतत विकास लक्ष्यों को झटका
  • BRICS देशों से प्लास्टिक संधि और नई जलवायु योजनाओं की मांग
  • AI को सबके लिए सुलभ और सुरक्षित बनाने की अपील
  • ग़ाज़ा, यूक्रेन और सूडान में शान्ति स्थापना की पुकार
  • वैश्विक संस्थाओं में सुधार की ज़रूरत पर ज़ोर

विकासशील देशों की भागीदारी को मज़बूत बनाने की वकालत

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने BRICS सम्मेलन में जलवायु संकट, स्वास्थ्य आपात स्थिति, और AI के न्यायपूर्ण उपयोग पर ज़ोर देते हुए वैश्विक सहयोग और संस्थागत सुधारों की मांग की। उन्होंने प्लास्टिक प्रदूषण, जैवविविधता और ऊर्जा रूपांतरण को प्राथमिकता देने का आह्वान किया। पढ़िए संयुक्त राष्ट्र समाचार की खबर

'BRICS' सम्मेलन: आपसी सहयोग के ज़रिए जलवायु व स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने का आग्रह

8 जुलाई 2025 एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सोमवार को आगाह किया है कि पर्यावरण पर हर मोर्चे से प्रहार हो रहे हैं, प्रदूषण की वजह से भूमि व जल में विष घुल रहा है, जैवविविधता को गहरी चोट पहुँच रही है और जलवायु संकट बढ़ता जा रहा है. इसके मद्देनज़र, उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से जलवायु व स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर तुरन्त कार्रवाई का आहवान किया है.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने ब्राज़ील के रियो डी जनेरियो शहर में आयोजित, ‘ब्रिक्स’ देशों के समूह के 17वें सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए यह बात कही.

ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन (BRIC) ने 2006 में इस समूह की स्थापना की थी, जिसके बाद दक्षिण अफ़्रीका 2011 में इसका हिस्सा बना. उसके बाद से मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात भी इसमें शामिल हो चुके हैं.

ये देश मिलकर 50 फ़ीसदी से अधिक विश्व आबादी और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के एक-तिहाई का प्रतिनिधित्व करते हैं.

यूएन प्रमुख ने इस बैठक के दौरान मानव गतिविधियों के कारण हो रही पर्यावरणीय तबाही और जलवायु परिवर्तन के विषय पर आयोजित एक सत्र को सम्बोधित किया.

उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे पर्यावरणीय आपदाएँ बढ़ रही हैं, टिकाऊ विकास लक्ष्य भी पीछे छूटते जा रहे हैं.

“विश्व भर में, जीवन व आजीविकाएँ छिन्न-भिन्न हो रही हैं, और तेज़ी से घट रही आपदाओं के कारण सतत विकास की दिशा में हुई प्रगति दरक चुकी है.”

“मानव स्वास्थ्य पर इसका असर क्षोभजनक है...सम्वेदनशील स्थिति में जी रहे लोग और निर्धन वर्ग इसकी सबसे बड़ी क़ीमत चुकाते हैं.”

उन्होंने देशों की सरकारों से आग्रह किया कि पिछले वर्ष जैवविविधता सम्मेलन में हुई प्रगति की नींव पर आगे बढ़ना होगा. प्लास्टिक प्रदूषण पर क़ानूनी रूप से बाध्यकारी सन्धि को आकार देना होगा और यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन, कॉप30 को सफल बनाना होगा.

इसके लिए यह अहम है कि सितम्बर तक नई राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं को प्रस्तुत किया जाए, जिनमें कार्बन उत्सर्जन पर लगाम कसने के उपाय हों.

इन प्रयासों को 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि के लक्ष्य के अनुरूप बनाना होगा. साथ ही, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाने के प्रयासों में गति लानी होगी.

एआई में सबकी भलाई

इससे पहले, यूएन प्रमुख ने रविवार को बहुपक्षवाद, आर्थिक-वित्तीय मामलों और कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) पर केन्द्रित एक सत्र को सम्बोधित किया, जहाँ उन्होंने इस अहम टैक्नॉलॉजी से होने वाले लाभ को सँवारने और नुक़सान को कम करने की अपील की.

उन्होंने कहा कि एआई से समाज व अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदल रही है और अब बुद्धिमता से यह तय करना है कि हम इस रूपान्तरकारी बदलाव को किस तरह से आगे बढ़ाएँगे. किस तरह से जोखिमों को कम करेंगे और इसकी सम्भावनाओं को सँवारेंगे.

महासचिव ने कहा कि यह ज़रूरी है कि एआई को चुनिन्दा का क्लब न बनने दिया जाए, बल्कि इसके फ़ायदों को हर किसी तक पहुँचाना होगा और विकासशील देशों की वास्तविक आवाज़ को एआई संचालन व्यवस्था में शामिल किया जाना होगा.

यूएन प्रमुख के अनुसार, मानवाधिकारों और समता के दिशानिर्देशक सिद्धान्तों के अनुरूप, एआई के लिए अन्तरराष्ट्रीय संचालन व्यवस्था तंत्र को आकार दिया जाना होगा.

रचनात्मक सहयोग पर बल

यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ज़ोर देकर कहा कि ग़ाज़ा, यूक्रेन, सूडान और म्याँमार में जारी हिंसक टकरावों पर विराम लगाने और शान्ति स्थापित किए जाने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद और अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय तंत्रों को एक ऐसे दौर में खड़ा किया गया था, जोकि अब बीत चुका है, और उस समय के सत्ता समीकरण भी अब पूरी तरह बदल चुके हैं, जिसे ध्यान में रखते हुए वैश्विक संस्थाओं में तुरन्त सुधार लागू किए जाने की आवश्यकता है.

यूएन प्रमुख ने वैश्विक शासन व्यवस्था में विकासशील देशों को आवाज़ को शामिल किए जाने, ऋण देने की व्यवस्था में कारगर बदलाव लाने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि बहुपक्षीय बैंकों द्वारा दिए जाने वाले क़र्ज़ की राशि को तीन गुना किया जाना होगा और रियायती दरों पर, स्थानीय मुद्रा की शर्त पर यह सुनिश्चित करना होगा.

उन्होंने कहा कि एक ऐसे समय में जब बहुपक्षवाद को कमज़ोर किया जा रहा है, हमें दुनिया को यह ध्यान दिलाने की आवश्यकता है कि पारस्परिक सहयोग ही मानवता का सबसे बड़ा नवाचार है.

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