ग़ाज़ा में तैनात नए बल (ISF) के बारे में अहम जानकारी
ग़ाज़ा में अन्तरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (ISF) की तैनाती को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मंज़ूरी मिल गई है। अमेरिकी 20-सूत्री योजना पर आधारित इस प्रस्ताव में सुरक्षा, मानवीय सहायता, हथियार नियंत्रण और फ़िलस्तीनी शासन सुधारों की विस्तृत रूपरेखा शामिल है।;
ग़ाज़ा की ज़रूरी ख़बर
ग़ाज़ा में ISF की तैनाती : सुरक्षा, स्थिरता और पुनर्निर्माण की नई दिशा
- ग़ाज़ा में युद्धविराम के बीच ISF की तैनाती का मार्ग साफ
- अमेरिकी 20-सूत्री शान्ति योजना की बुनियाद पर प्रस्ताव तैयार
- ISF का क्या है दायरा—सुरक्षा, मानवीय सहायता और हथियार निष्क्रियकरण
- शान्ति बोर्ड : ट्रम्प की अध्यक्षता में संक्रमणकालीन तंत्र
- फ़िलस्तीनियों के आत्म-निर्णय और नए ढाँचे की दिशा
- अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा मिशन (ISF) को मिली वैधता अहम क्यों है
नाज़ुक युद्धविराम के बीच होनी है UNSC की एकजुटता की परीक्षा
नई दिल्ली, 18 नवंबर 2025. दो वर्षों के हिंसक संघर्ष से जूझ रही ग़ाज़ा पट्टी अब युद्धविराम की नाज़ुक लकीर पर टिके हुए एक नए मोड़ पर पहुंच चुकी है। अमेरिका द्वारा तैयार उस प्रस्ताव , जो अन्तरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (ISF) की तैनाती का रास्ता खोलता है, को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मंज़ूरी दे दी है। यह वही रूपरेखा है जो अमेरिकी 20-सूत्री शान्ति योजना पर आधारित है—एक ऐसी योजना जिसने ही इज़राइल और हमास को युद्धविराम पर सहमत करने की नींव रखी थी।
ISF को दो वर्ष की अवधि के लिए अधिकृत किया गया है। इसका दायित्व सीमाओं की सुरक्षा से लेकर नागरिकों की रक्षा, मानवीय सहायता मार्गों को सुरक्षित करना तथा फ़लस्तीनी पुलिस बल को पुनर्गठित करना और उग्रवादी गुटों के हथियार निष्क्रिय करना तक फैला है। इसमें सुरक्षा नियंत्रण स्थापित होने के बाद इज़राइली सैन्य बलों की वापसी का भी प्रावधान है।
प्रस्ताव में एक एक संक्रमणकालीन तंत्र “शान्ति बोर्ड” —जिसकी अगुवाई अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प करेंगे, के गठन का सुझाव है। यह बोर्ड सुरक्षा, मानवीय सहायता और पुनर्निर्माण के बीच समन्वय सुनिश्चित करेगा और फ़लस्तीनी प्राधिकरण के तहत प्रशासनिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त करेगा। यही संरचना आगे चलकर फ़लस्तीनियों के आत्म-निर्णय और उनके स्वतंत्र राष्ट्र की दिशा में प्रगति से जुड़ी हुई है।
इस प्रस्ताव का पारित होना इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा कहा है क्योंकि यह बहुराष्ट्रीय सुरक्षा मिशन के लिए वैधानिक आधार बनाता है—एक ऐसा आधार जिसकी अनुपस्थिति में दानदाता देशों और सैन्य योगदानकर्ताओं के सामने बाधाएँ थीं। UNSC शान्तिरक्षा मिशन का विकल्प तो नहीं चुना गया है, लेकिन यह नई संरचना संघर्ष से स्थिरता और पुनर्निर्माण की ओर बढ़ने का संकेत देती है।
ग़ाज़ा में पहले ही मानवीय स्थिति बेहद गंभीर है। ऐसे में यह प्रस्ताव न केवल युद्धविराम को लागू करने बल्कि उसे स्थायी समाधान में बदलने की एक वैश्विक परीक्षा भी बन गया है। अमेरिका ने स्पष्ट किया था—यदि परिषद ने कदम नहीं उठाया, तो हिंसा दोबारा भड़क सकती थी। अब सारी निगाहें इस बात पर हैं कि क्या ISF की तैनाती ग़ाज़ा को स्थिर भविष्य दे पाएगी। इस संबंध में पढ़िए संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह ख़बर...
ग़ाज़ा में नए बल (ISF) की तैनाती के बारे में कुछ अहम जानकारी
17 नवंबर 2025 शान्ति और सुरक्षा
पिछले दो वर्ष से भीषण युद्ध से जूझ रहे ग़ाज़ा पट्टी में फ़िलहाल नाज़ुक स्थिति में युद्धविराम लागू है. अब वहाँ अन्तरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (ISF) की तैनाती के लिए अमेरिका द्वारा तैयार किए गए एक प्रस्ताव को सुरक्षा परिषद में पारित कर दिया गया है जिससे इस बल के गठन का रास्ता खुल गया है.
इस प्रस्ताव को संयुक्त राज्य अमेरिका की 20-सूत्री शान्ति योजना की बुनियाद पर तैयार किया गया है, जोकि ग़ाज़ा में सुरक्षा क़ायम करने, मानवीय सहायता मार्ग मुहैया कराने और पुनर्निर्माण प्रक्रिया को शुरू करने पर लक्षित थी.
इस योजना की घोषणा के बाद ही, इसराइल और हमास के बीच, पिछले दो वर्षों से जारी हिंसक युद्ध का अन्त करने के लिए युद्धविराम समझौते पर सहमति हुई थी.
अमेरिकी प्रस्ताव में क्या है
इस मसौदे में दो वर्ष के शासनादेश के साथ, एक अन्तरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (ISF) की स्थापना की बात कही गई है, जिसके लिए इसराइल व मिस्र के साथ मिलकर प्रयास किए जाएंगे.
इस बल, ISF का दायित्व ग़ाज़ा में सीमाओं को सुरक्षित बनाना, आम नागरिकों की रक्षा करना, मानवीय सहायता प्रयासों को समर्थन देना, फ़लस्तीनी पुलिस बल के नए सिरे से गठन, उनकी ट्रेनिंग व तैनाती में मदद करना, और हमास व अन्य चरमपंथी गुटों के हथियारों को स्थाई तौर पर हटाना है.
मसौदे के अनुसार, स्थिरीकरण बल द्वारा ग़ाज़ा में सुरक्षा व अभियान संचालन सम्बन्धी नियंत्रण के बाद, इसराइली सैन्य बलों की वापसी हो जाएगी.
शान्ति बोर्ड (Board of Peace) नामक एक संक्रमणकालीन तंत्र का भी सुझाव दिया गया है, जिसकी अध्यक्षता अमेरिकी राष्ट्र डॉनल्ड ट्रम्प द्वारा की जाएगी. 8 अक्टूबर को जिस शान्ति योजना के आधार पर युद्धविराम पर सहमति हुई थी, उसमें इसका उल्लेख था.
यह बोर्ड सुरक्षा, मानवतावादी और पुनर्निर्माण योजना में समन्वय सुनिश्चित करने पर केन्द्रित होगा. यह फ़लस्तीनी प्राधिकरण और शासन व्यवस्था तंत्र में सुधार का मार्ग भी प्रशस्त करेगा.
इस प्रस्ताव में फ़लस्तीनियों के लिए आत्म-निर्णय और स्वतंत्र देश को साकार करने की दिशा में बढ़ने का मार्ग पेश किया गया है, जोकि जवाबदेह तंत्र व पुनर्निर्माण में प्रगति से जुड़ा है.
यह क्यों अहम है
अब इस प्रस्ताव के पारित होने से, बहुराष्ट्रीय सुरक्षा मिशन के लिए, एक अन्तरराष्ट्रीय विधि प्राधिकरण को स्वीकृति मिल मिल गई है. सैन्य टुकड़ियों का योगदान देने वाले देशों और दानदाताओं के लिए यह अहम है.
संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षा मिशन पर विचार नहीं किया गया है.
इसके साथ ही, यह एक संकेत होगा कि अब ग़ाज़ा में सक्रिय हिंसक टकराव से स्थिरता व पुनर्निर्माण की ओर क़दम बढ़ाए जा रहे हैं, और सुरक्षा गारंटी के साथ शासन तंत्र व सेवाओं में सुधार लागू किए जाएंगे.
यह मुद्दा, ग़ाज़ा में हिंसक टकराव के पश्चात फ़्रेमवर्क पर सुरक्षा परिषद के सदस्यों के बीच सहमति बनाने की योग्यता की भी एक परीक्षा है. एक ऐसे समय में जब वहाँ विशाल स्तर पर मानवीय सहायता आवश्यकताएँ उपजी हैं और क्षेत्रीय तनाव चरम पर है.
अमेरिका ने कथित तौर पर चेतावनी दी थी कि यदि सुरक्षा परिषद ने क़दम नहीं उठाया तो फिर लड़ाई नए सिरे से भड़कने और नाज़ुक युद्धविराम के दरक जाने का ख़तरा है.