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आज की 10 बड़ी खबरें: नीतीश कुमार का इस्तीफा, सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसले, चुनाव आयोग पर विवाद और अंतरराष्ट्रीय हलचल

नीतीश कुमार ने दिया इस्तीफा, राज्यपाल को नई सरकार बनाने का पेश किया दावा

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को मिली जीत के बाद अब नई सरकार बनाने की औपचारिकता की जा रही है। इस बीच, एनडीए विधायक दल के नेता चुने जाने के बाद नीतीश कुमार बुधवार को राजभवन पहुंचे और सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। साथ ही उन्होंने राज्यपाल से सरकार बनाने का भी दावा पेश किया।

नीतीश कुमार एनडीए के अन्य नेताओं के साथ राजभवन पहुंचे और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद उन्होंने एनडीए के नवनिर्वाचित विधायकों की सूची सौंपकर सरकार बनाने का दावा पेश किया।

इससे पहले विधानसभा के सेंट्रल हॉल में एनडीए विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें सभी नवनिर्वाचित विधायक और कई बड़े नेता शामिल हुए। बैठक में सर्वसम्मति से नीतीश कुमार को एनडीए विधायक दल का नेता चुन लिया गया। इसके बाद वरिष्ठ नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नेता चुनने पर बधाई दी।

नीतीश कुमार 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। पटना के गांधी मैदान में आज गुरुवार को नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा। इस समारोह में आम आदमी से लेकर वीआईपी के जुटने की संभावना को देखते हुए उसी तरह की तैयारी की जा रही है। इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं के अलावा विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के शामिल होने की संभावना है।

बुधवार को पटना में,भाजपा प्रदेश कार्यालय में भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक हुई। इस बैठक में सर्वसम्मति से सम्राट चौधरी को नेता चुन लिया गया। बैठक में सभी नवनिर्वाचित विधायक उपस्थित रहे। बैठक के बाद केशव प्रसाद मौर्य ने इसकी घोषणा की।

मौर्य ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि बैठक में सर्वसम्मति से सम्राट चौधरी को नेता चुना गया। इसके अलावा, उप नेता के तौर पर विजय कुमार सिन्हा के नाम का भी प्रस्ताव आया जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया।

इससे पहले बुधवार को सुबह मुख्यमंत्री आवास में जदयू विधायक दल की बैठक हुई। इस बैठक में सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नेता चुन लिया गया।

वायु प्रदूषण पर सख़्ती: सुप्रीम कोर्ट ने मासिक समीक्षा और बेरोज़गार श्रमिकों को निर्वाह भत्ता देने का निर्देश दिया

सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में GRAP-3 के लागू होने के बाद से, जिसके कारण निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जो निर्माण श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं, उन्हें निर्वाह भत्ता दिया जाए।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को उपरोक्त राज्यों की सरकारों को वायु प्रदूषण कम करने के संबंध में निवारक उपायों को लागू करने और उनकी नियमित समीक्षा सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।

साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि वायु प्रदूषण से संबंधित मामलों को मासिक आधार पर सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा, "हमारा मानना है कि वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के उद्देश्य से की गई कोई भी सक्रिय कार्रवाई स्वागत योग्य है। हालाँकि, ऐसे निर्णय लेने वाले अधिकारियों को सभी कारकों पर विचार करना चाहिए और सभी संबंधित हितधारकों का ध्यान रखना चाहिए।"

चुनाव आयोग के बचाव में ढाई सौ से अधिक पूर्व नौकरशाहों का राहुल गांधी पर तीखा हमला

272 पूर्व नौकरशाहों, जिनमें 16 पूर्व न्यायाधीश, 123 सेवानिवृत्त नौकरशाह (जिनमें 14 राजदूत शामिल हैं) और 133 सेवानिवृत्त सशस्त्र बल अधिकारी शामिल हैं, ने एक खुला पत्र लिखकर विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी द्वारा भारत के चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने के प्रयासों की निंदा की है।

इन हस्ताक्षरकर्ताओं ने पत्र में लिखा है, "हम, नागरिक समाज के वरिष्ठ नागरिक, इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं कि भारत के लोकतंत्र पर बल प्रयोग से नहीं, बल्कि उसकी आधारभूत संस्थाओं के विरुद्ध ज़हरीली बयानबाज़ी की बढ़ती लहर से हमला हो रहा है। कुछ राजनेता, वास्तविक नीतिगत विकल्प प्रस्तुत करने के बजाय, अपनी नाटकीय राजनीतिक रणनीति के तहत भड़काऊ लेकिन निराधार आरोपों का सहारा लेते हैं। भारतीय सशस्त्र बलों के पराक्रम और उपलब्धियों पर सवाल उठाकर, और न्यायपालिका, संसद और उसके संवैधानिक पदाधिकारियों की निष्पक्षता पर सवाल उठाकर उन्हें कलंकित करने के उनके प्रयासों के बाद, अब भारत के चुनाव आयोग की बारी है कि उसकी ईमानदारी और प्रतिष्ठा पर व्यवस्थित और षड्यंत्रकारी हमले हों। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने चुनाव आयोग पर बार-बार हमला किया है और कहा है कि उनके पास इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि चुनाव आयोग वोटों की चोरी में शामिल है और उन्होंने दावा किया है कि उनके पास 100 प्रतिशत सबूत हैं।"

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट के नियुक्ति और कार्यकाल संबंधी प्रावधानों को रद्द किया; सरकार की निंदा की

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल सुधार अधिनियम, 2021 के ट्रिब्यूनल सदस्यों की नियुक्ति और कार्यकाल संबंधी प्रावधानों को इस मुद्दे पर अपने पहले के फैसलों का उल्लंघन बताते हुए रद्द कर दिया है। सीजेआई जस्टिस बीआर गवई और न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले रद्द किए गए प्रावधानों को केंद्र सरकार ने मामूली बदलावों के साथ फिर से लागू कर दिया है।

शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए सख्त टिप्पणी की। अदालत ने कहा-"इसलिए, विवादित अधिनियम के प्रावधानों को बरकरार नहीं रखा जा सकता। ये शक्तियों के पृथक्करण और न्यायिक स्वतंत्रता के संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं, जो संविधान के पाठ, संरचना और भावना में दृढ़ता से अंतर्निहित हैं। विवादित अधिनियम उन बाध्यकारी न्यायिक निर्णयों का सीधे तौर पर खंडन करता है, जिनमें न्यायाधिकरण के सदस्यों की नियुक्ति, कार्यकाल और कार्यप्रणाली को नियंत्रित करने वाले मानकों को बार-बार स्पष्ट किया गया है।

इस न्यायालय द्वारा पहचाने गए दोषों को दूर करने के बजाय, विवादित अधिनियम केवल उन्हीं प्रावधानों को थोड़े बदले हुए रूप में प्रस्तुत करता है जिन्हें पहले निरस्त कर दिया गया था। यह सख्त अर्थों में विधायी अवहेलना के समान है: अंतर्निहित संवैधानिक कमियों को दूर किए बिना बाध्यकारी न्यायिक निर्देशों को निष्प्रभावी करने का प्रयास। हमारी संवैधानिक व्यवस्था के तहत ऐसा दृष्टिकोण अस्वीकार्य है।"

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश केंद्र सरकार के लिए गहरा आघात है।

दिल्ली: अदालत ने अनमोल बिश्नोई को 11 दिन की एनआईए कस्टडी में भेजा

दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने गैंगस्टर अनमोल बिश्वोई को 11 दिनों के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की कस्टडी में भेज दिया है। हालांकि, केंद्रीय जांच एजेंसी ने कोर्ट से 15 दिन की कस्टडी मांगी थी। अदालत के इस आदेश से एनआईए को गैंगस्टर नेटवर्क, फंडिंग चेन और विदेश से होने वाली आपराधिक गतिविधियों की बारीकी से जांच करने का पर्याप्त समय मिलेगा।

जैसा कि आप जानते हैं कि एनआईए ने मंगलवार को गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के छोटे भाई अनमोल बिश्नोई को अमेरिका से प्रत्यर्पण कर भारत पहुंचते ही गिरफ्तार कर लिया था। 2022 से फरार चल रहे अनमोल को एनआईए के 'मोस्ट वांटेड' लिस्ट पर 10 लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया था।

इल्तिजा मुफ्ती ने आरोपी डॉक्टर के आत्मघाती बॉम्बर बनने पर चिंता जताई

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बेटी और पार्टी की मीडिया प्रभारी इल्तिजा मुफ्ती ने दिल्ली विस्पोट के मुख्य आरोपी डॉ. उमर के आत्मघाती बॉम्बर बनने पर चिंता जताई है। उन्होंने इस घटना को अंदर तक झकझोर देने वाला बताया।

इल्तिजा मुफ्ती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर लिखा, "जब एक डॉक्टर, जिसका काम जान बचाना होता है, खुद को उड़ाने का फैसला कर लेता है तो एक कश्मीरी होने के नाते यह मुझे सिर्फ परेशान नहीं करता, बल्कि अंदर तक झकझोर देता है।"

मुफ्ती ने लिखा, "यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं? राइट विंग के तत्व उसके डरावने वीडियो को बढ़ा-चढ़ाकर खुशी मनाते फिर रहे हैं। क्या दिल्ली को अब भी एहसास नहीं कि एक गंभीर समस्या मौजूद है? एक ऐसी समस्या जिसे केंद्र सरकार या तो मानना ही नहीं चाहती या मानने से इनकार कर रही है।”

इल्तिजा ने एक खतरनाक चक्र का जिक्र करते हुए लिखा, "पूरे भारत में इस्लामोफोबिया और मुसलमानों पर जुल्म—कुछ लोग आतंकी हमले करते—कश्मीर में बदले की कार्रवाई—सामूहिक सजा और दमन—जम्मू-कश्मीर के बाहर काम करने वाले कश्मीरियों की जातीय प्रोफाइलिंग और उत्पीड़न—फिर वही चक्र दोहराया जाता है। कश्मीरी इस जहरीले चक्र में बुरी तरह फंसे हुए हैं।"

स्थानीय निकाय चुनावों के लिए वीवीपैट अनिवार्य नहीं, तकनीकी रूप से संभव नहीं: राज्य चुनाव आयोग ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया

महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि स्थानीय निकाय चुनावों के लिए वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल अनिवार्य नहीं है और यह तकनीकी रूप से भी संभव नहीं है।

आयोग ने कांग्रेस नेता प्रफुल्ल गुड्डे द्वारा हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में दायर एक याचिका का विरोध करते हुए एक हलफनामा दायर किया, जिसमें महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में वीवीपैट का इस्तेमाल न करने के उसके फैसले को चुनौती दी गई थी।

डिजिटल दुनिया की भयावह हकीकत—महिला पत्रकारों पर ख़तरा दोगुना

डिजिटल माध्यमों का विस्फोट मानवता को जोड़ने और सशक्त करने का वादा लेकर आया था, मगर हुआ इसका उल्टा। दुनिया भर में करोड़ों महिलाओं और लड़कियों के लिए डिजिटल दुनिया अक्सर डर, अपमान और उत्पीड़न का मैदान बन गई है। ऑनलाइन उत्पीड़न, साइबर स्टॉकिंग, डीपफेक, निजी जानकारी का दुरुपयोग और झूठी सामग्री के ज़रिए बदनाम करने की कोशिशें अब एक भयंकर वैश्विक संकट बन चुका है।

इसकी सबसे बड़ी वजह क़ानूनों की कमी है—विश्व बैंक के अनुसार, चालीस फीसदी से भी कम देशों में साइबर उत्पीड़न से रक्षा करने वाले क़ानून मौजूद हैं। परिणामस्वरूप, दुनिया की चवालीस फीसदी महिला आबादी, यानी लगभग एक अरब अस्सी करोड़ महिलाएँ और लड़कियाँ, किसी भी तरह के डिजिटल दुराचार से निपटने के लिए क़ानूनी सुरक्षा से वंचित हैं।

यही कारण है कि यूएन वीमेन ने अपनी सोलह-दिवसीय सामाजिक सक्रियता मुहिम के दौरान पुरज़ोर मांग की है कि टैक्नॉलॉजी को महिलाओं के लिए समानता का साधन बनाया जाए, न कि उत्पीड़न का नया रूप। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और डिजिटल गुमनामी ने अपराधियों को आसान रास्ता दिया है, और कई महिलाओं—विशेषकर पत्रकारों व सार्वजनिक जीवन से जुड़ी हस्तियों—को ऑनलाइन धमकियों, डीपफेक और दुष्प्रचार से दो-चार होना पड़ रहा है।

ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और मैक्सिको जैसे देशों ने डिजिटल सुरक्षा क़ानूनों की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, लेकिन समस्या की वैश्विक प्रकृति इसे एक चुनौती बनाए हुए है। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्मों की जवाबदेही, बेहतर क़ानून, महिला अधिकार संगठनों के लिए संसाधन, और व्यापक डिजिटल साक्षरता ही इसका स्थायी समाधान बन सकते हैं।

सैन्य ख़र्च का मात्र एक फीसदी खाद्य सुरक्षा पर लगे तो दुनिया में कोई भूखा न सोए

दुनिया इस समय अभूतपूर्व सैन्य ख़र्च के दौर से गुजर रही है, मगर इसके समानांतर करोड़ों लोग भूख के सबसे कठोर रूप का सामना करने को विवश हैं। संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के अनुसार, अगर वैश्विक सैन्य बजट का केवल एक पीसदी हिस्सा खाद्य सुरक्षा पर समर्पित कर दिया जाए, तो धरती पर कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं रहेगा।

United Nations World Food Programme (WFP) की ग्लोबल आउटलुक 2026 रिपोर्ट (Global Outlook 2026 Report) बताती है कि आने वाले वर्षों में हालात और गंभीर होंगे—अगले वर्ष 2026 तक लगभग 31 करोड़ 80 लाख लोग गम्भीर भूख की स्थिति में पहुँच सकते हैं, जो 2019 के आँकड़ों का लगभग दोगुना है। रिपोर्ट कहती है कि मदद की रफ्तार धीमी है, संसाधन बिखरे हुए हैं, और संकटग्रस्त क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए सहायता अक्सर पर्याप्त नहीं पहुँच पाती।

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना मोहम्मद ने अफ्रीकी कहावत का हवाला देते हुए कहा है कि ताक़तवरों की लड़ाई में कमज़ोर ही पिसते हैं—और आज यह सच सूडान, ग़ाज़ा, हेती, यमन, साहेल और काँगो जैसे क्षेत्रों में साफ़ दिखाई देता है।

वहीं WFP की कार्यकारी निदेशिका सिंडी मैक्केन (un world food programme executive director Cindy McCain) ने कहा कि यह एजेंसी संघर्षों, आपदाओं और जबरन विस्थापन की मार झेल रहे लोगों के लिए जीवनरेखा है। संगठन 2026 में 13 अरब डॉलर की लागत से 11 करोड़ लोगों तक पहुंचने की योजना बना रहा है, जिसमें आपातकालीन भोजन, पोषण कार्यक्रम, सामुदायिक सशक्तिकरण और तकनीकी सहायता शामिल हैं।

एक ऐसे गंभीर समय में जब ग़ाज़ा और सूडान के कुछ हिस्सों में अकाल जैसी परिस्थितियाँ उभर रही हैं, वैश्विक प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार पहले से कहीं अधिक अनिवार्य हो गया है।

ईरान ने नए सिरे से वार्ता प्रक्रिया के बारे में ट्रम्प के दावे को खारिज किया

ईरान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ईरान के साथ बातचीत के दावे को खारिज करते हुए कहा है कि वाशिंगटन द्वारा पिछली प्रतिबद्धताओं के उल्लंघन और अत्यधिक माँगों को देखते हुए, वर्तमान में ऐसी कोई प्रक्रिया मौजूद नहीं है।

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एस्माईल बाकेई ने बुधवार को व्हाइट हाउस में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ बैठक के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प के निराधार दावों के बारे में पत्रकारों के सवालों के जवाब में यह टिप्पणी की।

जैसा कि आप जानते हैं कि ट्रम्प ने कहा था कि तेहरान "बहुत बुरी तरह" से समझौता करना चाहता है और अमेरिका एक नए सिरे से कूटनीतिक प्रक्रिया शुरू कर रहा है।

मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान से अमेरिका के बार-बार भटकने के इतिहास की ओर इशारा करते हुए, उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया है कि ऐसे पक्ष के साथ बातचीत करने का कोई तार्किक औचित्य नहीं है जो बातचीत की पारस्परिकता का अभाव रखता है, ईरान के खिलाफ अपने घातक सैन्य आक्रमण का दावा करता है और हुक्म चलाने की कोशिश करता है।

ईरान ने बार-बार स्पष्ट किया है कि वह बातचीत से पीछे नहीं हटता है, और इस बात पर ज़ोर दिया है कि किसी भी बातचीत के लिए आपसी सम्मान ज़रूरी है और बातचीत की प्रक्रिया में शामिल पक्षों को अतिवादी माँगों पर अड़े नहीं रहना चाहिए या शर्तें थोपने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।