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आर्टिकल 200–201 पर सुप्रीम कोर्ट की ऐतिहासिक राय: राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों, समयसीमा और जवाबदेही को लेकर बड़ा स्पष्टीकरण

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर संविधान के आर्टिकल 200 और 201 से जुड़े 14 सवालों पर अपनी ऐतिहासिक राय दे दी है। पांच जजों की संविधान पीठ ने स्पष्ट किया कि राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए न्यायालय किसी तरह की समयसीमा तय नहीं कर सकता, हालांकि विधेयकों पर अनिश्चित देरी भी संविधान की भावना के विपरीत है।

तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल के बीच चले विवाद से शुरू हुआ यह मामला तब आगे बढ़ा, जब अप्रैल 2025 के सुप्रीम कोर्ट फैसले में पहली बार गवर्नर और राष्ट्रपति के लिए समय-सीमाएँ सुझाई गई थीं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अनुच्छेद 143 के तहत इसी पर स्पष्टता के लिए रेफरेंस भेजा था।

फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा कि गवर्नर के पास तीन संवैधानिक विकल्प हैं—मंजूरी देना, बिल को राष्ट्रपति के लिए आरक्षित करना या फिर पुनर्विचार के लिए विधानसभा को लौटाना। ये सभी निर्णय पूरी तरह न्यायसंगत समीक्षा के दायरे में नहीं आते, लेकिन लंबे समय तक बिना कारण देरी होने पर अदालत सीमित हस्तक्षेप कर सकती है।

शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि न तो राष्ट्रपति और न ही राज्यपाल के लिए ज्यूडिशियल टाइमलाइन तय की जा सकती है, और न ही आर्टिकल 142 के तहत उनकी शक्तियों में कोई बदलाव संभव है।

पीठ ने यह भी कहा कि गवर्नर द्वारा बिल राष्ट्रपति के लिए भेजे जाने पर राष्ट्रपति को अनुच्छेद 143 के तहत सलाह नहीं लेनी चाहिए। राज्यपाल की मंजूरी के निर्णय को अदालत बदल नहीं सकती। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने घोषणा की कि यह राय सर्वसम्मति से दी गई है।

नीतीश कुमार 10वीं बार बने बिहार के मुख्यमंत्री, गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने दिलाई शपथ

नीतीश कुमार 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बन गए हैं। गुरुवार को पटना के गांधी मैदान में आयोजित समारोह में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अलावा एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री उपस्थित रहे।

राष्ट्रगान के साथ गांधी मैदान में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके बाद राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल. चोंग्थू ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का आदेश पढ़ा। बिहार के राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 164 (1) के तहत मिली शक्तियों का प्रयोग करते हुए नीतीश कुमार को बिहार का मुख्यमंत्री नियुक्त किया है। इसके साथ, राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की सलाह से मंत्रिमंडल के सदस्यों की नियुक्ति की है।

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंच पर मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जाकर मिले।

मुख्यमंत्री के बाद उपमुख्यमंत्री के रूप में सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को शपथ दिलाई गई।

ममता बनर्जी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर, एसआईआर रोकने की अपील की

गुरुवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को एक पत्र लिखा। उन्होंने पत्र में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को तुरंत रोकने की मांग की है।

एसआईआर को 'खतरनाक, बिना प्लान वाला और अमानवीय' बताते हुए पत्र में ममता बनर्जी ने लिखा कि तीन महीने में जो काम पहले तीन साल में होता था, उसे जबरदस्ती थोपने से पूरा सिस्टम चरमरा गया है। बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) पर इतना बोझ डाला जा रहा है कि वे इंसानी हद से ज्यादा काम कर रहे हैं। ट्रेनिंग नहीं दी गई, सर्वर बार-बार फेल हो रहा है, ऑनलाइन फॉर्म भरने में दिक्कत है और टाइमलाइन नामुमकिन है।

उन्होंने सबसे दुखद उदाहरण दिया कि जलपाईगुड़ी के माल इलाके में एक आंगनवाड़ी वर्कर ने एसआईआर के भारी दबाव में आत्महत्या कर ली। इसके बाद से कई और लोगों की जान जा चुकी है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ कागजी काम नहीं, लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ है।

ममता ने कहा कि अभी बंगाल में धान की कटाई और आलू की बुआई का पीक सीजन चल रहा है। लाखों किसान-मजदूर खेतों में लगे हैं। वे घर बैठकर फॉर्म कैसे भरें? ऊपर से बीएलओ को धमकियां मिल रही हैं, कारण बताओ नोटिस थमा दिए जा रहे हैं।

पत्र में ममता बनर्जी ने साफ कहा कि यह प्रक्रिया हमारी लोकतंत्र की नींव को हिला रही है। गलत या अधूरी एंट्री के डर से लाखों असली वोटरों का नाम कट सकता है। बीएलओ और आम लोगों पर जो दबाव डाला जा रहा है, वह बर्दाश्त से बाहर है।

अंत में मुख्यमंत्री ने अपील की है कि तुरंत यह प्रक्रिया रोकी जाए, सही ट्रेनिंग और सपोर्ट दिया जाए, टाइमलाइन बढ़ाई जाए और पूरी प्रक्रिया की फिर से समीक्षा की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अभी नहीं सुधारा गया तो नतीजे बहुत भयानक होंगे और लोकतंत्र की साख को ठेस पहुंचेगी। राज्य में पहले से ही इस रिवीजन को लेकर तनाव है। कई जगह लोग विरोध कर रहे हैं।

उमर खालिद मामले में सुनवाई

दिल्ली दंगों की कथित साज़िश से जुड़े UAPA मामले में आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य की ज़मानत पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। केंद्र की ओर से पेश एएसजी के.एम. राजू ने विस्तृत बहस रखते हुए कहा कि आरोपी देरी का लाभ नहीं उठा सकते, क्योंकि ज़्यादातर स्थगन स्वयं उनकी ओर से मांगे गए। उन्होंने ट्रायल कोर्ट की नाराज़गी का हवाला देते हुए बताया कि 5 अगस्त से लेकर सितंबर तक कई तारीखों पर आरोपियों ने या उनके वकीलों ने सुनवाई टालने की मांग की।

एएसजी राजू ने शीर्ष अदालत को बताया कि हाई कोर्ट के फैसले में देरी के कारण स्पष्ट दर्ज हैं और उस फैसले को चुनौती भी नहीं दी गई। उन्होंने UAPA से जुड़े फैसलों का संदर्भ देते हुए कहा कि “जेल नियम है और बेल अपवाद”, और देरी अपने आप में ज़मानत का आधार नहीं बन सकती।

सुनवाई के दौरान एएसजी ने शरजील इमाम के भाषणों के वीडियो ओपन कोर्ट में चलाए। इन वीडियोज़ में असम को भारत से अलग करने, “चक्का जाम” की रणनीति, दिल्ली में आवश्यक सप्लाई रोकने, अदालतों पर टिप्पणियाँ और बाबरी, ट्रिपल तलाक, 370 जैसे मुद्दों पर उकसावे वाले वक्तव्य दिखाए गए। न्यायालय ने पूछा कि क्या ये सामग्री चार्जशीट का हिस्सा है, जिस पर अभियोजन ने हाँ में जवाब दिया।

राजू ने दावा किया कि उमर खालिद और शरजील इमाम ने ‘डिसरप्टिव चक्का जाम’ की योजना बनाकर बड़े पैमाने पर हिंसा, पुलिस और गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाने और “रिजीम चेंज” जैसे अंतिम उद्देश्य के लिए एक व्यापक साज़िश रची। उन्होंने विभिन्न व्हाट्सऐप ग्रुप—MSJ, SOJ, DPSG, JCC और JACT—का उल्लेख करते हुए कहा कि इन्हें सामूहिक रूप से विरोध को हिंसक दिशा देने और भीड़ जुटाने के लिए इस्तेमाल किया गया।

अभियोजन ने 47 प्रोटेक्टेड गवाहों में से एक के बयान का भी उल्लेख किया, जिसमें दावा है कि उमर खालिद ने शाहीन बाग और जामिया में 24×7 चक्का जाम शुरू कराने के निर्देश दिए और कहा कि “सही समय पर सरकार को उखाड़ फेंकना है।”

बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकीलों ने कहा कि अभियोजन केवल “चुने हुए हिस्से” दिखा रहा है और पूरी रिकॉर्डिंग संदर्भ से बाहर प्रस्तुत की जा रही है। उनका तर्क था कि इस चरण में मेरिट देखने का प्रश्न ही नहीं उठता।

पीठ ने संकेत दिया कि इस स्तर पर सबूतों के मूल्यांकन की प्रक्रिया स्वयं एक कानूनी प्रश्न है और मामले की सुनवाई आज शुक्रवार को भी जारी रहेगी।

झुक गए ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक नए कानून पर साइन किए, जो उनके एडमिनिस्ट्रेशन को दोषी सेक्स अपराधी जेफरी एपस्टीन की फाइलें जारी करने के लिए मजबूर करता है। शुरुआत में इन कोशिशों का विरोध करने के बाद, ट्रंप अपनी ही पार्टी के राजनीतिक दबाव के आगे झुक गए। ट्रंप महीनों पहले खुद ही कई फाइलें जारी कर सकते थे। मिस्टर ट्रंप ने बिल पर साइन करने की घोषणा करते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “डेमोक्रेट्स ने एपस्टीन के मुद्दे का इस्तेमाल किया है, जो रिपब्लिकन पार्टी से कहीं ज़्यादा उन पर असर डालता है, ताकि हमारी शानदार जीत से ध्यान भटकाया जा सके।”

Live Updates

  • 21 Nov 2025 8:35 PM IST

    दिल्ली दंगा साज़िश केस: उमर खालिद–शरजील इमाम की ज़मानत पर दिल्ली पुलिस का कड़ा विरोध

    दिल्ली दंगों की कथित साज़िश से जुड़े मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम सहित कई आरोपियों की ज़मानत याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान एएसजी राजू ने अदालत में जोरदार विरोध दर्ज कराया। उन्होंने अदालत को बताया कि दंगों में 53 लोगों की मौत, 513 घायलों और व्यापक हिंसा की पृष्ठभूमि के चलते UAPA की गंभीर धाराएँ लगाई गई हैं, जिनमें धारा 16(1)(a) भी शामिल है, जिसके तहत अधिकतम सज़ा मौत तक हो सकती है।

    एएसजी राजू ने दलील दी कि चार्जशीट पर संज्ञान लेने के आदेश को किसी ने चुनौती नहीं दी है और UAPA की धारा 43D(5) के तहत आरोपी ज़मानत के हकदार नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि सबूत—वीडियो, प्रोटेक्टेड गवाहों के बयान और कथित मनी ट्रेल—एक व्यापक साज़िश की ओर इशारा करते हैं, जिसका उद्देश्य हिंसा फैलाना और आवश्यक सेवाओं को बाधित करना था।

    राजू ने कहा कि चांदबाग और जामिया इलाक़ों में हुई घटनाओं में योजनाबद्ध तरीके से CCTV कैमरे तोड़े गए, भीड़ जुटाई गई और पुलिस पर घातक हमले किए गए, जिनमें हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल और IB अधिकारी अंकित शर्मा की मौत हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि वित्तीय मदद शेल कंपनियों और संगठनों के ज़रिए जुटाई गई, और कई आरोपी इससे सीधे जुड़े रहे।

    सुनवाई के दौरान जस्टिस अरविंद कुमार ने कई बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि वे मेरिट पर नहीं जा रहे और विस्तृत जवाब के लिए अतिरिक्त समय की मांग की। अदालत अब सोमवार को लंच के बाद आगे की सुनवाई करेगी, जबकि कुछ पक्षकारों ने अनुमान जताया कि बहस मंगलवार तक चल सकती है।

  • 21 Nov 2025 8:13 PM IST

    शुरू हुआ भारतीय कला महोत्सव

    राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सिकंदराबाद के राष्ट्रपति निलयम में भारतीय कला महोत्सव के दूसरे एडिशन का उद्घाटन किया। नौ दिन तक चलने वाले इस फेस्टिवल में गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, गोवा, दादरा और नगर हवेली, और दमन और दीव की समृद्ध और अलग-अलग तरह की सांस्कृतिक विरासत दिखाई जाएगी।

    इस अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे इवेंट्स अलग-अलग इलाकों में रहने वाले नागरिकों को एक-दूसरे को समझने में मदद करते हैं और यह समझ हमारे नज़रिए को बड़ा बनाती है। ये इवेंट्स हमारी सांस्कृतिक विरासत के लिए सम्मान भी बढ़ाते हैं और हमें इसे बचाने के लिए प्रेरित करते हैं।

    भारतीय कला महोत्सव 22 से 30 नवंबर, 2025 तक सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक आम लोगों के लिए खुला रहेगा।

    https://t.co/09iUM1Kw9j लिंक पर विज़िटर स्लॉट बुक कर सकते हैं।