एंटोनियो गुटेरेस ने देशों से आग्रह किया — नवीकरणीय ऊर्जा क्रांति को न्यायसंगत, तेज़ और समावेशी बनाना होगा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ब्राज़ील के बेलेम में कॉप30 से पहले कहा कि जीवाश्म ईंधन युग समाप्ति की ओर है। देशों को स्वच्छ ऊर्जा अपनाने, नवीकरणीय क्षमता बढ़ाने और उत्सर्जन में कटौती के लिए त्वरित व न्यायसंगत कदम उठाने होंगे। पढ़िए संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह खबर

जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाने, स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने के लिए त्वरित उपाय ज़रूरी

7 नवंबर 2025 जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ब्राज़ील के बेलेम में यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप30) से पहले एक बैठक में आग्रह किया कि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाकर और स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की ओर तेज़ी से क़दम बढ़ाने होंगे.

यूएन प्रमुख ने नवीकरणीय, जैसेकि सौर ऊर्जा, पवन चक्की, स्रोतों को लगभग हर देश में बिजली का सबसे सस्ता माध्यम क़रार दिया है.

उन्होंने ब्राज़ील के ऐमेज़ोन क्षेत्र में स्थित बेलेम में ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन के विषय पर आयोजित एक गोलमेज़ बैठक को सम्बोधित करते हुए यह बात कही. बेलेम में सोमवार, 10 नवम्बर को जलवायु परिवर्तन सम्मेलन आरम्भ हो रहा है.

“जीवाश्म ईंधन युग का अन्त हो रहा है. स्वच्छ ऊर्जा उभार पर है. आइए, हम इस परिवर्तन की प्रक्रिया को न्यायसंगत, तेज़ और अन्तिम बनाएं.”

नवीकरणीय ऊर्जा क्रांति

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने विश्व नेताओं को बताया कि विश्व भर में ऊर्जा परिदृश्य में बहुत तेज़ी से बदलाव आते हुए दिखाई दे रहे हैं.

पिछले वर्ष जोड़ी गई कुल नई बिजली क्षमता में से 90 प्रतिशत हरित ऊर्जा स्रोत से थे. इनमें निवेश 2 हज़ार अरब डॉलर तक पहुँच गया, जोकि जीवाश्म ईंधन में निवेश से 800 अरब डॉलर अधिक है.

“नवीकरणीय क्रांति यहाँ आ चुकी है. लेकिन हमें और अधिक तेज़ी से जाना होगा, और इसका लाभ हर देश के लिए सुनिश्चित करना होगा.”

उन्होंने सचेत किया कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को इस दशक के अन्त तक जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाने, नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता में तीन गुना वृद्धि करने और ऊर्जा दक्षता को दोगुना करने की प्रक्रिया को न्यायसंगत, व्यवस्थित और समतापूर्ण ढंग से पूरा करना होगा.

गर्माती जलवायु पर लगाम

हालांकि, फ़िलहाल देश इस दौड़ में पिछड़ रहे हैं. यदि नई राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं को लागू भी कर लिया जाता है, तो भी वैश्विक तापमान में वृद्धि पूर्व औद्योगिक काल की तुलना में 2 डिग्री की सीमा को पार करने की आशंका है.

“इसका अर्थ है, और अधिक बाढ़, अधिक गर्मी, और पीड़ा, हर जगह पर.”

उनके अनुसार, इस सदी के अन्त तक 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा पर वापिस लौटने के लिए यह ज़रूरी है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 2030 तक 50 फ़ीसदी की कटौती लाई जाए, 2050 तक नैट शून्य उत्सर्जन तक पहुँचा जाए.

नीतियों में आमजन पर ध्यान

यूएन प्रमुख ने कार्रवाई के लिए पाँच अहम क्षेत्रों को चिन्हित किया है:

पहला, देशों को अपने क़ानूनों, नीतियों, प्रोत्साहन उपायों को ऊर्जा स्रोतों में न्यायसंगत बदलाव के अनुरूप बनाना होगा. जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी का उन्मूलन करना होगा, जिससे बाज़ारों में व्यवधान आता है.

दूसरा, देशों की सरकारों को ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन की प्रक्रिया के दौरान आम लोगों का ध्यान रखना होगा और उन कामगारों व समुदायों को समर्थन देना होगा, जिनकी आजीविका तेल, कोयले व गैस पर निर्भर है.

तीसरा, बिजली ग्रिड, भंडारण और दक्षता उपायों में निवेश करना होगा. नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में उछाल आ रहा है और इसलिए उसी के अनुरूप बुनियादी ढाँचे को खड़ा किया जाना ज़रूरी है.

चौथा, बिजली आपूर्ति की नई मांग को स्वच्छ ऊर्जा के ज़रिए पूरा किया जाना होगा, जिनमें डेटा केन्द्रों द्वारा की जाने वाली खपत भी है, जोकि कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) टैक्नॉलॉजी के लिए अहम हैं.

पाँचवा, विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई की आवश्यकता को पूरा करने के इरादे से, बड़े स्तर पर वित्तीय संसाधन मुहैया कराए जाने होंगे.