राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की जयंती: ओज और देशभक्ति की अमर वाणी
23 सितंबर आज है राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की जयंती
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की जयंती पर सादर नमन।
दिनकर जी की रचनाएं राष्ट्रभक्ति और साहस की आवाज़ बनीं, जिन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई में क्रांति का संचार किया। उनकी ओजपूर्ण कविताएं जैसे ‘रश्मिरथी’ और ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ आज भी राष्ट्रभक्ति और सामाजिक चेतना की प्रेरणा देती हैं।
दिनकर ने हिंदी साहित्य को राष्ट्रभक्ति, सामाजिक चेतना और क्रांतिकारी विचारों से समृद्ध किया। उनकी प्रसिद्ध रचनाएं जैसे रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा और संस्कृति के चार अध्याय आज भी युवाओं को प्रेरणा देती हैं। उनकी कविताएं अन्याय के विरुद्ध संघर्ष और स्वाभिमान की पुकार हैं। दिनकर की लेखनी ने साहित्य को जन-आंदोलन का स्वर दिया, और उन्हें ‘युगचारण’ की उपाधि मिली। दिनकर ने छायावाद की रुमानी शैली से कविता को निकालकर जन-सरोकारों से जोड़ा और साहित्य को लोकमंगल का माध्यम बनाया। इस दिन हम उनके योगदान को याद करते हैं।

