ईरान और भारत, प्राचीन सभ्यताएँ और नए क्षितिज
भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही ने लिखा लेख
भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही ने द हिन्दू में "Iran and India, ancient civilisations and new horizons" शीर्षक से लेख लिख कर कहा है अपनी सभ्यतागत बुद्धिमत्ता, रणनीतिक स्वतंत्रता और रचनात्मक साझेदारी के साथ, तेहरान और नई दिल्ली बदलती दुनिया को एक नई व्यवस्था दे सकते हैं।
लेख में कहा गया है कि दुनिया एक गहरे बदलाव के दौर से गुज़र रही है। कई लोग इसे "संक्रमण का समय" कहते हैं, जबकि अन्य इसे "पश्चिमी नेतृत्व वाली अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का संकट" कहते हैं। यह स्पष्ट है कि वैश्विक व्यवस्था, जिस पर लंबे समय से पश्चिमी शक्तियों, खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रभुत्व रहा है, अब गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है।
लेख में कहा गया है कि हम अंतरराष्ट्रीय कानूनों का घोर उल्लंघन, अनियंत्रित बल प्रयोग, व्यापार युद्ध, वैश्विक संस्थाओं की अवहेलना, मीडिया के साथ छेड़छाड़ और पर्यावरण का अपरिवर्तनीय विनाश देख रहे हैं। ये कोई छिटपुट घटनाएँ नहीं हैं, बल्कि एक गहरे संकट के संकेत हैं। अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिम अब अपनी मनमानी करने की पहले जैसी क्षमता नहीं रखता। प्रभुत्व के उसके पारंपरिक हथकंडे—वैश्विक वित्तीय प्रणाली, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर एकाधिकार, तथाकथित मानवाधिकार मानकों का थोपना और वैश्विक मीडिया पर नियंत्रण—अपनी प्रभावशीलता खो रहे हैं।
भारत में ईरान के दूतावास ने इस लेख को साझा करते हुए लिखा
"आज हम इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं। दुनिया बदल रही है। उभरती शक्तियाँ और प्राचीन सभ्यताएँ अपनी भूमिकाओं को नए सिरे से परिभाषित कर रही हैं। ईरान और भारत—सभ्यतागत बुद्धिमत्ता, रणनीतिक स्वतंत्रता और रचनात्मक साझेदारी के माध्यम से—दुनिया को एक नया मॉडल पेश कर सकते हैं: एक ऐसी व्यवस्था जो न्याय, साझा हितों और मानवीय गरिमा के सम्मान पर आधारित हो। एक ऐसी व्यवस्था जो प्रभुत्व पर नहीं, बल्कि सहभागिता पर आधारित हो; श्रेष्ठता पर नहीं, बल्कि समानता पर। एक ऐसा भविष्य जहाँ राष्ट्र शक्तिशाली लोगों के औज़ार न हों, बल्कि अपने भाग्य के निर्माता स्वयं हों।"
Iran and India, ancient civilisation and new horizons

