अव्यक्त दुःख को अभिव्यक्ति देतीं कहानियाँ : दिनेश भट्ट का कहानी पाठ और चर्चा
इंदौर में आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम में समकालीन कहानीकार दिनेश भट्ट ने अपनी कहानियों का पाठ किया। ‘गोमती का बसेरा और ईश्वर’, ‘सीलू मवासी का सपना’ और ‘अंतिम बूढ़े का लाफ्टर डे’ जैसी कहानियाँ अव्यक्त दुःख और यथार्थ की परतों को अभिव्यक्ति देती हैं। कार्यक्रम में विनीत तिवारी सहित कई साहित्यकारों ने भाषा, शिल्प और कथ्य पर चर्चा की…

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दिनेश भट्ट की कहानियों में बहस और सवाल
- भाषा और शिल्प पर विनीत तिवारी की टिप्पणी
- गोमती का बसेरा और ईश्वर, सीलू मवासी का सपना, अंतिम बूढ़े का लाफ्टर डे : चर्चित कहानियाँ
- श्रोताओं की प्रतिक्रियाएँ और साहित्यिक विमर्श
यथार्थवादी शैली और अव्यक्त पीड़ा की पहचान
इंदौर में आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम में समकालीन कहानीकार दिनेश भट्ट ने अपनी कहानियों का पाठ किया। ‘गोमती का बसेरा और ईश्वर’, ‘सीलू मवासी का सपना’ और ‘अंतिम बूढ़े का लाफ्टर डे’ जैसी कहानियाँ अव्यक्त दुःख और यथार्थ की परतों को अभिव्यक्ति देती हैं। कार्यक्रम में विनीत तिवारी सहित कई साहित्यकारों ने भाषा, शिल्प और कथ्य पर चर्चा की…
अव्यक्त दुःख को अभिव्यक्ति देतीं कहानियाँ
इंदौर, 4 अक्टूबर 2025. (सारिका श्रीवास्तव). हिंदी में कहानी का कलेवर आमतौर पर छोटा होता है और उपन्यास या लंबी कहानी की तरह उसमें एक से ज़्यादा मुद्दे उठाने की गुंजाइश नहीं होती। दिनेश भट्ट अपनी कहानी में यह जोख़िम उठाते हैं और एक-एक कहानी में एक से ज़्यादा सवालों से दो-चार होने की कोशिश करते हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में वे कहानी की औपन्यासिक संभावनाओं का अंत भी कर देते हैं जो अच्छा नहीं है।
अवसर था समकालीन हिंदी कहानीकार दिनेश भट्ट (छिंदवाड़ा) के कहानी पाठ और उसके उपरांत हुई चर्चा का। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार और 'प्रगतिशील वसुधा' के संपादक विनीत तिवारी ने पढ़ी गई कहानियों पर अपनी उपरोक्त टिप्पणी दी। उन्होंने यह भी कहा कि भाषा की सरलता कहानी का लक्षण हो सकता है, विशेषता नहीं। आजकल अधिकांश कहानियाँ बोलचाल की भाषा में रची जाती हैं। इसीलिए वे प्रवाहमान भी होती हैं लेकिन साधारण भाषा और साधारण शब्दों के इस्तेमाल से एक अनोखा बिम्ब रचना कहानीकार की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि बनती है। दिनेश की कहानियों में वे कहीं-कहीं इसमें सफल हुए हैं।
दिनेश भट्ट की कहानियों के ब्यौरे दिलचस्प हैं, लेकिन इसकी सावधानी रखनी चाहिए कि कथ्य कहीं विवरणों में ढँक न जाए, बल्कि विवरणों से कथ्य और खुलकर निखरे।
प्रगतिशील लेखक संघ, इंदौर इकाई द्वारा 3 अक्टूबर 2025 को कल्याण जैन स्मृति वाचनालय में आयोजित इस कार्यक्रम में दिनेश भट्ट ने अपनी तीन चर्चित कहानियों, 'गोमती का बसेरा और ईश्वर', 'सीलू मवासी का सपना' और 'अंतिम बूढ़े का लाफ्टर डे' का प्रभावशाली पाठ किया।
पाठ के बाद उपस्थित रचनाकारों एवं श्रोताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएँ भी व्यक्त कीं। डॉ. संजय भालेराव ने कहा कि कहानियाँ अव्यक्त दुःख को व्यक्त करती हैं। जावेद आलम ने इन कहानियों को वेदना और पीड़ा की कहानी बताया। विजय दलाल, सारिका श्रीवास्तव, अभय नेमा, विवेक सिकरवार, अभय, रामआसरे पांडे आदि ने कहानियों के शिल्प और भाषा के द्वन्द्व की शिनाख़्त की और यथार्थवादी शैली की इन कहानियों को प्रभावशाली माना। उनका कहना था कि
यह कहानियाँ हमारे आसपास के जीवन की परतें इस तरह खोलती हैं कि जाना हुआ यथार्थ ही हमें नया और महत्त्वपूर्ण लगने लगता है।
कार्यक्रम में विश्वनाथ कदम, फादर पायस लाकरा, डॉ. परमानंद भट्ट, अभय लोधी, निर्मल जैन और संजय वर्मा की भी सक्रिय भागीदारी रही। संचालन और आभार प्रदर्शन अभय नेमा ने किया।


