विवादों में मोदी का मणिपुर दौरा, विपक्ष का हमला: “करुणा नहीं, दिखावा है मोदी का दौरा”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर हिंसा के दो साल बाद मणिपुर दौरे पर पहुंचे। विपक्ष ने सवाल उठाए, कांग्रेस नेताओं ने दौरे को ‘दिखावा’ बताया..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मणिपुर दौरा: दो साल बाद पहुंचे
- चुराचांदपुर में विकास परियोजनाओं का शुभारंभ
- प्रियंका गांधी वाड्रा का बयान: “प्रधानमंत्री को बहुत पहले जाना चाहिए था”
- खरगे का सवाल: “864 दिनों की हिंसा के बाद भी संवेदना क्यों नहीं?”
- सुप्रिया श्रीनेत का आरोप: “रेलवे प्रोजेक्ट के लिए आए, पीड़ितों से मिलने नहीं”
मणिपुर दौरे पर उठे राजनीतिक सवाल और विवाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर हिंसा के दो साल बाद मणिपुर दौरे पर पहुंचे। विपक्ष ने सवाल उठाए, कांग्रेस नेताओं ने दौरे को ‘दिखावा’ बताया..
नई दिल्ली, 13 सितंबर 2025.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर में हुई हिंसा के दो वर्ष बाद मणिपुर पहुंचे, मणिपुर के चुराचांदपुर में विकास पहलों के शुभारंभ के दौरान एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मणिपुर भारत की प्रगति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। लेकिन उनका मणिपुर दौरा विवादों में घिर गया। विपक्ष ने इस दौरे पर सवाल उठाए और पूछा कि अब तक मोदीजी मणिपुर क्यों नहीं गए?
केरल के वायनाड में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रधानमंत्री मोदी के मणिपुर दौरे पर कहा उन्हें खुशी है कि पीएम ने दो साल बाद फैसला किया है कि यह दौरा उनके लिए सार्थक है। उन्हें बहुत पहले ही दौरा कर लेना चाहिए था। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने वहां जो कुछ भी हो रहा था उसे इतने लंबे समय तक होने दिया, इतने सारे लोगों को मारे जाने दिया और इतने सारे लोगों को इतने संघर्ष से गुजरने दिया, इससे पहले कि उन्होंने दौरा करने का फैसला किया। भारत में प्रधानमंत्रियों की यह परंपरा नहीं रही है। शुरू से ही, चाहे वे किसी भी पार्टी के हों, जहाँ भी दर्द होता था, जहाँ भी पीड़ा होती थी, वे जाते थे। आजादी के बाद से यही परंपरा रही है। इसलिए, वह इसे 2 साल बाद पूरा कर रहे हैं, मुझे लगता है कि उन्हें पहले इसके बारे में सोचना चाहिए था।
मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया एक्स पर प्रधानमंत्री को टैग करते हुए लिखा-
"नरेंद्र मोदी जी मणिपुर में आपका तीन घंटे का पड़ाव करुणा नहीं, बल्कि एक दिखावा, टोकनवाद और घायल लोगों का घोर अपमान है।
आज इम्फाल और चुराचांदपुर में आपका तथाकथित रोड शो, राहत शिविरों में लोगों की चीखें सुनने से बचने का एक कायराना प्रयास है!
864 दिनों की हिंसा: लगभग 300 जानें गईं, 67,000 विस्थापित हुए, 1,500 से ज़्यादा घायल हुए।
इसके बाद से आपने 46 विदेश यात्राएँ कीं, लेकिन अपने ही नागरिकों से सहानुभूति के दो शब्द कहने के लिए एक भी यात्रा नहीं की।
मणिपुर की आपकी आखिरी यात्रा? जनवरी 2022 — चुनावों के लिए!
आपके "डबल इंजन" ने मणिपुर के निर्दोष लोगों की जान ले ली है।
आप और गृह मंत्री अमित शाह की घोर अक्षमता और सभी समुदायों के साथ विश्वासघात की मिलीभगत को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाकर जाँच से बचा लिया गया। हिंसा अभी भी जारी है।
राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की ज़िम्मेदारी भाजपा की थी और अब केंद्र सरकार फिर से टालमटोल कर रही है।
यह न भूलें कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा पर गश्त की ज़िम्मेदारी आपकी सरकार की है।
यह चुपचाप किया गया ठहराव पश्चाताप नहीं है। यह अपराधबोध भी नहीं है।
आप अपने लिए एक भव्य स्वागत समारोह आयोजित कर रहे हैं। यह उन लोगों के ज़ख्मों पर एक क्रूर छींटा है जो अभी भी बुनियादी संवैधानिक ज़िम्मेदारियों से आपके त्याग के कारण पीड़ित हैं!
आपके ही शब्दों में... आपका राजधर्म कहाँ है??"
.@narendramodi jiYour 3-hour PIT STOP in Manipur is not compassion — it’s farce, tokenism, and a grave insult to a wounded people.Your so-called ROADSHOW in Imphal and Churachandpur today, is nothing but a cowardly escape from hearing the cries of people in relief camps!…— Mallikarjun Kharge (@kharge) September 13, 2025
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत् ने सोशल मीडिया एक्स पर एक वीडियो जारी करते हुए लिखा-
"हिंसा भड़कने के ढाई साल बाद आख़िरकार इस देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मणिपुर जा रहे हैं
लेकिन सनद रहे
वो आज भी वहाँ पर लोगों के आँसूँ पोंछने, विस्थापितों से मिलने, जिन महिलाओं को नोचा गया उनका हाल जानने या शांति की अपील करने के लिये नहीं बल्कि रेलवे प्रोजेक्ट का उद्घाटन करने जा रहे हैं और शायद इसीलिए मणिपुर में उनके आगमन का विरोध हो रहा है। भला कौन भूल सकता है - जलते हुए मणिपुर को उसके हाल पर छोड़ कर मोदी जी दुनिया नाप रहे थे। कौन भूल सकता है कि जब तक अपनी सरकार पर नहीं आ गई तब तक मणिपुर में राष्ट्रपति शासन तक नहीं लगाया। कौन भूल सकता है कि मोदी जी मणिपुर के प्रतिनिधियों तक से नहीं मिले।
कौन भूल सकता है आदमखोरों की भीड़ ने महिलाओं के साथ क्या किया - और कैसे प्रधानमंत्री 78 दिन बाद महज़ 36 सेकंड बोल पाये थे "


