मोदी-शाह के मुँह पर पड़ा थप्पड़ - खरगे ने मांगा इस्तीफा
नेशनल हेराल्ड मामले में अदालत के फैसले पर कांग्रेस ने एक प्रेस वार्ता कर राजनीतिक प्रतिशोध और एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया। डॉ. अभिषेक सिंहवी और मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे न्याय और सत्य की जीत बताया...
नेशनल हेराल्ड मामले में अदालत के फैसले पर कांग्रेस की प्रेस वार्ता, एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप
नई दिल्ली, 17 दिसंबर 2025: नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली की एक अदालत के हालिया फैसले के बाद कांग्रेस ने आक्रामक रुख अपनाते हुए प्रेस वार्ता की। इस अवसर पर कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मामले को राजनीतिक प्रतिशोध करार देते हुए केंद्र सरकार और जांच एजेंसियों पर गंभीर आरोप लगाए।
डॉ. अभिषेक सिंहवी ने कहा कि यह पूरा मामला “द्वेष प्रेरित, लापरवाही से भरी और बिना अधिकार क्षेत्र की कार्यवाही” का उदाहरण है। उनके मुताबिक, वर्षों तक आरोप गढ़े गए, लेकिन उनके समर्थन में कोई ठोस आधार नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता के दबाव में संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग किया गया।
डॉ. सिंहवी ने यह भी बताया कि 2021 से 2025 के बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राहुल गांधी से करीब 50 घंटे, मल्लिकार्जुन खरगे से 5–6 घंटे और सोनिया गांधी से 7–8 घंटे तक पूछताछ की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हर सुनवाई या फाइलिंग से पहले या बाद में जानकारियाँ मीडिया में लीक होती रहीं, जिससे सुनियोजित तरीके से सुर्खियाँ बनाई जाती थीं।
नेशनल हेराल्ड केस की क्रोनोलॉजी (Chronology of the National Herald Case) समझाते हुए सिंहवी ने कहा कि इस मामले की शुरुआत 2014 में सुब्रमण्यम स्वामी की एक निजी शिकायत से हुई थी। 2014 से 2021 तक सीबीआई और ईडी ने अपनी फाइलों में लिखित रूप से कहा था कि इस मामले में कोई प्रेडिकेट ऑफेंस नहीं बनता। उन्होंने बताया कि अदालत के फैसले के पैरा 218 से 233 में भी इस तथ्य का उल्लेख है।
उन्होंने सवाल उठाया कि सात साल तक कोई एफआईआर दर्ज न होने के बाद 30 जून 2021 को अचानक एफआईआर दर्ज की गई, जो स्पष्ट रूप से राजनीतिक मंशा को दर्शाता है। उनके अनुसार, अदालत ने ईडी द्वारा जून में दर्ज ईसीआर (जो एफआईआर नहीं थी) का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया, जो एजेंसी के दुरुपयोग का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
पीएमएलए कानून का हवाला देते हुए डॉ. सिंहवी ने कहा कि इसकी धारा 5 के तहत केवल अधिकृत व्यक्ति ही शिकायत या एफआईआर दर्ज कर सकता है, जबकि सुब्रमण्यम स्वामी एक निजी व्यक्ति थे। उन्होंने यह भी बताया कि स्वामी ने स्वयं अपनी शिकायत को हाईकोर्ट जाकर स्थगित करवा दिया था।
अभिषेक मनु ने तर्क दिया कि मनी लॉन्ड्रिंग का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि न तो धन का कोई स्थानांतरण हुआ और न ही किसी अचल संपत्ति का। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्तियाँ आज भी उसी के नाम पर हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यंग इंडियन एक नॉट-फॉर-प्रॉफिट कंपनी है, जिसका उद्देश्य एजेएल को ऋण मुक्त करना था, न कि लाभ कमाना। इसमें किसी तरह का लाभांश या मुनाफा वितरित नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, “कानूनी नींव के बिना खड़ा किया गया मुकदमा अपने बोझ से खुद गिर गया। अदालतें राजनीतिक स्क्रिप्ट के लिए थिएटर नहीं, बल्कि ड्यू प्रोसेस के मंदिर हैं।”
खरगे ने मांगा मोदी-शाह का इस्तीफा
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस मामले को नेशनल हेराल्ड के नाम पर चलाया गया राजनीतिक प्रतिशोध बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि गांधी परिवार और कांग्रेस नेतृत्व को बदनाम करने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया।
अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए खरगे ने इसे “न्याय और सत्य की जीत” करार दिया। उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को इस्तीफा दे देना चाहिए, क्योंकि यह फैसला उनके लिए “मुंह पर तमाचे” जैसा है।
बीजेपी द्वारा इसे तकनीकी आधार पर लिया गया फैसला बताए जाने पर खरगे ने कहा कि पीएमएलए कानून का उल्लंघन किसी भी तरह से तकनीकी मुद्दा नहीं हो सकता। उन्होंने दो टूक कहा कि कांग्रेस इस राजनीतिक लड़ाई को सड़कों से लेकर संसद तक जारी रखेगी।
खरगे ने यह भी कहा कि पिछले सात वर्षों से ईडी द्वारा कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को परेशान किया जा रहा है, जिससे देशभर के पार्टी कार्यकर्ताओं में गहरा आक्रोश है।
कुल मिलाकर, कांग्रेस नेताओं ने नेशनल हेराल्ड मामले को राजनीतिक प्रतिशोध, जांच एजेंसियों के दुरुपयोग और कानूनी आधार के अभाव का प्रतीक बताते हुए अदालत के फैसले को लोकतंत्र और न्याय के पक्ष में एक अहम मोड़ करार दिया।


