महाराष्ट्र सरकार ने त्रिभाषा नीति पर GR वापस लिया, ठाकरे बोले – "मुख्यमंत्री मराठी भाषा के खिलाफ क्यों हैं?"
The Maharashtra government rescinded its order regarding the trilingual policy, leading Uddhav Thackeray to publicly challenge the Chief Minister's apparent opposition to the Marathi language.
महाराष्ट्र सरकार ने त्रिभाषा नीति पर GR वापस लिया
त्रिभाषा नीति पर सरकार का यू-टर्न: विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों के दबाव में लिया फैसला
The Maharashtra government rescinded its order regarding the trilingual policy, leading Uddhav Thackeray to publicly challenge the Chief Minister's apparent opposition to the Marathi language.
महाराष्ट्र सरकार ने त्रिभाषा नीति पर GR वापस लिया। उद्धव ठाकरे का मराठी भाषा को लेकर सरकार पर तीखा हमला, विपक्ष का सरकार पर दबाव बढ़ा।
मुंबई, 30 जून 2025। महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने राज्य में त्रिभाषा नीति को लागू करने से संबंधित दो शासकीय निर्णय (GR) वापस ले लिए हैं। इस नीति के अंतर्गत स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य करने का प्रावधान था, जिसे लेकर राज्य भर में विरोध तेज हो रहा था। अब इस मसले पर डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक नई समिति गठित की गई है, जो त्रिभाषा नीति का पुनः अध्ययन कर रिपोर्ट पेश करेगी।
उद्धव ठाकरे का फडणवीस तीखा प्रहार
शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस निर्णय को लेकर बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सवाल किया,
"मुख्यमंत्री मराठी भाषा के खिलाफ क्यों हैं? उन्हें अन्य गंभीर मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए... उनके मन में मराठी भाषा के प्रति इतना ज़हर क्यों है?"
उद्धव ठाकरे ने कहा कि यदि सरकार ने यह GR वापस नहीं लिया होता तो 5 जुलाई को एक बड़ा जनविरोध देखने को मिलता। उन्होंने दावा किया कि एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी के कई नेता भी इस मुद्दे पर उनके समर्थन में आने वाले थे। ठाकरे ने घोषणा की कि वे 5 जुलाई को "विजय रैली" निकालेंगे।
भाजपा का पलटवार
इस पूरे विवाद पर भाजपा नेता राम कदम ने उद्धव ठाकरे पर पलटवार करते हुए कहा,
"उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी UBT झूठ पर झूठ बोल रही है। जबरन हिंदी थोपने का फैसला खुद ठाकरे का था। भाजपा सभी भाषाओं का सम्मान करती है। बच्चा और उसके माता-पिता तय करें कि कौन सी भाषा पढ़नी है – यही हमारी नीति है।"
उन्होंने आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से भुनाने का प्रयास कर रहे हैं और जनता को भ्रमित कर रहे हैं।
देवेंद्र फडणवीस को ज्ञान नहीं है?
भाजपा के आरोपों पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने पलटवार करते हुए कहा, झूठ बोलना भाजपा की राष्ट्रीय नीति है। ये लोग महाराष्ट्र में इसी नीति के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे ने वास्तव में माशेलकर समिति पर एक रिपोर्ट पेश की थी, तो उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। एक समिति की रिपोर्ट जारी की गई है और कैबिनेट में रखी गई है। क्या इस पर चर्चा नहीं हो सकती?
संजय राउत ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा- आपने कैबिनेट के साथ जबरदस्ती हिंदी पर चर्चा की - आपने ऐसा इसलिए किया क्योंकि यह एक राष्ट्रीय नीति है। यदि कोई राष्ट्रीय नीति राज्य के सामने आती है, तो उस पर चर्चा करना बहुत महत्वपूर्ण है। देवेंद्र फडणवीस तीन बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं - क्या उन्हें इतना ज्ञान नहीं है?"
एनसीपी (SCP) की राय
एनसीपी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार ने कहा कि इस GR के विरोध में केवल राजनीतिक दल ही नहीं, बल्कि मराठी पत्रकारों और सामाजिक संगठनों ने भी विरोध जताया।
"हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम यह मानते हैं कि प्राथमिक शिक्षा में हिंदी को अनिवार्य करना उचित नहीं है।"
उन्होंने कहा कि विरोध की एकजुटता के कारण ही राज्य सरकार को पीछे हटना पड़ा।
त्रिभाषा नीति को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में नया उबाल आ गया है। एक ओर विपक्ष इसे मराठी अस्मिता का मुद्दा बता रहा है, वहीं सरकार इसे शिक्षा में विकल्प और स्वतंत्रता का विषय कह रही है। आने वाले विधानसभा सत्र में यह मुद्दा और भी गरमा सकता है।


