SCO का संयुक्त बयान प्रकरण : मोदी के विश्वगुरु ब्रांड पर उठे सवाल
SCO सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया क्योंकि उसमें पहलगाम आतंकवादी हमले का ज़िक्र नहीं था।

SCO संयुक्त बयान पर राजनाथ सिंह ने नहीं किए हस्ताक्षर, पहलगाम हमले को नजरअंदाज करने पर जताया ऐतराज
- राजनाथ सिंह ने SCO के संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किए?
- मीडिया की हेडलाइनों में राजनाथ सिंह का 'पेन नीचे रखना'
- वरिष्ठ पत्रकार शकील अख्तर का सवाल : भारत की विदेश नीति की विफलता?
- प्रकाश अंबेडकर का हमला: मोदी का विश्वगुरु ब्रांड बेकार?
क्या SCO में भारत की आवाज़ कमजोर हुई है?
SCO सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया क्योंकि उसमें पहलगाम आतंकवादी हमले का ज़िक्र नहीं था। वरिष्ठ पत्रकारों और राजनीतिक नेताओं ने इसे विदेश नीति की विफलता बताया है।
नई दिल्ली 27 जून 2025 —शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक के समापन पर संयुक्त वक्तव्य पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इसकी वजह बती गई, हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उस दस्तावेज़ में कोई ज़िक्र न होना। भारत के इस कदम के बाद सम्मेलन बिना किसी संयुक्त बयान के समाप्त हो गया।
मीडिया में चला नाटकीय वर्णन
अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों ही मुख्यधारा के अखबारों ने इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया, साथ ही कुछ नाटकीय रंग भी जोड़ दिए। खबरों में लिखा गया कि राजनाथ सिंह ने जैसे ही दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने के लिए पेन उठाया, तभी उन्होंने पाया कि पहलगाम आतंकी हमले का कोई उल्लेख नहीं है, और उन्होंने पेन नीचे रख दिया।
इस घटनाक्रम पर वरिष्ठ पत्रकार शकील अख्तर ने सवाल उठाते हुए सोशल मीडिया पर लिखा :
"वाह भई वाह! अपनी विदेश नीति की असफलता पर सवाल उठाने के बजाय उसे राजनाथ सिंह की बहादुरी के तौर पर प्रस्तुत किया जा रहा है। कोई मीडिया यह क्यों नहीं पूछ रहा कि भारत SCO के संयुक्त बयान में पाकिस्तान-समर्थित आतंकवाद की निंदा क्यों नहीं लिखवा पाया?"
उन्होंने आगे कहा कि जब मुंबई आतंकी हमले के समय पूरी दुनिया, यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र, पोप और यूरोपीय संघ ने सख्त निंदा की थी, तो अब भारत की आवाज़ क्यों कमजोर पड़ गई है।
शकील अख्तर ने मनमोहन सिंह सरकार की तुलना करते हुए लिखा :
"कहते हैं मनमोहन सिंह कमजोर थे? लेकिन अमेरिका की भी हिम्मत नहीं हुई थी कि उस समय पाकिस्तान के सेना प्रमुख को लंच पर बुला ले। आज जब से भारत की विदेश नीति देश के नाम की बजाय 'मोदी मोदी' जाप पर केंद्रित हो गई है, तब से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत पहले से कहीं ज़्यादा अकेला दिखता है।"
प्रकाश अंबेडकर का तीखा हमला
वंचित बहुजन अघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने इस मसले पर ट्वीट कर कहा:
"अगर मोदी का नेतृत्व शंघाई सहयोग संगठन के संयुक्त बयान में पहलगाम आतंकी हमले को शामिल नहीं करवा सका, तो ये 'विश्वगुरु' ब्रांड किस काम का है?"
उन्होंने सवाल उठाया कि जब पाकिस्तान अपने पक्ष में बलूचिस्तान से जुड़ी बातें SCO दस्तावेज़ में शामिल करवा सकता है, तो भारत अपने निर्दोष पर्यटकों पर हुए हमले की निंदा क्यों नहीं दर्ज करवा सका?
"कितना बेकार है मोदी का विश्वगुरु ब्रांड!" – अंबेडकर ने तीखे शब्दों में सरकार पर हमला बोला।
क्या होगा आगे का रास्ता
यह घटना भारत की विदेश नीति और कूटनीतिक प्रभाव की दिशा में एक चिंताजनक संकेत के रूप में देखी जा रही है। खासकर तब, जब आतंकवाद जैसे विषय पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एकजुटता की अपेक्षा होती है। भारत का संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर न करना एक प्रतीकात्मक विरोध है, लेकिन इससे यह भी सवाल उठता है कि क्या भारत की बात अब वैश्विक संगठनों में पहले जैसी गंभीरता से सुनी जा रही है?
अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या भारत आने वाले समय में SCO जैसे मंचों पर अपने रुख को प्रभावी ढंग से रख पाएगा या यह कूटनीतिक अलगाव आगे और गहराएगा।


