EVM में गड़बड़ी के गंभीर आरोप: द प्लूरल्स पार्टी की अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी की विस्तृत प्रतिक्रिया

चुनाव नतीजों के बाद द प्लूरल्स पार्टी अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी ने EVM में वोट मैनिपुलेशन के गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा न्यायालय में सिद्ध नहीं किया जा सकता और इसका निर्णय जनता की अदालत ही करेगी। पढ़िए उनका पूरा बयान और राजनीतिक संदर्भ...

नई दिल्ली, 14 नवंबर 2025. बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों के बीच द प्लूरल्स पार्टी की अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी ने निर्वाचन प्रक्रिया पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने एक विस्तृत बयान जारी कर EVM में वोट मैनिपुलेशन के गंभीर आरोप लगाए हैं। सुश्री चौधरी का कहना है कि यह उनकी व्यक्तिगत हार का भावनात्मक प्रभाव नहीं, बल्कि लंबे राजनीतिक अनुभव और शोध पर आधारित निष्कर्ष है। उन्होंने दावा किया कि कई बूथों का विश्लेषण उनकी शंकाओं को मजबूत करता है और यह मुद्दा अब जनता की अदालत में ही तय होगा।

अपने समर्थकों को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि पराजय उनकी राजनीति का अंत नहीं, बल्कि नई रणनीति की शुरुआत है।

पुष्पम प्रिया चौधरी ने एक्स पर लिखा,

"प्रिय देशवासियों,

EVM लोकतंत्र के लिए समस्या बना दिया गया है। यह मैं इसलिए नहीं कह रही कि मैं हार गई, या भावुक हो गई या मुझे सदमा लगा है। यह सब ट्रोल की भाषा है। देखिए, मैं विश्वप्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़ी हूँ। राजनीति और चुनाव पर बढ़िया रिसर्च किया है, विशिष्टता रही है। राजनीति को क़रीब से देखा है। खूब अनुभव रहा है। परिवार में ही 13 चुनाव देखे हैं।आज भी परिवार में एक व्यक्ति चुनाव जीते हैं। पर मैंने अपनी पार्टी बनाई और दो चुनाव लड़े हैं। मैं अपने पूरे ज्ञान और राजनीतिक अनुभव से पूरी ज़िम्मेदारी से कह रही हूँ कि EVM में वोट मैनिपुलेट हो रहे हैं। साल 2020 में भी मेरे पास बूथवार सबूत थे और आज तो खूब सारे जमा किए हैं। अब चूँकि मतदान-प्रणाली ही गुप्त मतदान पर आधारित है, इसलिए इसे न्यायालय में सिद्ध नहीं किया जा सकता। इसका फ़ैसला राजनीतिक तरीक़े से जनता की अदालत में ही होगा - जैसे भी हो, जब भी हो, जिस रणनीति से हो।

यह EVM मैनिपुलेशन कैसे होता है यह गंभीर शोध का विषय है पर यह होता है इसमें आप कोई संदेह मत रखिए। हाँ, मेरे अनुभव से, तरीक़ा यह है कि मुख्य विपक्षी दल/गठबंधन के उम्मीदवार अर्थात् पेपर पर नंबर दो के वोट को टच नहीं किया जाता। इसका उपयोग किसी नये दल के लोकप्रिय उम्मीदवार पर किया जाता है। और यह एक सीट पर एक उम्मीदवार के साथ ही संभव होता है। इसलिए जहां दो नये लोकप्रिय उम्मीदवार हों वहां एक का ही वोट बुरी तरह प्रभावित होगा। दूसरे का या अन्य निर्दलीय इत्यादि का यथावत रहेगा। इसलिए अन्य सीटों पर या दूसरे राज्यों या अन्य चुनावों में अगर मुख्य विपक्षी जीत रहा है तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। ख़तरे में सिर्फ तीसरा पक्ष रहेगा। पहले नैरेटिव बनाया जाएगा कि ये सब हवा-हवाई हैं, अप्रासंगिक हैं, बस सोशल मीडिया पर हैं, इत्यादि-इत्यादि ताकि चुपके से उनका वोट चुरा भी लिया जाए तो नैरेटिव यही रहे कि हाँ इनकी ज़मीनी पकड़ तो थी नहीं! या मेरे मामले में कि ये तो लंदन से आई हैं इत्यादि इत्यादि। या ट्रोलों और मीम से आपको डिस्क्रेडिट किया जाए। और इधर अपने वोटरों को लगने लगता है कि हाँ मैंने तो वोट किया पर सामने वालों ने नहीं किया होगा। पर अगर आपने वोट की गिनती की है, हर बूथ पर अंदर और बाहर आपके एजेंट हों तो आपको अच्छे से पता होता है कि 100-200 वोट 2-5 में नहीं बदल सकते। या आपके घर के वोट ग़ायब नहीं हो सकते या धुर-विरोधी बूथ पर सत्ताधारी दल को बंपर वोट कैसे मिले? ये सब आपका वोट होता है।

इसलिए नई राजनीति करने वालों के लिए रास्ता कठिन है। इस दौर की लड़ाई को बहुत धीरज और होशियारी से लड़ना होगा। मैं इसके लिए तैयार हूँ। राजनीति से नैतिकता आदि तो कब का जा चुकी थी, अब फ़्रॉड, ठग और किसी क़ीमत पर जीत लेने की राजनीति है। इससे डटकर दिमाग़ी मजबूती से मुक़ाबला करना होगा, हमें भी और आप सभी जनता को भी।

मैं पराजित हुई हूँ, समाप्त नहीं हुई हूँ। बस अब साम-दाम-दंड-भेद की राजनीति में रणनीति बदलने की ज़रूरत होगी। मेरे पार्टी समर्थक और कार्यकर्ता हतोत्साहित न हों, हम वापसी करेंगे। आप सबलोग सपरिवार खुश रहें।

- पुष्पम प्रिया चौधरी"