बिहार SIR पर चुनाव आयोग का बड़ा खुलासा

  • RTI एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज के सवाल
  • सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे और RTI जवाब में विरोधाभास
  • 2003 की जगह 2025 का आदेश क्यों दिया आयोग ने?
  • वोटर टर्नआउट और CCTV फुटेज पर भी आरोप
  • हाईकोर्ट के आदेश और नियम बदलवाने का विवाद

अंजलि भारद्वाज की अपील और अगला कदम

RTI एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज ने खुलासा किया है कि चुनाव आयोग के पास Bihar SIR 2003 की कोई फाइल नहीं है। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में ‘स्वतंत्र मूल्यांकन’ का हवाला दिया था, लेकिन RTI में उसका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। जानें पूरा मामला।

नई दिल्ली, 29 अगस्त। एक चौंकाने वाली आरटीआई से बड़ा खुलासा हुआ है। पारदर्शिता कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज (Transparency Activist Anjali Bhardwaj) द्वारा दायर आरटीआई आवेदन के जवाब में चुनाव आयोग (ECI) बिहार में हुए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) से जुड़ी महत्वपूर्ण फाइलें और नोटिंग साझा करने में नाकाम रहा है।

बिहार SIR पर चुनाव आयोग का बड़ा खुलासा

आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में चुनाव आयोग ने माना कि—

राष्ट्रव्यापी SIR करने का निर्णय किस प्रक्रिया से लिया गया, इसकी कोई फाइल मौजूद नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में जिस ‘स्वतंत्र मूल्यांकन’ को SIR का आधार बताया गया था, उसका कोई रिकॉर्ड आयोग के पास नहीं है।

बिहार में 2003 के मतदाता सूची पुनरीक्षण से जुड़े आदेश और दिशानिर्देश की मांग पर आयोग ने केवल 2025 का आदेश उपलब्ध कराया।

अंजली भारद्वाज नामक एक ट्रांसपेरेंसी एक्टिविस्ट ने बिहार में हुए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) से संबंधित दो आरटीआई आवेदन दायर किए थे। पहले आवेदन में उन्होंने इलेक्शन कमीशन द्वारा किए गए स्वतंत्र मूल्यांकन (इंडिपेंडेंट अप्रैजल) की कॉपी और एसआईआर के निर्णय लेने की प्रक्रिया से संबंधित फाइलें मांगी थीं। इलेक्शन कमीशन ने जवाब में केवल 2025 के एसआईआर के आदेश और दिशानिर्देश दिए और कहा कि "कोई अन्य जानकारी मौजूद नहीं है"।

दूसरे आवेदन में उन्होंने 2003 में बिहार में हुए इंटेंसिव रिवीजन से संबंधित दिशानिर्देशों और आदेशों की कॉपी मांगी थी। इलेक्शन कमीशन ने इस आवेदन का जवाब देते हुए भी केवल 2025 के दिशानिर्देश दिए और कोई अन्य जानकारी नहीं दी।

भारद्वाज ने बताया कि इलेक्शन कमीशन ने सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे में कहा था कि उन्होंने एक स्वतंत्र मूल्यांकन किया था जिसके आधार पर उन्होंने एसआईआर करने का फैसला किया था। हालांकि, इस मूल्यांकन की जानकारी न तो जनता के साथ और न ही सुप्रीम कोर्ट के साथ साझा की गई।

अंजलि के मुताबिक कि 24 जून को अचानक एसआईआर की घोषणा की गई थी और राजनीतिक दलों को भी इसकी जानकारी नहीं थी।

भारद्वाज के अनुसार इलेक्शन कमीशन 2019 के चुनावों के बाद से वोटर टर्नआउट से संबंधित जानकारी (फॉर्म 17सी पार्ट 1) देने से इनकार कर रहा है, और सीसीटीवी फुटेज और प्रिसाइडिंग ऑफिसर की डायरी भी नहीं दे रहा है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इलेक्शन कमीशन को यह जानकारी देने का आदेश दिया था, लेकिन इलेक्शन कमीशन ने केंद्र सरकार से नियम ही बदलवा दिए।

उन्होंने चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में हुए कथित अनियमितताओं और सीसीटीवी फुटेज को लेकर भी चिंता व्यक्त की।

आरटीआई के संतोषजनक जवाब ना मिलने पर, भारद्वाज ने पहले इलेक्शन कमीशन में और फिर सेंट्रल इंफॉर्मेशन कमीशन में अपील करने और शिकायत दर्ज करने की योजना बनाई है।