भारी बारिश से बर्बाद हुई खरीफ़ फ़सलें, किसानों को चाहिए तुरंत राहत

मराठवाड़ा में भारी बारिश और बाढ़ से फसलें बर्बाद हो ने पर उद्धव ठाकरे ने केंद्र और राज्य सरकार से किसानों को तत्काल राहत देने और 10 हज़ार करोड़ की सहायता राशि घोषित करने की मांग की है...

नई दिल्ली, 23 सितंबर 2025. मराठवाड़ा में इस बार की भारी बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है। बीड, लातूर, धाराशिव, जालना, संभाजीनगर, नांदेड़ और परभणी जैसे ज़िलों में लाखों हेक्टेयर ज़मीन जलमग्न हो गई है। खरीफ़ की फ़सलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। इसी गंभीर स्थिति पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने केंद्र और राज्य सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि किसानों को तत्काल राहत दें और मदद के लिए राजनीतिक दिखावा न करें।

मराठवाड़ा के किसानों की तुरंत मदद करें: उद्धव ठाकरे!

एक प्रेस विज्ञप्ति में उद्धव ठाकरे ने कहा,

"मराठवाड़ा में इस समय हो रही भारी बारिश की खास बात यह है कि बीड, लातूर, धाराशिव, जालना, संभाजीनगर, नांदेड़, परभणी जैसे ज़िलों में किसानों की फ़सलें पानी में डूब गई हैं, जिन्हें अब तक सूखा प्रभावित माना जाता था।

मराठवाड़ा के किसान बेख़बर थे। उन्होंने इतने सालों में कभी बादल फटते या भारी बारिश नहीं देखी थी। कहने को तो कुछ साल पहले धाराशिव इलाके में एक बार ओलावृष्टि हुई थी।

लेकिन अब लाखों हेक्टेयर ज़मीन कटाव का शिकार हो गई है और खरीफ़ की फ़सलें हमारी आँखों के सामने पानी में डूब गई हैं।

महा विकास अघाड़ी सरकार के समय, सूखे, भारी बारिश और चक्रवात जैसी आपदाओं के कारण किसान सचमुच आँसू बहा रहे थे, लेकिन तब भी केंद्र ने कोई मदद नहीं की। बहुत कम मदद दी गई।

सरकार किसानों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की मदद से खेती करने की सलाह दे रही है, लेकिन इतनी प्राकृतिक आपदा के बाद भी महागठबंधन सरकार के मंत्री और अधिकारी मंत्रालय में बैठकर ऑनलाइन सलाह दे रहे हैं।

एक भी मंत्री ने बांध का दौरा नहीं किया है। मराठवाड़ा के साथ सवाटा जैसा व्यवहार किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के पास साधारण हेलीकॉप्टर से भी बाढ़ की स्थिति का निरीक्षण करने का समय नहीं है।

वे मंत्रालय में आपदा प्रबंधन कक्ष में जाकर टीवी के सामने निरीक्षण करने और टेबल न्यूज़ तैयार करने का नाटक कर रहे हैं।

आज की कैबिनेट बैठक रद्द कर देनी चाहिए थी और मराठवाड़ा में हुई भारी बारिश की पूरी समीक्षा करनी चाहिए थी।

ज़मीन बह जाने से रब्बी खतरे में है। मवेशी बह गए, सड़कें बह गईं। मराठवाड़ा में हुए नुकसान से खेती कैसे उबरेगी?

केंद्र को कम से कम दस हज़ार करोड़ की तत्काल सहायता की घोषणा करनी चाहिए।

नुकसान की राशि तुरंत किसानों के खातों में जमा करानी चाहिए।

बैंकों को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे इन खातों से ऋण की किश्तें न निकालें।

किसानों के मामले में, पंचनामा और नियमों की जाँच में समय बर्बाद न करें। पहले बैंक खाते में मुआवज़ा जमा करें और फिर उसकी जाँच करें।

पुराने नियमों के अनुसार दो हेक्टेयर तक की सहायता देने के बजाय, तीन हेक्टेयर तक की सहायता प्रदान करें।

सूखे की स्थिति वाले नियमों की तो बात ही छोड़ दें।

अपने विज्ञापन पर पैसा बर्बाद करने के बजाय, आपदा प्रभावित किसानों की तुरंत मदद करें।"

मराठवाड़ा के किसानों की ज़मीन, फसलें और मवेशी इस प्राकृतिक आपदा की भेंट चढ़ चुके हैं। अब सवाल यह है कि सरकारें केवल टीवी पर आपदा प्रबंधन का नाटक करेंगी या वास्तव में किसानों तक तत्काल मदद पहुँचाएंगी। ठाकरे की यह माँग मराठवाड़ा ही नहीं, बल्कि पूरे महाराष्ट्र के किसानों की आवाज़ है।