सत्य की बहुस्तरीयता ही बाबा नागार्जुन की कविता की धुरी है
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सत्य की बहुस्तरीयता ही बाबा नागार्जुन की कविता की धुरी है

बाबा नागार्जुन का जन्मदिन: लोकतंत्र और कविता के रिश्ते पर गहरी पड़ताल। जानें कैसे नागार्जुन ने कविता में बुर्जुआ लोकतंत्र की आलोचना, मानवाधिकार विमर्श...

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