शेष नारायण सिंह के बारे में जानकारी शेष नारायण सिंह (वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक टिप्पणीकार) शेष नारायण सिंह (Shesh Narain Singh (veteran journalist and political commentator)) एक अत्यंत सम्मानित भारतीय पत्रकार, स्तंभकार और राजनीतिक टिप्पणीकार थे। 7 मई, 2021 को 70 वर्ष की आयु में ग्रेटर नोएडा के एक अस्पताल में कोविड-19 के इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए (1973) किया और दो वर्षों तक सुलतानपुर के एक डिग्री कॉलेज में इतिहास के लेक्चरर रहे। 1976 में प्रतिष्ठित नौकरी छोड़ दी ताकि अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा दे सकें। शेष नारायण सिंह पत्रकारिता में अपनी धारदार लेखनी, निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा के लिए जाने जाते थे। उनका स्पष्ट-सूचक और स्वतंत्र विश्लेषण, टीवी डिबेट अथवा लेखों में स्पष्ट दिखता था। उन्हें राजनीतिक और सामाजिक मामलों में गहरी पकड़ वाले पत्रकारों में गिना जाता था। साथ ही, उनकी भाषा नम्र लेकिन बेबाक होती थी। शेष नारायण सिंह की पत्रकारिता परंपरागत रूप में “जन के लिए कलम” की जीती-जागती मिसाल थी — सत्य, निष्पक्षता और आम आदमी की सुनवाई को उन्होंने जीवनभर पत्रकारिता के केंद्र में रखा। वह हस्तक्षेप की स्थापना के समय से ही जुड़े हुए थे और आजीवन संरक्षक रहे। पत्रकारिता में उनका करियर दो दशकों से भी ज़्यादा लंबा रहा, जिसमें प्रिंट और प्रसारण मीडिया, दोनों में विशेषज्ञता शामिल थी। उन्हें विदेश नीति मामलों का विशेषज्ञ माना जाता था। उनके योगदान को मीडिया जगत में स्वीकार किया गया, और उनके निधन से एक शून्य पैदा हो गया। प्रारंभिक लेखन: 1976 से 1989 तक एक कंपनी में कार्यरत रहने के बावजूद, उन्होंने पत्रकारिता से जुड़ाव नहीं छोड़ा। वह ऑल इंडिया रेडियो के लिए हिंदी वार्ता लिखते रहे। 1990–91 में उन्होंने संडे ऑब्जर्वर के लिए नियमित लेख लिखे। 1993: राष्ट्रीय सहारा के ‘एडिट पेज इंचार्ज’ के रूप में पत्रकारिता में पूरी तरह सक्रिय हुए। 1994–96: बीबीसी हिंदी सेवा के फ्रीलांस लेखक रहे। 1996–98: JVG Times में ब्यूरो चीफ़। 1998–2004: NDTV इंडिया में डेप्यूटी न्यूज एडिटर। 2005–08: जागरण इंस्टिट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन में प्रोफेसर। 2009–11: शहाफ़त न्यूज़ पत्रिका में एसोसिएट एडिटर। 2011 से निधन तक: देशबंधु में राजनीतिक संपादक के रूप में सेवा करते रहे।