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इन आँसूओं को 'शग़फ़' सब्र कैसे आएगा
शब्द | साहित्यिक कलरव ये उन का दावा मसीहाई का है मक्र-ओ-फ़रेब लिपट के उन से मुसलसल कोई मचलता रहा हमेशा अश्कों की ज़द में ही रात ढलती रही उमीद-ए-जाँ...
शब्द | साहित्यिक कलरव ये उन का दावा मसीहाई का है मक्र-ओ-फ़रेब लिपट के उन से मुसलसल कोई मचलता रहा हमेशा अश्कों की ज़द में ही रात ढलती रही उमीद-ए-जाँ...