इरफान इंजीनियर हरियाणा के फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ के नजदीक अटाली गांव में 25 मई, 2015 को सांप्रदायिक हिंसा हुई, जिसके कारण अटाली के सभी मुस्लिम रहवासियों को गांव छोड़कर भागना पड़ा। मुसलमानों द्वारा गांव में पक्की मस्जिद के निर्माण पर कुछ जातियों को आपत्ति थी। मुसलमान लगभग 50 साल से ज़मीनी के एक टुकड़े पर नामजद अदा करते आए थे। किसी को इससे कोई तकलीफ़ नहीं थी।

दंगों में कुछ मुसलमान घायल हुए और कुछ घरों को आग के हवाले कर दिया गया। गांव के मुसलमानों ने कुछ दिन तक पुलिस स्टेशन में शरण ली। बाद में, कुछ जाति बुजुर्गों ने उन्हें गांव वापस लाने के लिए राज़ी कर लिया। मस्जिद के निर्माण पर एक अदालत ने रोक लगा दी और इस आधार का गांव के मुसलमान पालन कर रहे हैं। गांव वापिस आने के बाद मुसलमानों को सामाजित बहिष्कार का सामना करना पड़ा। उन्हें कोई काम नहीं देता था और ना ही सामान बेचा जाता था। बच्चों के लिए दूध भी उन्हें गांव के बाहर से खरीदना पड़ा था। मुसलिम बच्चे, गांव के स्कूल में पढ़ नहीं सकते थे। गत 1 जुलाई को इस गांव में फिर सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई। सीएएसएस के एक दल, जिसमें यह लेखक, संध्या महात्रे और नेहा दाबड़े शामिल थे, ने 17-18 अगस्त को अटाली पहुंचकर वहां के सभी समुदायों के सदस्यों के साथ बातचीत की। हम इस चर्चा के चुनिंदा अंश यहां प्रस्तुत कर रहे हैं।

पुलिस की भूमिका यह महत्वपूर्ण...