अयोध्या विवाद: इतिहास और प्रकृति

भाग-2

इरफान इंजीनियर

(पिछले अंक से जारी)

सन 1934 में अयोध्या के निकट शाहजहाँपुर गाँव में हुए गोधूल के बाद भजके दंगों में एक हिंदुस्‍क भीड़ ने मस्जिद की चारदिवारी के कुछ हिस्सों को गिरा दिया और उसके गुंबदों को क्षति पहुँचाई। मस्जिद की मरम्मत सरकार ने की।

सन 1949 के 22 दिसंबर तक मुसलमान बाबरी मस्जिद में नमाज अदा करते थे।

बाईस दिसंबर, 1949 की रात, भागवान श्रीरामचंद्र की मूर्तियों चुपचाप मस्जिद के अंदर स्थापित कर दी गईं।

अयोध्या पुलिस स्टेशन के कांस्टेबल ने अगली सुबह उच्चाधिकारीयों को इसकी सूचना दी। जिला magistrate के.के. नय्यर ने मुख्य्मंत्री और मुख्य सचिव को घटित जानकारी देते हुए रेडियोग्राम से निम्न संदेश भेजा—

‘‘कुछ हिंदू रात में बाबरी मस्जिद में उस समय घुस गए जब कोई नहीं था और उन्होंने अंदर एक मूर्ति स्थापित कर दी। डीएम और एसपी घटना के समय मस्जिद में 15 पुलिस वालों की एक तुकड़ी मौजूद थी। स्थिती नियंत्रण में है।’’

के.के. नय्यर, जिन्होंने बाद में जनसंघ के टिकट पर अयोध्या से लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा ने अपनी डायरी में लिखा—

‘‘भीड़ ने जबर्दस्ती अंदर घुसने की हर संभव कोशिश की। ताला तोड़ दिया गया। पुलिसकर्मियों ने तुरंत कार्यवाही की। हम सभी अधिकारियों...