इन दिनों सँपेरों का राज है…करे क़ानून का बखान/ है अंगूठे पर संविधान/ डिवाइड एंड रूल/ जनता ब्लडी फूल
इन दिनों सँपेरों का राज है…करे क़ानून का बखान/ है अंगूठे पर संविधान/ डिवाइड एंड रूल/ जनता ब्लडी फूल

इन दिनों
सँपेरों का राज है
जो गूँगा है बहरा है
इसीलिये जनता की
जबान पर
सख़्त पहरा है
जो उड़ाये खिल्ली
उसे दूरबीन से देखती है
दिल्ली
और अपना तमाम शिशटम (सिस्टम)
खींच कर मुँह पर फेंकती है
उनके झोले में काग़ज़ के साँप हैं
मंतर मारने में वो सबका बाप है
उनकी ख़िलाफ़त में जो आता है
वो अपनी चिकनी चीभ से चाटकर
पीठ पर मज़हब चिपकाता है
करे क़ानून का बखान
है अंगूठे पर संविधान
डिवाइड एंड रूल
जनता ब्लडी फूल
धर्म की अफ़ीम चटी
हमेशा से बंटी-बंटी
विवेक बुद्धि तर्क
मंदिर के अहाते में
भूसा चबाता है
गाय की पूँछ से बँधा देश
रम्भा कर सर हिलाता है
डॉ. कविता अरोरा
Next Story


