गोडसे@गांधी.कॉम
गोडसे@गांधी.कॉम
गोडसे@गांधी.कॉम का सफलतापूर्वक मंचन
वर्धा। महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150 वीं जयंती समारोह के अंतिम दिन यानि 3 अक्तूबर को असगर वजाहत द्वारा लिखित नाटक गोडसे @ गांधी . कॉम का मंचन गालिब सभागार में किया गया । प्रस्तुत नाटक एक काल्पनिक घटना पर आधारित है जो नाथूराम गोडसे द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को गोली मारने के साथ शुरू होती है। बापू उसकी गोली से मरते नहीं बल्कि होश में आने पर वो सबसे पहले गोडसे के बारे में जानना चाहते हैं। वो कुछ समय बाद वर्तमान भारतीय सरकार से गोडसे से जेल में मिलने की अनुमति मांगते हैं। लेकिन उनकी जान को गोडसे से खतरा है कहकर उन्हें रोकने की कोशिश की जाती है। अपनी मांग को लेकर गाँधी अनशन पर बैठ जाते हैं और अंततः सरकार को झुकना पड़ता है। गाँधी गोडसे से मिलने उसके वार्ड में पहुँचते हैं।
नाट्य प्रस्तुति का निर्देशन प्रदर्शनकारी कला विभाग (फ़िल्म एवं रंगमंच) के शोधार्थी नितप्रिया प्रलय तथा आशीष कुमार ने किया। मुख्य भूमिकाओं में आशीष, प्रवीण, सुप्रिया, जिगर, हर्षित, दिवाकर, अर्पित, महिपाल, सर्वेश, अजय , शिल्पा, शिव, तारकेश्वर , दीपक, भूषण, दीपा, नितप्रिया, मयूर आदि थे । नेपथ्य हर्षित, रूबीना, राजू, पीयूष, दीपा, सुनीता आदि ने संभाला। सह-निर्देशन शिल्पा भगत तथा अर्पित राज ने किया । सुनील, श्वेता, विजय, तथा शालिनी ने प्रस्तुति सहायक के रूप में कार्य किया। बाँसुरी वादन श्याम प्रकाश ने किया।
नाटक के बारे में निर्देशक नितप्रिया प्रलय ने बताया कि “असग़र वजाहत के मौलिक नाट्यलेखों की परंपरा में “गोडसे @ गाँधी. कॉम” एक अत्यंत महत्वपूर्ण नाटक है। यह नाटक बड़े फ़लक पर गाँधीवाद को परिभाषित और व्याख्यायित करते हुए उसकी संपूर्ण संभावनाओं तथा सीमाओं पर सार्थक प्रश्न उठाता है। इसमें वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था का सतर्क रचनात्मक विश्लेषण किया गया है। उदार हिंदुत्व बनाम कट्टर हिंदुत्व की बहस का इस नाटक में एक नया आयाम दिखता मिलता है। साथ ही साथ इस नाटक में एक मार्मिक प्रेम कहानी भी विकसित होती रहती है”।
प्रस्तुति के दौरान दर्शक के रूप में शोधार्थी, विद्यार्थी, तथा शिक्षकगण की उपस्थिति प्रशंसनीय रही।
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