मेरे पैरों में डालकर बेड़ियाँ,

वे कहते हैं, गर्व से, कि

पायलें आज चाँदी की हो गयीं।

और हाथों में पहनाकर हथकड़ियाँ,

वे कहते हैं, चुपके से, कि

चूड़ियाँ काँच से सोने की हो गयीं॥

और जो पहनाई नाक में, एक चुन्नी,

बड़े चाव से, चुपके से मेरे,

खुद ही हँस पड़े खिलखिलाकर कि

ये भी पत्थर से हीरे की हो गयी॥

जो देख लिया उन्होंने चुपके से,

मुझे भरते माँग उस रात,

लो बोल पड़े उनके जज़्बात, कि

तू तुलसी मेरे आँगन की हो गयी॥

मोना अग्रवाल