प्रभाष जोशी भाषायी पत्रकारिता में धर्मनिरपेक्षता के प्रतीक पुरुष बन जाते हैं !!!
प्रभाष जोशी भाषायी पत्रकारिता में धर्मनिरपेक्षता के प्रतीक पुरुष बन जाते हैं !!!
हस्तक्षेप पर प्रभाव जोशी के बारे में चर्चा चल रही है। हमारे सम्मानीत स्थम्भकार डॉ. प्रेम सिंह ने ब्लगरिया से इस बहस में हस्तक्षेप करते हुए एक लेख भेजा है। यह लेख प्रभाव जोशी के निदान पर नवम्बर 2009 में लिखी गई श्रध्दांजलि है जो युवा संवाद में प्रकाशित हुई थी। डॉ. प्रेम सिंह का मानना है कि प्रभाव जोशी नवउदारवाद के हमले का विरोध और आलोचना गिरीब भारत की जमीनी पर खड़े होकर करते हैं।
जानना प्रभाव जोशी का
स्मृति-लेखा
प्रभाष जी के अच्छानक निदान का समाचर ईमेल से शिक्ष्क साथी काण्हाराम मीणा से मिला। ‘...एक बहुत बुरी खबर है। हमारे प्रभाष जी नहीं रहे।’ चेक्सलोवाकिया की राजधानी प्राग की उस सुबह हमने धीरे से कुमकुम को यह दुखद खबर सुना दी। फिर नेटा पर उनके निदान का समाचर पढ़ लिया। वीरेन विदेश में प्रभाष जी की मौत की खबर पाकर जो संतानाप हुआ, उसके जिक्र का कोई मायना नहीं है। एकबारगी रिक्त हो गए मन में आया कि तत्त्काल कुछ नहीं कहना है; कुछ नहीं लिखना है। जब निरंतर नाता ही तोड़ गया तो किसके लिए कहना; किसके लिए लिखना है! कहाँ लौट कर उनसे टूटी कर मिलाना था, कहाँ अंतिम दर्शन भी नहीं हुए। कुमकुम ने बात चलानी चाही, लेकिन चली नहीं। सोच लिया ‘समय-संवाद’ में भी प्रभाष जी के चले जाने पर अभी नहीं लिखूंगी। भारत लौट कर आगे कभी उनके होने की सार्थकता का स्मरण कर पाऊँगी।
मंदी के दौर में अमेरिकी हथियारी उद्योग की...


