सरकार को निमेष कमीशन रिपोर्ट के सौंपे जाने के एक साल पूरे होने पर भी अमल न करना उसके इंसाफ विरोधी होने का सुबूत- मो0 शुऐब

लखनऊ 31 अगस्त। आज के ही दिन एक साल पहले 31 अगस्त 2012 को जस्टिस आरडी निमेष ने मरहूम मौलाना खालिद और तारिक कासमी की फर्जी गिरफ्तारी पर मार्च 2008 में गठित आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट को अखिलेश सरकार को सौंपा था। आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने के सवाल पर सत्ता में आई अखिलेश सरकार एक साल बीत जाने के बाद भी आज तक उस पर कार्यवाई न कर सकी बल्कि वह खालिद मुजाहिद की हत्या में शामिल विक्रम सिंह, बुजलाल, मनोज कुमार झा जैसे पुलिस व आईबी अधिकारियों को बचाने की हर सम्भव कोशिश कर चुकी है।

रिहाई मंच के अध्यक्ष मो0 शुएब ने कहा कि बेगुनाहों को न्याय दिलाने के लिये चल रहे संघर्ष के 100 वें दिन हमने मार्च करके सरकार को चेतावनी दी है कि वो निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर अमल करे। अगर सपा सरकार ने वादे के मुताबिक मानसून सत्र में निमेष कमीशन पर अमल करने में फिर से कोई वादा खिलाफी की तो अवाम विधान सभा को घेरने के लिये तैयार है इस बात को अखिलेश सरकार को समझ लेना चाहिए।

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं राजीव यादव और शाहनवाज आलम ने कहा कि जिस तरीके से यासीन भटकल की गिरफ्तारी को लेकर गृहमंत्रालय और आईबी ने इसे बड़ी कामयाबी कहा है और उसे एनआईए के हवाले किया गया है ऐसे में जरूरी हो जाता है कि यासीन भटकल को पनाह देने में चाहे वो सीतापुर के बशीर हमन, शकील हों या फिर दरभंगा के फसीह, कफील हो, इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज के नेतृत्व में विशेष जांच आयोग का गठन किया जाये क्योंकि यासीन भटकल पर आईबी द्वारा प्लांटेड होने के गम्भीर आरोप लगते रहे हैं। यहां तक कि यासीन से मिलने-जुलने के नाम पर जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया उन लोगों के परिजन तक बताते हैं कि यासीन किसी को इंजीनियरिंग तो किसी को होटल बिजनेस के नाम पर उनसे घुला-मिला।

प्रवक्ताओं ने कहा कि अगर वो किसी से अपनी पहचान छुपा कर मिले ही नहीं बल्कि शादी तक कर ले तो इसका मतलब यह नहीं हो जाता कि वो परिवार भी दोषी है। यहाँ एक गंभीर सवाल और है कि विकास वैभव नाम के आईपीएस अधिकारी जो इस वक्त एनआईए में हैं वो 2011 में दरभंगा में तैनात थे जिनके एनआईए में जाने के बाद से ही यासीन भटकल जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वो दरभंगा में इमरान के नाम से रहता था वह जिससे मिला उसे गिरफ्तार कर लिया गया। यह एक जाँच का विषय है क्योंकि यासीन आईबी की गिरफ्त में है। ऐसे सवाल पहले भी उठते रहे हैं और इसी दौरान उसे कोलकाता में एक मामले में गिरफ्तार भी किया गया था और बाद में वहाँ छोड़ दिया गया था। ऐसे बहुत से सवाल हैं जो इस बात की जाँच को बाध्य कर रहे हैं कि इस व्यक्ति को लेकर एक जाँच कराई जाए। उन्होंने कहा कि जैसा कि भटकल दौरे के दौरान मालूम चला कि वहाँ पर सुरेश नाम के एक खुफिया अधिकारी ने इनको अपने घेरे में लिया और उसके बाद जिस तरीके से उसके दरभंगा जाने और विकास वैभव के एनआईए में जाने के बाद पूरे नेटवर्क को एस्पोज करने का दावा किया गया और फिर जिस तरीके से नेपाल बार्डर के मोतिहारी से उसकी गिरफ्तारी की बात कही जा रही है जबकि नेपाली मीडिया में यह बात आ रही है कि यासीन को नेपाल में पकड़ा गया।

इंडियन नेशनल लीग के अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि मुसलमानों को आतंकवादी और आदिवासियों को माओवादी कहकर एलर्ट जारी करने वाली एजेंसियां आखिर आसाराम बापू के मुद्दे पर इनपुट देती नहीं नजर आ रही हैं। आखिर बलात्कार का एक अभियुक्त कैसे हवाई अड्डे पर जाता है और यात्रा भी कर लेता है और आईबी अब तक कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं जारी कर पाती और न ही आसाराम के लोकेशन का पता वो मोबाइल के जरिए जान पा रही है, जैसा कि वो मुस्लिम नौजवानों को आतंकवाद के नाम पर झूठा फँसाने के वक्त करती है।

मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद फारुकी और भारतीय एकता पार्टी के सैयद मोइद अहमद ने कहा कि पिछले दिनों लियाकत शाह मामले में एनआईए ने दिल्ली स्पेशल सेल के अधिकारियों से पूछताछ की। लेकिन जाँच को वहीं रोकने की कोशिश की जा रही है क्योंकि जिस लियाकत को होली के मौके पर दिल्ली दहलाने के नाम पर नेपाल बॉर्डर से पकड़ा और इस मामले मे जामा मस्जिद इलाके से एक होटल से हथियारों की बरामदगी दिखाई थी, जिसमें दिल्ली स्पेशल सेल ने एक सीसीटीवी फुटेज भी दिखाया था कि एक व्यक्ति टोपी पहनकर होटल में हथियार रखने जा रहा है उसने होटल के रजिस्टर में अपना पता दिल्ली स्पेशल का कार्यालय लिखवा दिया था। जिससे साफ हो जाता है कि दिल्ली स्पेशल सेल और खुफिया एजेंसियाँ किस तरह से आतंकवाद के मामले में खतरनाक हथियारों के साथ बेगुनाहों को फँसाती हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार सचमुच आतंकवाद से लड़ने में ईमानदार है तो दिल्ली स्पेशल सेल से हुयी पूछ ताछ को सार्वजनिक करे और दिल्ली स्पेशल सेल के अपराधी पुलिस अधिकारियों पर सख्त कार्यवायी करे।

धरने के समर्थन में शाहाबाद से आए इकबाल अहमद और मदरसा अरबिया तरतिलउल कुरआन के मैनेजर मौलाना शम्सुज्जुहा पिहानवी ने कहा कि मुसलमानों ने इस देश की आजादी के लिये लाखों की तादाद में कुर्बानियाँ दीं लेकिन आज हमारे बच्चे अपनी धार्मिक पहचान के कारण जेलों में डाले जा रहे हैं। यह उन मूल्यों के खिलाफ है जिसके लिये इस देश के लोगों आजादी की लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को सभी पार्टियों ने सिर्फ मोहरे के बतौर इस्तेमाल किया है।

नेशनल पीस फेडरेशन के डॉ0 हारिस सिद्दीकी और आमिर महफूज ने कहा कि जिस तरीके से आज आरडी निमेष द्वारा सरकार को रिपोर्ट सौंपे एक साल हो गया है और सरकार ने अमल नहीं किया और दोषी पुलिस अधिकारियों को बचाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं ऐसे मे रिहाई मंच द्वारा कल से चलाये जा रहे पखवाड़े भर के जन जागरुकता अभियान के तहत हम अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचेंगे। हम जनता को गोलबंद करेंगे कि वो मानसून सत्र के दौरान रिहाई मंच के प्रदर्शन में भारी संख्या में शिरकत करें और अगर सपा सरकार निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर अमल करने से पीछे हटी तो हम विधानसभा नहीं चलने देंगे और विधानसभा को घेर कर बैठ जायेंगे। हम अब यह नहीं होने देंगे कि हमारे बेगुनाह जेल में हों और वादा फरामोश सरकार के साथ हमारे वोटों से भेजे गये विधायक और मंत्री विधानसभा में मौज करें। जिस तरीके से सपा के विधायक अभी गोवा में पकड़े गये उससे साथ हो जाता है कि सपाई प्रदेश के हलात किस तरह से बद से बदतर करने की कोशिश में लगे हैं।

यूपी की कचहरियों में 2007 में हुये धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फँसाये गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवाई रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने की माँग को लेकर रिहाई मंच का धरना शनिवार को 102 वें दिन भी जारी रहा।

धरने के संचालन राजीव यादव ने किया। धरने में शाहाबाद के इकबाल अहमद, शमसुज्जहा, कमरुद्दीन कमर, प्रबुद्ध गौतम, अमित मिश्रा, कमर सीतापुरी, मो0 सुलेमान, मुहम्मद शुएब, मऊ के महमूद आलम, इरफान शेख, मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद फारुकी, नेशनल पीस फेडरेसन के डा0 हारिस सिद्दीकी, भारतीय एकता पार्टी सैयद मोईद अहमद, आमिर महफूज और शाहनवाज आलम ने शिरकत की।