मुस्लिम समुदाय पर केंद्रित दो आयोजन

–इरफान इंजीनियर

इस साल मई और जून में मैंने दो सम्मेलनों में भाग लिया। दोनों का आयोजन ऐसी संस्थाओं द्वारा किया गया था, जिनका नेतृत्व मुसलमानों के हाथों में है और जिनकी स्थापनाओं का उद्देश्य मुसलमानों से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श करना है। मैं जान बूझकर इन्हें मुस्लिम संगठनों कहने से बच रहा हूँ क्योंकि इन दोनों ही संगठनों से हिंदू भी जुड़े हुए हैं।

इनमें से पहला था 29-30 मई को आयोजित ‘मौलाना आजाद विचार मंच’ का अधिवेशन और दूसरा, 15-16 जून को आयोजित ‘तंज़ीम-ए-इस्लाम’ का सम्मेलन। इन दोनों संगठनों से जुड़े एजेंडों में कई समानताएँ भी हैं और महत्त्वपूर्ण अंतरों भी। उनकी रनीतिकाएँ भी अलग-अलग हैं। सबसे पहले मैं दोनों सम्मेलनों का संक्षिप्त विवरण देना चाहूँगा।

‘मौलाना आजाद विचार मंच’ ने मुंबई में मुस्लिमों में शिक्षा पर केंद्रित सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन का उद्घाटन भारत के उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी ने किया। सम्मेलन को संबोधित करने वालों में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी और कई अन्य केन्द्रीय और महाराष्ट्र के मंत्रियों शामिल थे। उद्घाटन व समापन सत्रों में लगभग चार हजार लोग उपस्थित थे जबकि अन्य सत्रों में लगभग कई सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। संद सादस्यों सहित अनेक प्रतिभागियों ने सम्मेलन में शिक्षा पर केंद्रित समीक्षाएँ प्रस्तुत कीं।

‘मौलाना आजाद विचार मंच’ ने मुम्बई में मुसलमानों में शिक्षा पर केंद्रित सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन का उद्घाटन भारत के उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी ने किया। सम्मेलन को संबोधित करने वालों में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी और कई अन्य केन्द्रीय और महाराष्ट्र के मंत्रियों शामिल थे। उद्घाटन व समापन सत्रों में लगभग चार हजार लोग उपस्थित थे जबकि अन्य सत्रों में लगभग कई सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। संद सादस्यों सहित अनेक प्रतिभागियों ने सम्मेलन में शिक्षा पर केंद्रित समीक्षाएँ प्रस्तुत कीं।