Swaroop Kumari Bakshi was the epitome of secularism

लखनऊ, 23 जून 2021. स्वरूप कुमारी बक्शी धर्मनिरपेक्षता की प्रतिमूर्ति थीं. उनके प्रयासों से ही उत्तर प्रदेश में उर्दू को नारायण दत्त तिवारी जी की कांग्रेस सरकार में दूसरी सरकारी ज़बान का दर्जा दिया गया था.

ये बातें वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री प्रमोद तिवारी ने कहीं। वे कल यहां अल्पसंख्यक कांग्रेस द्वारा पूर्व मन्त्री और कांग्रेस नेता रहीं स्वर्गीय स्वरूप कुमारी बक्शी के जन्मदिन पर आयोजित वेबिनार 'बक्शी दीदी और उनकी विरासत' में अपने विचार प्रकट कर रहे थे.

Former congress leader swaroop kumari bakshi didi

श्री तिवारी ने कहा कि स्वरूप कुमारी बक्शी जी एक मात्र विधायक और मन्त्री थीं जिन्हें विपक्ष के लोग भी विधान सभा के अंदर भी नाम ले कर संबोधित नहीं करते थे. उन्हें सभी लोग दीदी के नाम से ही संबोधित करते थे, जो उनकी लोकप्रियता और सर्व स्वीकार्यता को दर्शाता है.

पूर्व मन्त्री श्रीमती दीपा कौल ने कहा कि मन्त्री और विधायक रहते बक्शी दीदी ने आधुनिक लखनऊ की बुनियाद रखी थी. उन्होंने लखनऊ में न सिर्फ़ डॉ भीम राव अम्बेडकर विश्वविद्यालय की नींव रखी बल्कि फैज़ाबाद, कुमायूँ और गढ़वाल में भी विश्वविद्यालय बनवाया. उन्होंने गरीब परिवारों, विधवाओं, बुज़ुर्गों और कुष्ठ रोगियों के आर्थिक सहयोग के लिए योजनाएं बनवाई. स्लम में रहने वालों को बिना विस्थापित किये उनके नाम पट्टे दिलवाये.

अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी बक्शी दीदी के जन सेवा के उदाहरण को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी जी के नेतृत्व में घर-घर तक पहुंचा रही है. कोरोना संकट में कांग्रेस द्वारा किया जा रहा जन सेवा इसकी मिसाल है.

वेबिनार का संचालन प्रोफेशनल कांग्रेस के प्रदेश संयोजक सेवा निवृत आईएएस डॉ अनीस अंसारी ने किया. उन्होंने बक्शी दीदी के साहित्यिक पहलू पर चर्चा की.

वेबिनार में स्वरूप कुमारी बक्शी की बेटी उषा मालवीय, प्रोफेसर उषा सिन्हा, वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ ओपी शर्मा, पूर्व कांग्रेस प्रदेश महासचिव डॉ प्रदीप अरोड़ा, कांग्रेस जन व्यथा सेल के संजय शर्मा, लखनऊ के पूर्व ज़िला अध्यक्ष शिराज़ वली खान, अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश महासचिव खालिद मोहम्मद, प्रदेश सचिव मोहम्मद उमैर, मोहम्मद आलम आदि ने भी अपने विचार रखे.