अब शौचालयों के लिए पांत में खड़ी कारपोरेट कंपनियां
अब शौचालयों के लिए पांत में खड़ी कारपोरेट कंपनियां
सलेम के खिलाफ जिहाद की वजह से कोलकाता वेस्ट को प्रेतनगरी बनाकर बाटा उपनगरी के लिए सिंगापुर की जीआईएस से 200 करोड़ झटक लिये दीदीदी ने
पलाश विश्वास
15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से कहा था कि सरकार योजना आयोग को खत्म करने वाली है और इसकी जगह कोई नई संस्था बनाई जाएगी। आज पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर नई संस्था के बारे में जनता से सुझाव मांगे हैं। मोदी ने ट्वीट कर कहा कि देश की जनता योजना आयोग की जगह लेने वाली नई प्रस्तावित संस्था पर अपने सुझाव भेजें। नई संस्था राज्यों की भागीदारी बढ़ाने वाली और 21 वीं सदी के भारत की उम्मीदों को पूरा करने वाली होगी। mygov.nic.in पर इसके लिए फोरम शुरू किया गया है। आप अपना सुझाव वहां दे सकते हैं।
लालकिले की प्राचीर से प्रधान स्वयंसेवक ने जो शौचालय विकास का मुक्तबाजारी सारतत्व का गीतोपदेश मेकइन इंडिया फर्मैट में दिया, उसका पीपीपी रेसपांस मीडिया में शौचालय विमर्श की क्रांति अंजाम फहराने लगा है। इस पर पुराने समाजवादी पत्रकार प्रशांत भूषण जी ने आज के जनसत्ता में संपादकीय आलेख में सिलसिलेवार चर्चा की है। आपको कोई खास तलब महसूस हो तो इस आलेख को जरूर पढ़ लें।
केसरिया एनजीओ नेटवर्किंग का नया थ्री डी आयाम है यह और अपनी सरकार के डिजिटल पोर्टल में भी विकास कामसूत्र का यह अध्याय जनसहयोगे नये सिरे से लिखे जाने की तैयारी है।
मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में इंडिया इंक से देश भर में मॉडर्न सैनिटेशन सुविधाएं देने में मदद करने का आह्वान किया था। कॉरपोरेट जगत ने इस दिशा में पहले करने में देरी नहीं की और देश में साफ-सफाई के लिए बड़ा खर्च करने का वादा किया है। टीसीएस, भारती एयरटेल, एचयूएल, आदित्य बिड़ला ग्रुप, आईटीसी, अडानी और डाबर उन बड़ी कंपनियों में शामिल हैं, जिन्होंने सैनिटेशन सुविधाओं के लिए सीएसआर के तहत भारी खर्च करने या मौजूदा प्रोग्राम्स को अपग्रेड करने का वादा किया है। ये सुविधाएं खासतौर पर ग्रामीण भारत में लड़कियों और महिलाओं के लिए होंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान में कॉरपोरेट इंडिया भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। टीसीएस औरभारती फाउंडेशन गांवों और स्कूलों में शौचालय बनवाने पर 100-100 करोड़ रुपये खर्च करेंगी। टीसीएस ये रकम देश भर में 10,000 स्कूलों में शौचालय बनाने पर खर्च करेगी तो भारती फाउंडेशन लुधियाना के गांवों और स्कूलों में शौचालय बनवाएगी।
मेरा आलेख का मुद्दा बेहद गुरुगंभीर है इसलिए डिनर के पहले फलरस की तरह उस पर तनिक चर्चा की इजाजत चाहता हूं।
मेरी मां का मैका ओड़ीशा के कटक जिले के बारीपदा में है, मैंने कई बार लिखा है। मेरे गांव में कोई शौचालय नहीं रहा है। लेकिन हमारे डाक्टर चाचा दिवंगत छोटो काका छोटे बड़े से लेकर घर भर के स्त्री पुरुषों की शौच का इंतजाम को पहली प्राथमिकता देते थे। हालांकि कमोड की व्यवस्था न थी, लेकिन घिरा हुआ शौचालयघर में शुरु से था।
हमारे छोटो काका भी गजब के थे। विश्व साहित्य का चस्का उन्होंने ही हमें लगाया तो हरित क्रांति के मुकाबले उनकी कारस्तानी ही कुछ और थी। वे घनघोर नास्तिक थे और विशुद्धता के खिलाफ पुरदस्तूर म्लेच्छ। हम भी अपने चाचा के नक्शकदम पर चलते रहे हैं।
बचपन से लेकर अब तक मुसलमान, ईसाई और आदिवासी परिवारों के साथ अंतरंग पारिवारिक ताल्लुकात रखने की वजह से बंगाली शरणाऱ्थियों के उस गांव में भी हमारे परिवार में जाति धर्म भाषा की दीवारें तोड़कर शादी व्याह की शर्त लगाने वाली बंगाली कम पश्चिम उत्तर प्रदेश की चौधरानी ज्यादा सविता बाबू मोदी को उनके हिंदुत्व एजंडे के लिए खासा नापंसद करती हैं। हम लोगों ने बांग्लादेशी कथाकार अबू बकर सिद्दीकी का शौचालय क्रांति पर लिखी लाजवाब कहानी भी पढ़ रखी है। इसके बावजूद लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री की इस शौचालय क्रांति का उन्होंने तहेदिल से स्वागत किया और बोली कि स्त्री सशक्तीकरण के लिए यह अनिवार्य है।
लेकिन जब इस शौचालय क्रांति से जुड़े कारपोरेट और पीपीपी फंडा की बातें हमने शुरु की, फौरन उनका बयां था कि यह तो महिलाओं के कंधे पर बंदूक रखकर देश बेचने का कार्यक्रम है।
मेरे घर में चारों तरफ सांपों की अबाध अविराम आवाजाही के बावजूद सर्पदंश से हम मुक्त रहे हैं। लेकिन हमने बसंतीपुर में ही दूसरे घरों में सर्पदंश से नीले पड़ झाग उगलते लोगों को चंद मिनटों में दम तोड़ते देखा है।
वे सारे किसान हैं।
हम अंधेरी ग्रीष्म की अमावस्या रातों में भी बिना टार्च खेतों के मेढ़ों पर, नहरों के किनारे बेखौप चलते रहे हैं, जहां सांपों की मौजूदगी सबसे ज्यादा होती है।
हम बचपन में कभी भी सर्पदंश के शिकार हो सकते थे। सांपों के डेरे हमारे लिए खेलागर थे। एक साथी तो खेलते-खेलते हमारी आंखों के सामने सर्पदंश से सिधार गया। तब सर्पदंश से नहीं डरे तो अब सांपों से क्या डरना।
हमारी पढ़ाई और रोजगार को हमारे परिवार के लोग कृषि से अलहदा नहीं मानते थे।
नैनीताल में हमें जाड़ों की दो महीने की छुट्टियां मिलती थीं तो गर्मियों में भी छुट्टियां। इस अवधि में परीक्षाओं की तैयारी से ज्यादा जरुरी था हमारे लिए खेतों खलिहानों में मौजूदगी, खेत के काम में हाथ बंटाना।
आज हम जो देश भर में किसान, कामगार कर्मचारी और आमजनता को सर्पदंश से दम तोड़ते देख रहे हैं, वह बसंतीरुर के अवस्थान से ही और कोलकाता का इस नजरिये में कोई अवदान नहीं हैं।.हम अगर सिरे से बदतमीज है तो इस बदतमीजी का संक्रमण छात्रजीवन में अनवरत गिर्दा सोहबत से ही हुआ है।
योजना आयोग केसरिया मुक्तबाजारी पंच परमेश्वर में समाहित करने के बाद सेनसेक्स की अभूतपूर्व उछालमध्ये गजब अजब प्रेमकथाएं खुलने लगी हैं देश विदेश, ऐसे कि रणवीर कपूर और कैटरिना मलंग भी शर्माने लगे।
मसलन आपके घर शौचालय बनाने के लिए कारपोरेट कंपनियों की पांत खड़ी इंतजार में तो कंपनियों को दो-दो सौ फीसद मुनाफा।
हरित क्रांति के बाद अब जीएम मनसेंटो क्रांति से भारतीय कृषि के कफन में आखिरी कीलें ठोंकने का पुरअसर इंतजाम हीरक बुलेट स्मार्ट सिटी सेज महासेज औद्योगिक गलियारा मध्ये।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको का राष्ट्रीयकरण खारिज करने के लिए नायक कमिटी की सिफारिशें लागू करने की राजन कवायद तेज, जैसा कि हस्तक्षेप में हमने पहले सूचना दी और आज फिर इकोनामिक टाइम्स में स्टोरी है कि कैसे आरबीआई कानून बदलकर सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के प्रबंधन में प्राइवेट खिलाड़ियों पिलाड़ियों की तदर्थ नियुक्तियां परमानेंट करने की प्लानिंग है।
मसलन मंहगाई, मुद्रास्फीति के मद्देनजर कारपोरेट फायदे के लिए मौद्रिक कवायद मध्ये रेटिंग एजंसियों के हवाले वृद्धि संकट और मंदी के बहाने जोर मुनाफावसूली के शोर शराबे के साथ संसाधनों की खुली लूट, पर्यावरण का सत्यानाश और बेदखली के लिए सैन्य राष्ट्र का निरंतर युद्ध, पाक चीन हौआ और अक्लांत सैन्यीकरण का भारत अमेरिका परमाणु संधि और अमेरिकी तेल युद्ध में शिरकत के साथ इजराइल के साथ बेशर्म युगलबंदी।
अब मध्य भारत में बागी आदिवासियों से निपटने के लिए सोनी सोरी बंदोबस्त और सलवाजुड़ुम के बाद नगा टुकड़ियां भी और वे जिस जमीन से है, वह जमीन की भी विडंबना घनघोर कि कश्मीर और समूचे पूर्वोत्तर की तरह सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून आफसा के तहत मानवाधिकार और नागरिक अधिकारों से वंचित है और वहीं इरोम शर्मिला चौदह वर्षों से आफसा खत्म करने के लिए आमरण अनशन पर हैं।
बजरिये रेटिंग एजंसियों के दबाव और वैश्विक इशारों के मुताबिक गरीबी उन्मूलन, शहरी विकास, ग्रामोन्वयन, डिजिटल बायोमेट्रिक देश, ई गवर्नेंस के साथ ईटेलिंग, विनियंत्रण, विनियमन, निवेश, विनिवेश, एफडीआई, पीपीपी माडल गुजराती महाभारत पुनरूत्थान मध्ये और अनियंत्रित वित्तीय घाटा घनघोर के वावजूद लाखों करोड़ सालाना कारपोरेट कंपनियों को टैक्स छूट, ऊपर से लाखों का बैंक लोन राइट आफ और राजस्व घाटा के बहाने सब्सिडी खत्म करने के लिए डायरेक्ट कैश टू होम के साथ बिजनेस टू होम और कैसलिक्विडिटी का कारपोरेट रेसपांसिबिल फंडा।
इस पर तुर्रा भुगतान संतुलन संकट और आउटसोर्सिंग के झमेले मध्य कृषि और उत्पादन विकास दर का झमेला।
मसलन भारतीय राजकोष खाल्ली आपदाओं से निपटने के लिए और राज्यों के सत्ता समीकरण साधने के पैकेज बांटो कलाकौशल मध्ये डायरेक्ट टैक्स कोड, जीएसटी के ढोल नगाड़े के मध्य बीमा, पेंशन, भविष्यनिधि से लेकर ग्रेच्युटी और सगरी जमापूंजी बाजार में झोंकने का सारतत्व और देश को बाजार में तब्दील करके हिंदू राष्ट्र हासिल करने का देशभक्त धर्मोन्माद और नित्य नूतन भागवत पाठ।
मसलन अमेरिकी युद्धक अर्थव्यवस्था को जमानत के लिए देश रासचाइल्डस और राकफेलर के हवाले तो भारतीय राजकोष अमेरिकी कंपनियों के म्युचुअल फंड में।भारत अमेरिकी निजी कंपनियों के म्युचअल फंड में नसबसे बड़ा निवेशक तो म्युचअल फंड को सेविंग्स का विकल्प बनाने का आत्मघाती जनविकल्प बीमा को शेयर बाजार से नत्थी करके प्रीमियम तक का मोहताज बनाने के मध्य।
मसलन गंगटोक के बाद शिमला की बारी। कदम-कदम पर पहाड़ चढ़ने उतरने को टैक्सी की सवारी। शिमला में तो टैक्सी भी शीटैक्सी है और पर्यावरण की चर्चा के स्त्रीविरोधी हो जाने का खतरा भी है। लेकिन इस दिल का क्या करें जनाब जो नैनी झील में कैद है और जो अविराम भू मलबा स्खलन की शिकार है।
डर बस इतना सा है कि जब नैनीताल, दार्जिलिंग और मंसूरी में भी पगडंडियों पर दौड़ेंगी टैक्सियां तो सही मायने में केदर जलप्रलय का विकेंद्रीकरण हो जायेगा।
मसलन सलेम के खिलाफ जिहाद की वजह से कोलकातावेस्ट को प्रेतनगरी बनाकर बाटा उपनगरी के लिए सिंगापुर की जीआईएस से 200 करोड़ झटक लिये दीदीदी ने। दीदी अब सही मायने में पीपीपी दीदीदी हैं।
दीदी के राजकाज के घनघोर आलोचक चैनल और अखबार भी दीदीदी के संगी हैं और सबका सुर सुर में मिला बंगाल में निवेश विनिवेश पीपीपी राज को गुजरात माडल से महकाने लगा है। हर अखबार बंगाल में पांचजन्य है या आर्गेनाइजर।
सिंहद्वार पर जो अश्वमेधी आठ घोड़े सजे थे, वे भी यकबयक परिवर्तन की हवा में उड़ गये।
ताजा स्टेटस यह है कि दीदी की गैरहाजिरी में शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम राज्य प्रशासन के कर्णधार हैं।
ताजा स्टेटस यह है कि फिलिमस्टार अपर्णा सेन और मंत्री श्यामाप्रसाद उर्फ श्यामापद से पूछताछ के बाद आज शारदा फर्जीवाड़े के कर्णधार सुदीप्त सेन ने बीच बजरिया हांडी फोड़ ही दी कि सांसद अभिनेत्री क शारदा समूह ब्रांड एंबेसैडर बतौर हर महीने दो लाख रुपये का भुगतान करता रहा है।


