"अमिट संबंध" : आत्मा-परमात्मा | "Indelible relation": soul-divine

वसु बहती नद्य-नीलिमा मैं,

तुम अम्ब धवल विस्तार प्रिय |

शीशोद्गम श्यामल उर्मि मैं,

तुम नीलकंठ कामारि प्रिय ||

तुम अम्ब धवल विस्तार प्रिय ||

मैं बहुल वर्ण खग-मृग विचरित,

तुम अमिट सकल संसार प्रिय |

मैं श्वेत-छवि द्वि-ध्रुव-ध्वनि हूँ ,

तुम महाखण्ड आकार प्रिय ||

तुम अम्ब धवल विस्तार प्रिय ||

Samiksha Thakur समीक्षा ठाकुर समीक्षा ठाकुर

प्रति अक्षि-हृय हिमनद सम है,

तुम उदयित पारावार प्रिय |

मैं कुमुद बनी,तुम मधुप बनो,

ज्यों अंजन-दृग श्रंगार प्रिय ||

तुम अम्ब धवल विस्तार प्रिय ||

समीक्षा ठाकुर

नाथ-नगरी, बरेली, उत्तर-प्रदेश, भारतवर्ष