आईपीएफ की मणिपुर हिंसा में सीएम और गृह मंत्री अमित शाह की भूमिका की जांच की मांग
देश | राज्यों से | समाचार IPF demands role of CM and Home Minister Amit Shah in Manipur violence. मणिपुर में जारी हिंसा के लिए सदियों से मैत्री भाव में रहने वाले लोगों की सद्भावना नष्ट करने वाली हिन्दुत्व की राजनीति को आइपीएफ ने जिम्मेदार माना है।

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मैत्री भाव को नष्ट कर रही हिन्दुत्व की राजनीति
मणिपुर हिंसा में सीएम और गृह मंत्री अमित शाह की भूमिका की हो जांच
प्रदेशव्यापी आवाहन पर विभिन्न जिलों में राष्ट्रपति को आइपीएफ ने भेजा अनुरोध पत्र.
लखनऊ, 25 जुलाई 2023. आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने मणिपुर की निरंतर बढ़ रही हिंसा पर पुनः अपनी चिंता व्यक्त की है और हर हाल में मिजोरम में यह हिंसा न फैले इसकी अपील उत्तर पूर्व की लोकतांत्रिक शक्तियों से की है। मणिपुर में जारी हिंसा के लिए सदियों से मैत्री भाव में रहने वाले लोगों की सद्भावना नष्ट करने वाली हिन्दुत्व की राजनीति को आइपीएफ ने जिम्मेदार माना है।
आइपीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी ने यह जानकारी प्रेस को जारी अपने बयान में दी।
उन्होंने कहा कि दरअसल भाजपा की अगुवाई में चल रही केन्द्र और राज्य की सरकार हिन्दुत्व की राजनीति को परवान चढ़ाने में लगी है जिसका मुख्य उद्देश्य दूसरे धार्मिक विश्वास में लगे हुए लोगों के धार्मिक स्थलों को तोड़ना और उन्हें सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से दोयम दर्जे का नागरिक बना देना है। इसी वजह से मणिपुर में 200 से अधिक चर्च जला दिए गए, अफवाहें फैलाई गईं, लोगों की हत्याएं हुईं, महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाया गया और जला दिया गया। इसलिए जरूरी है कि राष्ट्रपति भारत गणराज्य मणिपुर में शांति और न्याय स्थापित करने के लिए हस्तक्षेप करें। जाहिरा तौर पर मणिपुर में जारी हिंसा में वहां के मुख्यमंत्री और केन्द्र सरकार के गृह मंत्री की भूमिका की जांच हो और दोषी लोगों को दण्डित किया जाए। आज राष्ट्रपति महोदया को इस आशय का अनुरोध पत्र पूरे प्रदेश में आइपीएफ कार्यकर्ताओं द्वारा जिला प्रशासन के माध्यम से भेजा गया।
अनुरोध पत्र में कहा गया कि मणिपुर की घटना पर लम्बे समय तक मौन रहने वाले सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी आश्चर्य नहीं पैदा करती। ऐसे मामलों में चुप रहना ही उनकी राजनीति रही है, गुजरात इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। मणिपुर पर संसद में बहस तक नहीं होने दी जा रही है ताकि यह सरकार वहां जातीय धुव्रीकरण करती रहे और 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी स्थिति को मजबूत करे। ऐसी स्थिति में जब संसद में भी बहस की इजाजत नहीं है तब संविधान के गरिमामयी जीवन की गारंटी करने वाली संस्थाओं को आगे आना होगा और मणिपुर में हिंसक वारदात करने वालों को दण्डित करना होगा। यह वाजिब ही है कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सीधे हस्तक्षेप करके अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। इसलिए राष्ट्रपति मणिपुर में शांति और न्याय के लिए हस्तक्षेप करें।
प्रदेश के विभिन्न जिलों में हुए कार्यक्रमों का नेतृत्व लखीमपुर खीरी में प्रदेश अध्यक्ष डा. बी. आर. गौतम, लखनऊ में वर्कर्स फ्रंट अध्यक्ष दिनकर कपूर, सीतापुर में प्रदेश महासचिव डा. बृज बिहारी, सुनीला रावत, गया प्रसाद, सोनभद्र में जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, शिव प्रसाद गोंड़, रंजू भारती, आगरा में महासचिव इंजीनियर दुर्गा प्रसाद, चंदौली में अजय राय, रहमुद्दीन, प्रयागराज में राजेश सचान, इंजीनियर राम बहादुर पटेल, मऊ में प्रदेश उपाध्यक्ष इकबाल अहमद अंसारी, युवा मंच की सविता कुमारी व सुगवंती गोंड़ ने किया।


