ऐन बंगाल चुनाव से पहले बंगाली राष्ट्रपति संघ की भाषा बोलते नजर आ रहे !
ऐन बंगाल चुनाव से पहले बंगाली राष्ट्रपति संघ की भाषा बोलते नजर आ रहे !
राष्ट्रपति का फतवा बाबरी विध्वंस से मनुष्यता के युद्ध अपराधियों को सरेआम बरी कर देने की कार्रवाई
बेदखल नेताजी विरासत और शारदा दफा रफा परिदृश्य में तेज वर्गी हमले में बंगाल को मनुस्मृति हवाले करने के बाद राष्ट्रपति का फतवा बाबरी विध्वंस से मनुष्यता के युद्ध अपराधियों को सरेआम बरी कर देने की कार्रवाई है।
शारदा मामला दफा रफा, बदले में बंगाल मनुस्मृति के हवाले, असुर विनाशाय अकाल बोधन, दुर्गाभक्त विरोधियों सेनिपट लेंगे।
पलाश विश्वास
डोनाल्ड ट्रंप भले इलेक्शन जीत जायें और अमेरिका के राष्ट्रपति बन जायें, उनकी औकात नहीं है कि अमेरिका को इतिहास के खिलाफ खड़ा करके मुसलमानों का सफाया कर दें।
अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति बराक ओबामा न सिर्फ अश्वेत हैं, वे मुसलमान की जैविकी संतान भी है और अमेरिकी लोकतंत्र ने उन्हें चुना है।
यह बात आप भारत के असल डोनाल्ड के बारे में दावे के साथ गुजरात नरसंहार और बाबरी विध्वंस के बाद हरगिज नहीं कह सकते, जो दसों दिशाओं में घुसकर मुसलमानों के सफाये के हिंदुत्व एजंडे को अंजाम दे रहे हैं।
बंगाल का चुनाव हिंदू शरणार्थी वोटों के दम पर लड़ रही है बजरंगी ब्रिगेड और हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने का लालीपाप।
जिन्हें नागरिकता देनी थी, उन्हें नागरिकता देने में गजब की फुर्ती और बंगाली शरणार्थियों को नागरिकता देने के मामले में चुनाव प्रचार की राज्यसभा में बहुमत नहीं है।
आर्थिक सुधार लागू करने में हर नाजायज लूट तंत्र मंत्र यंत्र को लागू करने की नरसंहारी प्रगति में राज्यसभा या समूची संसद आड़े नहीं आती। अबाध पूंजी प्रवाह लोटा कंबल विरासत के खिलाफ है। लखटकिया सूट वसंत बहार है। कारपोरेट हिंदुत्व का जलवा है।
फिर भी बंगाल में और बंगाल के बाहर दलित हिंदू शरणार्थी बजरंगी ब्रिगेड की पैदल फौजें हैं।
इस पर तुर्रा यह कि घुसपैठियों को बलात्कारियों के तर्ज पर फांसी पर लटकाने का आतंक विरोधी जंग से खुश हैं दलित।
उन्हें भी 2003 में घुसपैठिया कर चुकी है हिंदुत्व की सत्ता ने, अब उन्हें यह भी याद नहीं और भगवाकरण में ही उनके लिए नागरिकता की सुगंध महमहा रही है और उनके बीच कहीं नहीं वाम। सारे बजरंगी उनके मंचों पर हैं, जहां हम नहीं जा सकते।
दलित अगर सपने में भी देश भर में एकसाथ मनुस्मृति के खिलाफ बाबासाहेब के जाति उन्मूलन के एजंडा के तहत खड़े हो जायें तो यह सुनामी तुरंत हवा हवाई हो जायेगी।
अंबेडकरी तमाम एटीएम दुह रहे दूल्हों दुल्हनों और बारातियों के कारोबार के खिलाफ नील झंडों के साथ दलित, पिछड़े और आदिवासी एकसाथ सड़कों पर उतरें तो हम भी देख लेंगे कि कातिलों के बाजुओं में दम कितना है।
बंगल में दावा है अंबेडकर जयंती, अंबेडकर परानिर्माण दिवस, संविधान दिवस और दीक्षा दिवस सरकारी पैसों से मनाने वाले कितने संगठन हैं, हम नहीं जानते लेकिन दावा तीन लाख का है।
इसके बावजूद दुर्गाभक्तों का आवाहन रोहित वेमुला के लिए न्याय मांगने वालों से निपटने खातिर तो समझिये कि कितने अंबेडकरी हैं दलित, जिनके लिए रिजर्वेशन और कोटा के लिए बाबासाहेब और उनकी प्रतिमा, उनका बौद्ध धर्म अनिवार्य लगता है, लोकिन जाति अस्मिता के दायरे में वे खुशी-खुशी हिंदुत्व का नर्क जी रहे हैं और मनुस्मृति का मुकाबला करने का कोई इरादा उनका नहीं है।
गौर करें, बंगाल के दलितों पिछड़ों में अभी रोहित वेमुला के लिए न्याय की मांग इक्की दुक्की फेसबुक टिप्पणी तक सीमित हैं और इसीलिए असुर प्रजातियों के महाविनाश के लिए मनुस्मृति का यह निरिविरोध अकाल बोधन बंगाल के धर्मनिरपेक्ष परिवर्तन राज काज में।
बंगाल का चुनाव हेतु असुर विनाशाय अकाल बोधन हो गया है और दुर्गाभक्त विरोधियों से निपट लेंगे।
रोहित वेमुला के लिए न्याय की गुहार के साथ भारतभर में जारी अभूतपूर्व जनांदोलन और अस्मिताओं को तहस नहस करके छात्र युवाओं की वैश्विक गोलबंदी को अभियुक्त मनुस्मृति ने निर्विरोध तमाशा करार दिया और ऐलान किया कि इस तमाशे का जवाब दुर्गाभक्त करेंगे।
धर्मोन्मादी ध्रुवीकरण का वर्गी हमला बिना प्रतिरोध जारी है।
इसी के मध्य संघ की भाषा बोलते नजर आ रहे हैं ऐन बंगाल चुनाव से पहले बंगाली राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जिन्हें राजनीति में इंट्रोड्यूस किया इंदिरा गांधी ने और उनके कैबिनेट में वे दो नंबर थे। तबसे उनने कांग्रेस का नमक कम नहीं खाया।
गौरतलब है कि मनमोहन सिंह के मत्रिमंडल में वित्तमंत्री की हैसियत से उठाकर कांग्रेस ने ही उन्हें भारत का राष्ट्रपति बनाया।
अब देश में जब कांग्रेस तहस-नहस है और नेताजी फाइलों के बहाने नेहरु गांधी का श्राद्ध कर्म चुनाव अभियान है, तब बाबरी विध्वंस के लिए राजीव गांधी और नरसिम्हाराव को जिम्मेदार बताकर हिंदू ह्दय सम्राट के राजकाजी अश्वमेध में वे स्वमेव भीष्म पितामह हैं, भले ही संघ परिवार उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति बनाये या न बनाये, उनकी मर्जी।
बेदखल नेताजी विरासत और शारदा दफा रफा परिदृश्य में तेज वर्गी हमले में बमगाल को मनुस्मृति हवाले करने के बाद राष्ट्रपति का फतवा बाबरी विध्वंस से मनुष्यता के युद्ध अपराधियों को सरेआम बरी कर देने की कार्रवाई है।
शारदा फर्जीवाड़ा का मामला रफा दफा है। सिर्फ सांसद कुमाल घोष जेल में हैं और बाकी महामहिम लोगों के खिलाफ चुनाव प्रचार अभियान के तहत धर्मोन्मादी आरोप प्रत्यारोप के अलावा कोई चार्जशीट नहीं है सीबीई चूं चूं के मुरब्बे में।
जेल से रिहाई की गरज से अतिविशिष्ट तमगा से निजात पाने के लिए जेल से मंत्रित्व करने वाले ने मंत्रित्व पद छोड़ दिया है और वे फिर उसी पुराने क्षेत्र से सत्तादल के उम्मीदवार बन गये हैं।
मुकुल राय से ममता बनर्जी की दूरी खत्म है और दीदी ने आज तृणमूल भवन धूमधाम से फिर उनके हवाले कर दिया है।
इसके बदले में बंगाल मनुस्मृति के हवाले है।
बजरंगियों को खुली छूट है कमल खिलखिलाने के और जो फासिज्म के खिलाफ बोले, उनकी धुन डालने की।
अस्त्र शस्त्र सज्जित हिंदुत्व ब्रिगेड वाम को चुनौती भी दे रहा है कि विरोध करने की जुर्रत भी करके दिखायें।
चूंकि जनमजात हिंदू हूं तो हिंदू भाइयों और बहनों, हम हिंदू हितों के खिलाफ हो नहीं सकते।
न हम गोमांस उत्सव मना रहे हैं। हम मनुष्य मात्र की आस्था का सम्मान करते हैं हालांकि हमारी आस्था अंध भक्ति नहीं है।
हिंदू दर्शन के मुताबिक अंतःश्चेतना ही ईश्वरीय शक्ति है और वही विवेक का आधार है।
हमारी आस्था वहीं अंतःश्चेतना है जो हिंदुत्व की ही नहीं, भारतीयता की परंपरा है, जो मूल्यबोध और नैतिकता की वह जमीन है, जहां हम पैदा हुए हैं।
हम अति तुच्छ प्राणी मात्र हैं और न पुरस्कृत हैं और न सम्मानित। न प्राप्त कर रहे हैं और न लौटा रहे हैं।
हमारे पास दरअसल ऐसी कोई पूंजी है नहीं। हम तो हिंदुत्व की त्याग परंपरा, संत परंपरा के मुताबिक जिंदगी के लिए लोटा कंबल काफी मानते हैं और बाकी दुनिया हमारी है, मन और मस्तिष्क में ईश्वर भक्ति हो या न हो, जप तप, भजन, पूजा, गंगा स्नान करें या न करें, मनुष्यता और प्रकृति से तार जुड़े होने चाहिए।
हमारे मुनि ऋषि प्रकृति के साथ तादात्य के तहत ही जीवन दर्शन सिरज गये हैं। आरण्यक सभ्यता हमारी भावभूमि है और हिमालय हमारी देवभूमि है।
कृपया इस पर गौर करें कि हमारी बात को सहिष्णुता असहिष्णुता की कसौटी पर कसने के बजाय इस देश की परंपरा, हिंदू धर्म के मूल्यों और इतिहास की कसौटी पर कसें तो आप हमें चाहे राष्ट्रद्रोही मानें या हिंदूद्रोही।
फिर आप मनुष्यता और प्रकृति के विनाश के उत्सव को तब धर्म कर्म नहीं मान सकते और न जनसंहार के अधर्म को हिंदुत्व का राजकाज।
अतिथि देवो भव अब अतुल्य भारत के विज्ञापन तक सीमाबद्ध है
अतिथि देवो भव भारत की अनूठी परंपरा है जो अब अतुल्य भारत का विज्ञापन तक सीमाबद्ध है और हम शरणार्थियों की नागरिकता से वंचित करने के लिए न केवल संविधान बदल चुके हैं, मुक्तबाजार के लिए अनंत बेदखली अभियान को हम अपना जनादेश दे चुके हैं और देश के भीतर ही शरणार्थियों की जमात ऐसी पैदा कर रहे हैं कि अब कहना मुश्किल है कि कौन शरणार्थी है और कौन नागरिक।
क्योंकि नागरिक और मानवाधिकार हिंदुत्व के नाम निलंबित है लोट कंबल विरासत के देश में अबाध पूंजी प्रवाह और बेलगाम निर्मम मुनाफावसूली के लिए।
तेल की कीमतें गिरी हैं और तेल पी रहे लोग मध्य एशिया का तेल युद्ध भारत में स्थानांतरित कर रहे हैं।
बंगाल में तो अति हो रही है धर्म और धर्मनिरपेक्षता दोनों बहाने। प्रगति के बहाने विशुध अस्पृश्यता और बहिस्कार यहां राजकाज है तो विकास मुक्तबाजार है।
गौर करें कि अभी बंगाल के छात्र युवा देशभर में दलित या दलित नहीं या ओबीसी या धर्मांतरित जैसी पहचान के दायरे तोड़कर मनुस्मति राज को खत्म करने के लिए सड़कों पर हैं।
जादवपुर विश्वविद्यालय और प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय जैसे विश्वविख्यात शिक्षा संस्थानों के छात्र अनशन पर हैं और भारत भर में अव्वल नंबर शिक्षा प्रतिष्ठान आईआईटी खड़गपुर के छात्र और शिक्षक अपना विरोध जता रहे हैं।
बंगाल में वाम राज के अवसान के बाद मान लेते हैं कि प्रगति और वाम हाशिये पर है, पर यहां भी धर्मनिरपेक्षता का राजकाज है।
पहले तो खास कोलकाता में धर्मनिरपेक्ष राजकाज की उपस्थिति में पुलिस खड़ी-खड़ी देखती रही और रोहित के लिए न्याय मांग रहे छात्रों को बजरंगियों ने धुन डाला।
कामदुनि के बलात्कार कांड के खिलाफ आवाज उठाने वाली ग्रामीण महिलाओं को पहले तो माओवादी घोषित कर दिया, सलवा जुड़ुम के तहत देशभक्त बलात्कार की दलीलों के तहत, कल जब इस मामले में अदालत ने अभियुक्तों को सजा सुनायी, तो पुलिस हिरासत में दोषी करार दिये गये बाहुबलि ने कामदुनि की बाकी औरतों को भी उसी अंजाम तक पहुंचाने की गब्बर स्टाइल चुनौती दे दी।
मान लेते हैं कि यह कानून व्यवस्था की पेचदगी है जो बंगालभर में अभूततपूर्व हिंसा का सबब है। लेकिन जिनके इस्तीफे के लिए सारी दुनिया उथल पुथल है वे बंगाल में दुर्गाभक्तों का आवाहन कर गयी तमाशाइयों से निपटने के लिए, समझें कितना कटकटेला अंधियारा है यह अभूतपूर्व हिंदुत्व समय हिंदू राष्ट्र का।


