जन धन डकैती का चाकचौबंद स्थाई बंदोबस्त
रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा शेयर बाजार, नीतिगत दरों में कटौती के बाद सेंसेक्स पहली बार 30000 के पार
कारपोरेट मुनाफा के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को मुख्य नीतिगत दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की।
खुशी मनाइये कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को 9-10 प्रतिशत वृद्धि दर्ज करने और अगले दशक तथा इसके बाद भी इस वृद्धि दर को बरकरार रखने की जरूरत है ताकि बेहतर बुनियादी ढांचा मुहैया कराया जा सके एवं गरीबी कम की जा सके।
बजरंगी हुए मध्यवर्गीय निम्नमध्यवर्गीय हिंदुत्ववादी राष्ट्रवादियों को जोर का झटका कितना आहिस्ते लगेगा, बता नहीं सकते।
कारपोरेट दुनिया, विदेशी पूंजी और कालाधन वर्चस्व के अबाध पूंजी प्रवाह के लिए कर ढांचे में आतंक राज खत्म है और कारपोरेट कर छूटों का सिलसिला जारी रहना है।
मौद्रिक नीतियां भी तदनुसार बाजार की जरुरत के मुताबिक समायोजित होती रहेगी।
बुलरन काधमाल जारी रहना है और बहुत जल्द सेनसेक्स पचास पार होने की तरफ दौड़ रहा है।
निफ्टी सारे रिकार्ड तोड़ने जा रहा है।
विकास दर में हम चीन से चार कदम आगे बढ़ने वाले हैं।
वित्तीय और राजस्व घाटा शून्यमुद्दास्पीति की तर्ज पर शून्य घोषित किये जाने के डैटा पाइपलाइन में हैं तो उत्पादन के आंकड़े भी तदनुसार होंगे।
डाउ कैमिकल्स ने कैशलैस समाज का नारा दिया है जो शोषणविहीन वर्गविहीन जाति विहीन समाज का विकल्प है एकदम संघ परिवार के विकल्प बतौर उभरे आप की तरह।
खास बात यह है कि बगुला संप्रदाय ने मध्यवर्ग की रीढ़ उनके धर्मोन्मादी कायाकल्प से बेहद मजबूत कर दी है और अर्थव्यवस्था का सारा बोझ इसी गधा पर लाद दिया जाना है।
नीति बन गयी है कि बुल रन से पूरी मुनाफावसूली होने तक व्यक्तिगत करों में यानी खासतौर पर आयकर दरों में कोई छूट भविष्य में दी नहीं जायेगी।
बजाये इसके निवेशकों की आस्था डगमगाने वाले टैक्स टैरर खत्म करने के लिए कारपोरेट दुनिया के लिए निरंतर छूट और प्रोत्साहन का सिलसिला जारी रहना है।
मोरारजी देसाई, वीपीसिंह और अटलबिहारी सरकारों की तरह शक्तिमान नमो सरकार को राज्यसभा में एकजुट विपक्ष के मुकाबले करारी शिकस्त मिल गयी है लेकिन बशर्म सरकार को इससे जनसंहारी नीतियां और सुधार जारी रखने से कोई रोक पायेगा, इसके आसार नहीं है।
माकपा के संशोधन प्रस्ताव पर खास माकपा की सबसे बड़ी दुश्मन ममता बनर्जी की हिदायत पर माकपा के समर्थन में तृणमूल सांसदों मने वोट डाले हैं, इससे बंगाल में केसरिया सुनामी रुक जायेगी , यह जैसे फिलहाल असंभव है, वैसे ही पिछले दरवाजों और खिड़कियों और रोशनदानों से संशोधन के साथ तमाम लंबित विधेयकों को लोकसभा में फिर पास कराकर संसद के संयुक्त अधिवेशन में सुधार के सारे अवरोध उड़ाने का मास्टर प्लान है जिसके मुकाबले क्षत्रपों के निजी हित और अहंकार के मुकाबले विपक्ष की यह अस्थाई एकता नाकाफी है।
राज्यसभा में सरकार की हार दरअसल कोई खबर ही नहीं है। असली खबर डिजिटल बायोमैट्रिक तिलिस्म का है, जिसके तहत जल जमीन जंगल प्रकृति पर्यावरण और राष्ट्र को विदेशी पूंजी के हवाले करने के अबाध राष्ट्रवादी हिंदुत्ववादी राष्ट्रद्रोह के साथ साथ बेदखली अभियान के सलवा जुड़ुम और आफसा माहौल में जनधन डकैती का मुकम्मल तिलिस्म तैयार हो गया है।
नजारा जो है, वह कुछ इस तरह का है कि लोकसभा ने माइंस एंड मिनरल्स डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट (एएमडीआरए) में संशोधन को मंजूरी दे दी। इस संशोधन का मकसद देश में खदानों के आवंटन में पारदर्शिता लाना है। साथ ही कुछ और अहम बिल भी लोकसभा में पेश हुए हैं, जिन पर चर्चा चल रही है।
वहीं सरकार के एजेंडे में अभी इंश्योरेंस संशोधन बिल, कोल माइनिंग बिल, मोटर व्हीकल संशोधन बिल और जमीन अधिग्रहण बिल शामिल हैं, जिन्हें सरकार पास कराना चाहती है।
पलाश विश्वास