जीवन के लिए पर्यावरण को बचाना जरूरी – मारुति चितमपल्ली
जीवन के लिए पर्यावरण को बचाना जरूरी – मारुति चितमपल्ली

वर्धा, 4 जून 2018 : जीवन के लिए पर्यावरण को बचाना जरूरी है। पर्यावरण पर हो रहे अतिक्रमण से मनुष्य के साथ प्राणियों के जीवन पर भी संकट आ रहा है। उक्त बातें अरण्यऋषी मारुति चितमपल्ली ने कहीं। वे महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में पर्यावरण सप्ताह (Environment Week at Mahatma Gandhi International Hindi University) के अंतर्गत पर्यावरण प्रेमी तथा विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ आयोजित चर्चा में बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने की।
इस अवसर पर प्रतिकुलपति प्रो. आनंद वर्धन शर्मा तथा प्रदर्शनकारी कला विभाग के एक्जंक्ट प्रो. राकेश मंजुल उपस्थित थे।
विश्वविद्यालय के नागार्जुन अतिथि गृह के प्रांगण में रविवार, 3 जून को सुबह 6.30 बजे आयोजित चर्चा में वर्धा स्थित वैद्यकीय जनजागृति मंच के अध्यक्ष डॉ. सचिन पावड़े, मंगेश दिवटे, डॉ. निखील ताल्हन, रोशन देशमुख, महेश अडसुले, बोबडे, प्रशांत वाडिभस्मे, निसर्ग सेवा समिति के अध्यक्ष मुरलीधर बेलखोडे, जानकीदेवी बजाज फाउंडेशन के महेंद्र फाटे, बहार नेचर फाउंडेशन के दीपक गुढेकर, अविनाश भोळे, मोहम्मद अब्दुल जलील अश्विन श्रीवास, आर्किटेक्ट रवींद्र पाटिल, साहित्य और सांस्कृतिक मंच के पदमाकर बाविस्कर, पब्लिक रिलेशंस सोसायटी ऑफ इंडिया, वर्धा चैप्टर के प्रफुल्ल दाते, प्रमुखता से उपस्थित थे।
Many problems are arising due to environmental problems in India.
मारुति चितमपल्ली ने उपस्थितों के साथ पर्यावरण को लेकर विभिन्न बातों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में पर्यावरण की समस्याओं की वजह से अनेक समस्याएं पैदा हो रही हैं। कार्बनडाय ऑक्साइड एवं मोनाक्साइट की मात्रा बढ़ रही है जिससे जीवन के लिए आवश्यक ऑक्सिजन में कमी हो रही है। हमें बदगद, पिपल, नीम आदि पेड़ो को लगाना चाहिए जो अधिक मात्रा में ऑक्सिजन देते हैं।
अध्यक्षीय वक्तव्य में कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने कहा पर्यावरण की चिंता विश्वविद्यालय के केंद्र में है। इसलिए हम आस-पास के समाज को लेकर इसपर मंथन करते रहते हैं। यह चर्चा भी इसी का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ दूरियां बढ़ती ही जा रही हैं। हम विकास की दौड़ में भाग रहे हैं और प्रकृति को नजरअंदाज कर रहे हैं। ऐसे में जरूरत इस बात कि है कि आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित पर्यावरण देने के लिए हम अभी से सचेत हो जाए और प्रकृति से नाता जोड़ें। उन्होंने कहा कि हमारी रक्षा पर्यावरण की रक्षा के बिना असंभव है। आज-कल पानी के अभाव में विस्थापन हो रहा है और पर्यावरण के प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र में दिखायी पड़ रहे हैं। उन्होंने प्लास्टिक कचरा, नदियों के प्रदूषण आदि पर चिंता व्यक्त करते हुए अपनी बात रखी।
प्रतिकुलपति प्रो. शर्मा ने कहा कि पर्यावरण, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी समस्याओं को लेकर विश्वविद्यालय लोगों में जागरूकता लाने का काम करता रहता है। हम चाहते हैं कि पर्यावरण को बचाने के लिए हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। उन्होंने आहवान किया कि आने वाले दिनों में वृक्षारोपण का व्यापक अभियान लिया जाएगा जिसमें अधिक से अधिक पर्यावरण प्रेमी, सामाजिक संगठनों और विद्यार्थी सहभागिता कर पर्यावरण के प्रति उत्तरदायित्व का निर्वहन करें। कार्यक्रम का संचालन जनसंपर्क अधिकारी बी. एस. मिरगे ने किया तथा आभार राष्ट्रीय सेवा योजना एवं पर्यावरण क्लब के संयोजक राजेश लेहकपुरे ने माना। विश्वविद्यालय की इस पहल की उपस्थितों से प्रशंसा की।
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