फर्जी राष्ट्रवाद नहीं चलेगा, जो भारत माता का अपमान करेगा उस सत्ता का विरोध किया जाएगा
फर्जी राष्ट्रवाद नहीं चलेगा, जो भारत माता का अपमान करेगा उस सत्ता का विरोध किया जाएगा
वैशाली की नगरवधू और सोप ओपेरा में तब्दील लोकतंत्र का बेनकाब चेहरा
हकीकत की जमीन, हिमांशु कुमार की जुबान :-
अगर आप किसी पतीली में उबलते हुए पानी में मेढक को डाल दें तो वह मेढक झट से कूद कर बाहर आ जाएगा,
लेकिन अगर आप एक पतीली में ठंडा पानी भरें और उसमें एक मेंढक को डाल दें
और उस पतीली को आग पर रख दें तो मेढक बाहर नहीं कूदेगा
और पानी उबलने पर मेढक भी उसी पानी में मर जाएगा
ऐसा क्यों होता है ?
असल में जब आप मेढक को उबलते हुए पानी में डालते हैं तो वह जान बचाने के लिए बाहर कूद जाता है।
लेकिन जब आप उसे ठन्डे पानी में डाल कर पानी को धीरे धीरे उबालते हैं
तब मेढक अपने शरीर की ऊर्जा खर्च कर के अपने शरीर का तापमान पानी के तापमान के अनुसार गरम करने लगता है।
धीरे-धीरे जब पानी इतना गर्म हो चुका होता है कि अब मेढक को जान बचाना मुश्किल लगने लगता है तब वह पानी से बाहर कूदने का इरादा करता है,
लेकिन तब तक उसमें कूदने की ऊर्जा नहीं बची होती।
मेढक अपनी सारी ऊर्जा पानी के तापमान के अनुरूप खुद को बदलने में खर्च कर चुका होता है...
और मेढक को गर्म पानी में उबल कर मर जाना पड़ता है
यह कहानी आपको सुनानी ज़रूरी है
अभी भारत के नागरिकों को भी गरम पानी की पतीली में डाल दिया गया है
और आंच को धीरे-धीरे बढ़ा कर पानी को खौलाया जा रहा है
भारत के नागरिक अपने आप को इसमें चुपचाप जीने के लिए बदल रहे हैं,
लेकिन यह आंच एक दिन आपके अपने अस्तित्व के लिए खतरा बन जायेगी
तब आपके पास इसमें से निकलने की ताकत ही नहीं बची होगी
मैं आपको कुछ उदाहरण देता हूँ
सरकार ने अमीर कंपनियों के लिए छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासियों के साढ़े छह सौ गाँव जला दिए
सारे देश नें चुपचाप सहन कर लिया
सरकार ने आदिवासियों को गाँव से भगाने के लिए महिलाओं से बलात्कार करना शुरू किया
सारे देश नें चुपचाप सहन कर लिया
सरकार ने आदिवासियों के लिए आवाज़ उठाने के लिए सोनी सोरी को थाने में ले जाकर बिजली के झटके दिए
और उसके गुप्तांगों में पत्थर भर दिए
सारे देश ने सहन कर लिया
अब सरकार नें सोनी सोरी के चेहरे पर एसिड डाल कर जला दिया
हम सब चुप हैं
सरकार अमीर सेठों के लिए ज़मीन छीनती है
हम चुप रहते हैं
सरकार के लोग दिल्ली की अदालतों में लोगों को पीट रहे हैं हम चुप हैं
हम चाहते हैं हमारा बेटा बेटी पढ़ लिख लें
हमारे बच्चों को एक नौकरी मिल जाए
हमारे बच्चे सेटल हो जाएँ बस।
हम क्यों पचडों में पड़ें
हम महज़ पेट के लिए चुप हैं।
कहाँ गया हमारा धरम, नैतिकता, बड़ी-बड़ी बातें ?
मेढक की तरह धीरे-धीरे उबल कर मर जायेंगे
लाश बचेगी बस
पता भी नहीं चलेगा अपने मर जाने का
लाश बन कर जीना भी कोई जीना है
जिंदा हो तो जिंदा लोगों की तरह व्यवहार तो करो
संदर्भ :
‘वैशाली की नगरवधू’ चतुरसेन शास्त्री की सर्वश्रेष्ठ रचना है। यह बात कोई इन पंक्तियों का लेखक नहीं कह रहा, बल्कि स्वयं आचार्य शास्त्री ने इस पुस्तक के सम्बन्ध में उल्लिखित किया है -
मैं अब तक की अपनी सारी रचनाओं को रद्द करता हूँ, और वैशाली की नगरवधू को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूँ।
भूमिका में उन्होंने स्वयं ही इस कृति के कथानक पर अपनी सहमति दी है -
यह सत्य है कि यह उपन्यास है। परन्तु इससे अधिक सत्य यह है कि यह एक गम्भीर रहस्यपूर्ण संकेत है, जो उस काले पर्दे के प्रति है, जिसकी ओट में आर्यों के धर्म, साहित्य, राजसत्ता और संस्कृति की पराजय, मिश्रित जातियों की प्रगतिशील विजय सहस्राब्दियों से छिपी हुई है, जिसे सम्भवत: किसी इतिहासकार ने आँख उघाड़कर देखा नहीं है।
वैशाली की नगरवधू में वैजयंती माला का अभिनय और नृत्य का स्मरण हो आया। यह उस लोकतंत्र की कथा है, जिसमें शासक नगरवधू का निर्वाचन करता था और लोकतंत्र में वैशाली की नगरवधू की भूमिका भी निर्णायक होती है और उसकी उस भूमिका का चरमोत्कर्ष वैशाली का विध्वंस है।
आज फिर लोकतंत्र में अभिनय दक्षता निर्णायक होती जा रही है। आवेश, आवेग और मुद्राओं का लोकतंत्र है यह, जहां चिंतन-मनन, सत्य-असत्य मतामत सहमति विरोध जैसे तमाम लोकतांत्रिक शब्द बेमायने हैं।
संवाद और स्मृति और अभिनय के साथ मुद्राओं की पेशावर दक्षता से जनता का दिलोदिमाग दखल कर लो और यही निर्णायक है।
अब संसदीय बहस के लिए बेहद जरूरी है कि सभी पक्ष जनता की नुमाइंदगी के लिए पेशेवर अभिनेता और अभिनेत्रियों को चुन लें, क्योंकि इस लोकतंत्र में फिर वही वैशाली की नगरवधू की पूनम की रात है।
हिमांशु जी ने अभी अभी सोनी सोरी को मिले धमकी भरे पत्र को शेयर किया है, हकीकत की जमीन पर लोकतंत्र का यही असल चेहरा है, संसदीय सोप ओपेरा तो अभिनय दक्षता की टीआरपी है।
सोनी सोरी के घर पर नया धमकी का पत्र। अपनी बेटी को गार्ड देकर खुश मत हो। तेरा बेटा भी है और तेरी बहनें भी हैं।
हिमांशु जी ने लिखा हैः
राष्ट्र हित सत्ता से बड़ा होता है।
राष्ट्र को नुकसान पहुंचाने वाली सत्ता को उखाड़ फेंकना ही राष्ट्र की सबसे बड़ी भक्ति है
-चाणक्य
इसलिए जो भारत माता का अपमान करेगा उस सत्ता का विरोध किया जाएगा।
और भारत माता कौन है?
भारत माता भारत की महिलाएं हैं,
भारत माता वो महिला है जो दूसरों की टट्टी उठा रही है,
भारत माता वो महिला है जो ईंट भट्टे पर काम कर रही है और मजदूरी मांगने पर जिसके साथ भट्टा मालिक द्वारा बलात्कार किया जाता है,
भारत माता वो महिला है जिसे पुलिस वाला सत्ता की मदद से पीट रहा है,
भारत माता वो महिला सोनी सोरी है जिसके मुंह पर सत्ता के गुंडे कालिख और एसिड मल रहे हैं।
भारत माता वो महिलाएं हैं जो अपनी बेटियों के साथ सैनिकों द्वारा बलात्कार करने के बाद नग्न होकर खुद के साथ बलात्कार करने की चुनौती देने को मजबूर हैं।
भारत माता खेतों मे काम करने वाली महिलाएं हैं, जो दिन भर मेहनत करने के बाद भी एक समय खाना खा पाती हैं।
कैलेंडर छाप धर्म।
और कैलेंडर छाप राष्ट्रवाद नहीं चलेगा।
सब कुछ असली चाहिए
राष्ट्र्वादी हो तो राष्ट्र की महिलाओं के साथ होने वाले ज़ुल्मों के खिलाफ आवाज़ उठानी पड़ेगी।
राष्ट्र की महिलाओं की योनि में पत्थर भरने वाले सिपाहियों का समर्थन और भारत माता की जय का नारा एक साथ नहीं चलेगा।
फर्जी राष्ट्रवाद नहीं चलेगा।
हमारे पुरखों ने भारत की आज़ादी की लड़ाई लड़ी थी
इसलिए हमें भारत माता की जय के नारे लगा कर अपनी राष्ट्रभक्ति दिखाने की ज़रूरत नहीं है।
लेकिन तुम्हारे पूर्वज उस वक्त अंग्रेजों से माफियां मांग रहे थे
इसलिए तुम अपना एतिहासिक अपराध छिपाने के लिए भारत माता की जय के फर्जी नारे लगाते हो ताकि सब तुम्हें राष्ट्रभक्त मान लें।
हम ये होने नहीं देंगे
फर्जी राष्ट्रवाद नहीं चलेगा।
पलाश विश्वास