ब्रिटिश-साम्राज्यवाद के एजेंट हिन्दुत्ववादी शक्तियों से सावधान
ब्रिटिश-साम्राज्यवाद के एजेंट हिन्दुत्ववादी शक्तियों से सावधान
रामनामी ओढ़कर, बधिक मत बने
रणधीर सिंह सुमन
भारतीय संसद में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बड़े गर्व से कहा कि संविधान में 'धर्मनिरपेक्षता' शब्द का सबसे ज्यादा दुरूपयोग हुआ है इस शब्द के दुरूपयोग को रोका जाए।
ऐसा बोलते वक्त कहीं न कहीं उनके मन की कसक छलक आयी। आजादी की लड़ाई के लिए नौजवानों को रोकने का प्रयास किया था और कहा था कि हिन्दुत्व मुख्य चीज है और हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा को पेश किया था।
ब्रिटिश-साम्राज्यवाद से हिन्दुत्ववादी शक्तियों को कोई दिक्कत नहीं थी।
‘सेकुलरिज्म’ संविधान की प्रस्तावना में ही निहित है, जिसका आशय यह है कि ‘देश का कोई धर्म नहीं है देश में रहने वाले विभिन्न धर्मों के नागरिकों को अपने-अपने धर्म है नागरिकों द्वारा माने जा रहे धर्म उसके अपने हैं वह अपने जीने के पद्धति राज्य के हस्तक्षेप के बगैर स्वतंत्रपूर्वक करेगा।
एक तरफ संविधान दिवस मनाया जा रहा था दूसरी तरफ संविधान को किस तरह से समाप्त किया जाए उसकी भी साजिश की जा रही थी। डा. भीमराव अम्बेडकर द्वारा निर्मित संविधान को रामनामी लोगों ने कभी माना नहीं है।
राजस्थान में भाजपा सरकार ने उच्च न्यायालय के सामने ‘मनु महाराज’ की मूर्ति स्थापित कर यह सन्देश दिया था कि देश का संविधान ‘मनुस्मृति’ होना चाहिए। यह पीड़ा इनके हमेशा भाषणों में भी झलकती रहती है। यह देश को मनुस्मृति संविधान की किताब से संचालित कर डा. भीमराव अम्बेडकर समेत बहुसंख्यक आबादी को सेवक की भूमिका में पहुँचा देना चाहते हैं। इनकी इस अवधारणा में देश के अन्दर अन्य धर्मों के नागरिकों का कोई अर्थ नहीं है।
समय रहते हुए यदि जागरूक लोग नहीं चेते तो निश्चित रूप से इस देश के इतिहास को संघी प्रयोगशाला हिन्दू और मुसलमान के आधार पर विभक्त कर देगी और मुस्लिम शासकों द्वारा किये गए अच्छे कार्यों को वह हिन्दू विरोध में बदल देगी.
मुख्य कारण यह है कि संघी प्रयोगशाला के लोगों का चेहरा भारतीय इतिहास में ईस्ट इंडिया कंपनी या अंग्रेजों की चापलूसी करने का ही रहा है. इनके पास कोई नायक नहीं है इसलिए भारतीय इतिहास के महानायकों को यह लोग खलनायक की भूमिका में बदल देना चाहते हैं. इसके लिए इतिहास इन्हें माफ़ नहीं करेगा.
कर्नाटक सरकार जब टीपू सुलतान का जन्मदिन मना रही है तो तथाकथित हिन्दुवत्व वादी इतिहास के इस महानायक की चरित्र हत्या कर रहे हैं. इन मुखौटाधारियों की पोल खुल चुकी है इसीलिए दिल्ली, बिहार में बुरी तरह पराजित होने के बावजूद कोई सबक नहीं ले रहे हैं.
आधुनिक भारत में बहुसंख्यक आबादी कर्पोरेट सेक्टर की गुलामी करने के लिए मजबूर हो चुकी है, उनका शिकन्जा धीरे-धीरे राज्य के अधिकारों पर भी होता जा रहा है, जिसका परिणाम हो रहा है कि देश के अन्दर महंगाई, बेरोजगारी, भूखमरी तेजी से बढ़ रही है। लोग कर्ज के मकड़जाल में फंसकर आत्महत्या कर रहे हैं, उनकी ओर ध्यान देने की आवश्यकता न पड़े तो ताकतवर तबकों को हिन्दू राष्ट्र का सपना दिखाया जा रहा है और हिन्दू राष्ट्र के सहारे उनको यह भी लालीपॉप दिखाया जा रहा है कि बहुसंख्यक आबादी उनके सेवक की भूमिका में होगी। मनुस्मृति का राज्य होगा, इसके लिए दलित समुदाय में क्रान्तिकारी परिवर्तन करने वाले लोगों का भगवाकरण किया जा रहा है और उन्हें राममानी ओढ़ाकर उनके वध की तैयारियाँ की जा रही हैं।
इसलिए हिन्दुत्व वादी शक्तियों से होशियार रहने की जरूरत है नहीं तो यह रामनामी ओढ़कर बधिक का कार्य करने वाले हैं।


