भेड़ियों का नया खोल राष्ट्रवाद, माफिया और डान भी इसका फायदा लेने से नहीं चूके
भेड़ियों का नया खोल राष्ट्रवाद, माफिया और डान भी इसका फायदा लेने से नहीं चूके
भेड़ियों का नया खोल राष्ट्रवाद
महेंद्र मिश्र
राष्ट्रवाद भेड़ियों का नया खोल है। यह एक ऐसी गंगा हो गया है, जिसमें चोर, लुटेरा, गिरहकट्ट, भ्रष्ट, दलाल, अपराधी सब डुबकी लगाने के लिए बेताब हैं। इसी का नतीजा है कि राष्ट्रवाद का झंडा बुलंद करने में यह तबका सबसे आगे है।
आमतौर पर देखा गया है, ज्यादातर लोग गंगा में डुबकी पाप से छुटकारा पाने के लिए लगाते हैं। ...और इस क्रिया में फल कहिए या फिर नफा नुकसान, उसका हिसाब मौत के बाद होता है। लेकिन राष्ट्रवाद इस मामले में बहुत आगे खड़ा है। इसका लाभ नगद है। कर्म कीजिए और तुरंत फल लीजिए। यह सब कुछ इंसान अपने सामने होते देखता है। यानी जिंदा रहते फायदे का भोग।
अनायास नहीं इसमें डुबकी के लिए एक लंबी और न खत्म होने वाली कतार है। कोई दंगाई है। भारत माता की जय बोल दे, उसके सारे खून माफ। उससे बड़ा राष्ट्रवादी कोई नहीं। आप धनपति हों, भ्रष्टाचार में डूबे हों, तिरंगा लेकर कंधे पर दौड़ जाइये। मजाल क्या कि कोई अंगुली उठा दे।
माफिया और डान भी इसका फायदा लेने से नहीं चूके।
छोटा राजन का नाम कोई भूला नहीं होगा। एक दूसरा उदाहरण भी है। पूर्वांचल का माफिया मुख्तार अंसारी माफिया है और उसी इलाके का दूसरा माफिया ब्रजेश सिंह राष्ट्रवादी, क्योंकि उसने भगवा चोला पहन लिया है।
देश में राष्ट्रवाद की गंगा बहाने से पहले ही बीजेपी ने उसके फायदे बता दिए थे। जब उसने राष्ट्रवाद की गंगोत्री में एक तड़ीपार को बैठाया। यह राष्ट्रवाद का सबसे बड़ा और सफल मॉडल था। उसके बाद तो एक-एक कर कतार लग गयी। इनके दौर में भारतीय राजनीति पाताल के किस लोक में जाएगी अंदाजा लगाना मुश्किल है।
स्नूपिंग से लेकर एनकाउंटर और सेक्स स्कैंडल से लेकर ब्लैकमेलिंग हर तरह का हुनर इनके पास है। हर प्रयोग के ये महारथी हैं।
गुजरात में यह सफल रहा है। अब केंद्र में इसको दोहराया जा रहा है। ...और इन सबके स्रोत चोटी पर बैठे शीर्ष पुरुष के बारे में क्या बताना। वो तो अब माया का रूप लेते जा रहे हैं। लेकिन सच यही है कि सब कुछ उन्हीं के संरक्षण और निर्देशन में हो रहा है।
राष्ट्रवाद की गंगा में डुबकी से सिर्फ पाप नहीं धुलते बल्कि आप बिल्कुल पवित्र होकर निकलते हैं। यह उन्हीं ने सिखाया है।
सैमुअल जानसन का यह कथन एक बार फिर जिंदा होता दिख रहा है कि राष्ट्रवाद अपराधियों की आखिरी शरणस्थली होता है।


