मिर्जापुर में प्रशासन के संरक्षण में दबंगों ने दलितों पर जुल्म किया : माले
मिर्जापुर में प्रशासन के संरक्षण में दबंगों ने दलितों पर जुल्म किया : माले
मिर्जापुर में प्रशासन के संरक्षण में दबंगों ने दलितों पर जुल्म किया : माले
* पार्टी के जांच दल की रिपोर्ट जारी
* दबंगों ने दलित महिलाओं पर ट्रैक्टर चढ़ाया, हमले में एक महिला का गर्भपात हुआ
* जांच दल के सदस्य घटनास्थल का दौरा करने के बाद अस्पताल में घायलों से मिले
* घटना के विरोध में 13 अगस्त को मिर्जापुर कलेक्ट्रेट पर माले का धरना और 14 को राज्यव्यापी प्रतिवाद होगा
लखनऊ, 12 अगस्त। भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने मिर्जापुर में लालगंज इलाके के कोलहा गांव में शुक्रवार 10 अगस्त को दलितों पर दबंगों द्वारा फायरिंग व जानलेवा हमले की जांच के लिए भेजे अपने तीन सदस्यीय दल की जांच रिपोर्ट 12 अगस्त को लखनऊ में जारी कर दी।
राज्य सचिव सुधाकर यादव ने उक्त रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि जांच दल के सदस्यों ने घटनास्थल का शनिवार 11 अगस्त को दौरा करने के बाद गांव की दलित बस्ती के परिवारों और सदर अस्पताल में भर्ती घायलों से 12 अगस्त को सुबह भेंट की। उन्होंने कहा कि पूरा मामला दलितों की पुश्तैनी और सीलिंग की पट्टे में मिली जमीनों पर सवर्ण दबंगों द्वारा कब्जे का है। निहत्थी दलित महिलाओं ने जब खेतों पर कब्जे का विरोध किया, तो दबंगों ने प्रशासन की मौजूदगी में उनपर ट्रैक्टर चढ़ा दिया। हमले में एक दलित महिला का गर्भपात हो गया। दबंगों ने फायरिंग की। एक दलित को दबंगों ने पकड़ लिया और अपने घर उठा ले गये, जहां हुई बर्बर पिटाई के बाद वह मौत से जूझ रहा है। गंभीर रूप से घायल दलित महिला-पुरूष मिर्जापुर के सदर अस्पताल में भर्ती हैं। उन्होंने कहा कि दलितों पर हमला सुनियोजित था और यह सबकुछ प्रशासन के संरक्षण में दबंगों द्वारा किया गया।
राज्य सचिव ने घटना का विवरण देते हुए कहा कि हलिया थानाक्षेत्र के उक्त गांव में सीलिंग से निकली 60 बीघा जमीन का तहसील प्रसासन ने 14 दलित परिवारों को पट्टा किया था। पट्टे की इस जमीन समेत दलित परिवारों की लगभग 35 बीघा पुस्तैनी खतौनी की जमीन पर गांव के ही सैकड़ों बीघा के मलिक व दबंग किस्म के अम्बिका प्रसाद पांडेय ने अधिकारियों से मिलीभगत करके लंबे समय से कब्जा किया हुआ है। उक्त गांव तीन वर्षों से चकबन्दी में चल रहा है। चकबन्दी आने के बाद दलितों ने अपनी जमीनों पर पांडेय द्वारा खेती करने का विरोध शुरू किया। प्रशासन तीन सालों से फसल को जब्त कर पाण्डेय को सौंप देता रहा है। जांच दल को गांव के रामकृपाल ने बताया कि इस पर विवाद चल ही रहा था कि पांडेय ने घटना से पहले वाली रात को चार सौ से ऊपर हथियारबंद लोगों को इकट्ठा कर लिया। 10 अगस्त को तहसीलदार व पुलिस की मौजूदगी में दलितों की जमीनों पर दबंगों ने दर्जनों ट्रैक्टरों से जोताई शुरू कर दी, जिसका विरोध करने वाली कुछ दलित महिलाओं को ट्रैक्टरों से रौंद दिया गया।
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इतना सब होने के बाद भी पुलिस ने दलितों की एफआईआर तक नहीं लिखी है। पांच दलित घायल हैं। अभी भी दबंगों के घरों पर सैकड़ो हथियारबंद लोग रुके हुए हैं। इससे गांव के दलितों में दहशत का माहौल है। प्रशासन दर्शक की मुद्रा में है। समाचार माध्यमों से एकतरफा और भ्रामक खबर फैलाई जा रही है, जिसमे दलितों को हमलावर बताया जा रहा है, जबकि तथ्य इसके उलट है। माले जांच दल में राज्य स्थायी (स्टैंडिंग) समिति के सदस्य शशिकांत कुशवाहा, अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा की राष्ट्रीय पार्षद जीरा भारती और पार्टी की राज्य समिति के सदस्य नंदलाल शामिल थे।
राज्य सचिव ने कहा कि दलितों पर हमले की घटना (The incident of attack on Dalits) के विरोध में 13 अगस्त को मिर्जापुर कलेक्ट्रेट पर भाकपा (माले) का धरना होगा। धरने को अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा संबोधित करने जाएंगे। इसके अलावा, जनदबाव में संसद से एससी-एसटी एक्ट की पुनर्बहाली बिल के ठीक पारित होने के दिन संघियों द्वारा दिल्ली में भारत का संविधान सार्वजनिक रूप से जलाने के खिलाफ और मिर्जापुर की घटना पर 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राज्यव्यापी प्रतिवाद किया जाएगा।


