लालू ने चारा खाया, जेल हो गयी, पर प्रधानमंत्री बहुत ईमानदार हैं!
लालू ने चारा खाया, जेल हो गयी, पर प्रधानमंत्री बहुत ईमानदार हैं!
पलाश विश्वास
हम लगातार लिखते रहे हैं कि लालू ने चारा खाया तो उसे जेल हो गयी। अच्छा हुआ! कानून का राज कायम हो गया। संविधान लागू हो गया। कभी न मिले उसको बेल।
इससे क्या कि उसने हिंदी अस्मिता को स्थापित किया। देहात के मुहावरों को प्रतिष्ठा दी। पत्रकार को खुद राँधकर मछली भात खिलाया। इससे क्या चारा उसने नहीं खाया, पर मुख्यमंत्री वे थे और उनके राजकाज में चारा घोटाला हुआ !
बाकी देवासुरों के राजकाज में कहीं किसी घोटाले की कोई सूचना नहीं है। बाकी जिसने कोई पापकर्म किया हो और उस पर कार्रवाई हो तो यह एफआईआर भारतीय अर्थ व्यवस्था, सुधार अश्वमेध और विकास दर आँकड़ों के विरुद्ध होगा।
प्रधानमंत्री बेहद ईमानदार हैं और उनके राजकाज में हुये घोटालों में उनका कोई हाथ ऩहीं है। लिहाजा लालू को बेल न मिले, चुन चुन कर सीबीआई तोता लोगों को ठिकाना लगा दे जो भारत में सामाजिक बदलाव के जिम्मेदार हैं। जो दिल्ली लखनऊ और दूसरी राजधानियों के समीकरण बदलने के जिम्मेदार हैं।
बहुत बेहतर हो कि लालू के बाद बहन मायावती, मुलायम सिंह यादव, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा, करुणानिधि, जयललिता, शरद यादव, राम विलास पासवान जैसे असुर संस्कृति के दिग्गजों को जेल के सींखचों में डाल दिया जाये। इससे भारत में भ्रष्टाचार का अन्त हो जायेगा। चूँकि इनके अलावा कोई और भ्रष्ट हैं ही नहीं। सारा कालाधन इन्हीं के खातों में है। बेहिसाब अकूत सम्पत्ति सिर्फ इन्हीं की है।
भारत में खुले बाजार की अर्थव्यवस्था से ही विकास सम्भव है और इसीसे गरीबी हटेगी। जिन्हें हम धर्मांध समझते हैं, युद्ध अपराधी मानते हैं, वे सारे लोग दरअसल इस अर्थव्यवस्था और कारपोरेट राज को मजबूत करते हैं। रक्षा सौदों में कमीशन बिना हथियार मिलते नहीं हैं। कमीशन खाने वाले लोग चाहे लाखों करोड़ खाते रहे हैं, पर देश को तो महाशक्ति बना दिया। विकास के लिये जरुरी है कि दूध देने वाली गाय की लातें हजम की जायें और देश की अर्थव्यवस्था के तमाम दिग्गजों को सालाना लाखों करोड़ की टैक्स छूट के अलावा उनके विरुद्ध घोटालों के अमर्यादित तमाम मामले तुरन्त रफा दफा हैं।
राडिया टेपों को तुरन्त बिना देर पवित्रतम धर्मग्रंथ मान लिया जाये क्योंकि अब विकास हमारा धर्म है।
हम मानते हैं कि सत्तावर्ग के तमाम लोग दूध के धुले हैं और महिषासुर वध धार्मिक कर्मकांड हैं।
महिष से यादवों का बहुत तगड़ा नाता है। महाराष्ट्र में यादवों का साम्राज्य रहा है, जिनका आर्यों से लगातार संघर्ष होता रहा है। सत्रहवीं अठारवी सदी तक भारत भर में शूद्र राजाओं का राज रहा है। लार्ड क्लाइव की ओर से कोलकाता के शोबाबाजार के राजा नवकृष्णदेव की राजबाड़ी से शूद्र राजाओं को असुर महिषासुर बनाने की जो रघुकुल रीति चली आयी, उससे ओबीसी लालू महिषाषुर बना दिये गये और उनका वध शास्त्रसम्मत है।
स्वर्ग की देवसंस्कृति में सारी अनैतिकता नैतिकता है, ऐसा पवित्र ग्रंथों और मिथकों का सारतत्व है।
तो कोयला घोटाला पर इतना हंगामा क्यों बरपा है? फेयर एंड लवली लगाने के बजाय सुंदरियों को अपने चेहरे पर कोयले की कालिख पोतनी चाहिए क्योंकि वही सर्वोत्तम सौंदर्य प्रसाधन है। कोयला खाकर लोग कितने सेहतमंद डिओड्रेंट हैं। इससे बेहतर तेल पीने से और चमकेगा सौंदर्य, भारतीय अर्थव्यव्स्था में तेल पीने वालों की चांदनी पर गौर कीजिये।
यह करोड़पतिया सवाल नहीं है और न पुरस्कार सम्मान का कोई कारपोरेट बंदोबस्त है।
आज रविवार है और आगे दिवाली है।
बिसात बिछने से पहले सुरासुर महासंग्राम में किसी स्वप्नादेश से थोड़ा सा अमृत हाथ लगे,तो चाख लीजै। हालाँकि सुदर्शन चक्र से भी डरते रहिये। सोने के तमाम खजाने अलग खुल रहे हैं।
हम तो बस दिमाग के बन्द दरवाजे खिड़कियाँ खोलने का निवेदन मात्र कर रहे हैं।


