शत प्रतिशत हिंदुत्व का मतलब शत प्रतिशत अमेरिकीकरण
शत प्रतिशत हिंदुत्व का मतलब शत प्रतिशत अमेरिकीकरण
मनकी या मंकी बातें तो देश सुनने को बौरा रिया है।
सौदागर आया बाजार में तो वो देश बेच खाया
"पांच पूत भारत माता के, दुश्मन था खूंख्वार,
गोली खाकर एक मर गया, बाकी रह गये चार।
चार पूत भारतमाता के, चारो कुशल प्रवीन,
देश-निकाला मिला एक को, बाकी रह गये तीन ।
तीन पूत भारत माता के, लड़ने लग गये वो,
अलग हो गया उधर एक, अब बाकी बच गये दो ।
दो पूत भारत माता के, छोड़ पुरानी टेक,
चिपक गया है एक गद्दी से, बाकी रह गया एक ।
एक पूत भारत माता का, कंधे पर है झंडा,
पुलिस पकड़ कर जेल ले गयी, बाकी बच गया अंडा ।"
— बाबा नागार्जुन .
परमाणु बीमा पोलोनियम 210 है, जिसे भारतवासियों को पिलायेंगे बाराक हुसैन ओबामा बाहैसियत गणतंत्र दिवस के आनर आफ गेस्ट। भारत में जो अमेरिकी परमाणु रिएक्टर अमेरिका के लगेंगे, उनसे फुकोशोमा या भोपाल जैसा कुछ ऐसा वैसा हुआ तो एंडरसन और डाउकैमिकल्स को बचाने के लिए कारपोरेट वकील अरुण जेटली की सेवा की जरुरत नहीं होगी। इस हिसाब से वित्तमंत्री अपनी वकालत खराब करके देशकल्याण में लगे हैं कि परमाणु और औद्योगिक दुर्घटना में अमेरिकी कंपनियों की कोई जवाब देही नहीं होगी बल्कि भारत सरकार खुदै अपने करदाता डिजिटल बायोमैट्रिक नागरिकों का जेब काटकर अमेरिकी कंपनियों की जमानत बतौर बीमा चालू करेगी और जो थोड़ा भौत मुआवजा के कीड़े मकोड़े भारतीय हकदार होंगे उनका भुगतान वहीं से होगा जैसा बंगाल में शारदा फर्जीवाड़े के शिकार लोगो को किया जा रहा है।
जाहिर है इतनी महान उपलब्धि की दहलीज पर खड़े ओबामा के हाथों में गर्मजोशी के फूल बेहद रंगीन हुइबे करै हैं सो अपने कल्कि सुदामा राजकाज चुनाव प्रचार इत्यादि फेंककर पगलायेबैल की तरह प्रोटोकाल की ऐसी तैसी करके अपने कृष्ण कन्हैया ओबाम भइया से मिलने सुध बुध बिसारके दौड़ चले है।पिया एइसन लगल लागि।
युवा तुर्क हमारे अभिषेक बड़का तीरंदाज ह। लिखा करै हैं- ओबामाजी के आगमन पर सिर्फ मनुष्यमात्र नहीं, पशु-पक्षी भी बौरा गए हैं। अभी-अभी लाइव इंडिया नाम के चैनल पर अशोक राज नाम का एक माइकवीर राजघाट से लाइव दे रहा था:
"...यहां सुरक्षा व्यवस्था इतनी कड़ी है कि परिंदा भी पैर नहीं मार सकता...।"
सीज़न-सीज़न की बात है। अगर चींटियों को पर निकल सकते हैं तो परिंदों को भी पैर निकल सकते हैं।
बात शुरु करें सौदागरों की, मनकी या मंकी बातें तो देश सुनने को बौरा रिया है। इससे पहले बीबीसी की पहली फोटू भी देख लीजै कि कइसे प्रोटोकाल तोड़कर ओबामा के लिए रेड कार्पेट हुई गयो छप्पन भोग छप्पन इंच की छाती। परमाणु जवाबदेही कानून में संभावित बदलावों को देखते हुए देश में राजनीतिक विरोध भी शुरू हो गया है। परमाणु आपूर्तिकर्ता कंपनियों पर से जवाबदेही हटाने की अमेरिकी मांग को पूरी तरह मानने से भारतीय अधिकारियों के इंकार के बावजूद अमेरिकी पक्ष ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। अब इस पर अंतिम स्तर की बातचीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच होगी।
परमाणु रिएक्टर बेचने वाला अमेरिका, भारत में मेकिंग इन के तहत आयुध रसायन विनाश कारोबार लगाने वाले अमेरिका, कम्प्लीट प्राइवेटाइजेशन के गीता महोत्सव के तहत अमेरिकी कंपनियों को कर छूट और खेती, बिजनेस इंडस्ट्री को एकमुशत बाट लगाने वाला अमेरिका, हर सेक्टर को एफडीआई में समेटने वाला अमेरिका अपने हितों की हिफाजत के लिए अमेरिकी निगरानी में चाहता है इस डिजिटल देश का रोशन बेरोशन हर इलाका हर शख्स और अमेरिकी उम्मीदों के लिए मुगलिया गार्डन बनकर पेश है छप्पन इंच की छाती।
प्रोटोकाल अब अंतिम बार नहीं टूटा है और दरअसल उपनिवेश का कोई प्रोटोकल होताइच नहीं है।
फिर ओबामा सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं हैं। वे ईश्वर हैं। वे ओबामाकृष्ण हैं और उनकी बांसुरी की धुन पर यह ग्लोब घूमती है। सूरज को भी अमेरिका के इर्द गिर्द घूमा देबे, भइया, ऐसा उनका अखंड प्रताप है। राजसूय वैदिकी यज्ञ के वही तो चक्रवर्ती सम्राट। गीता के उपदेश भी उन्हींका। इतिहास नये सिरे से लिख रहे हैं बजरंगी। धर्म ग्रंथ भी जाहिरे हैं कि नये सिरे से रचे जायेंगे। तभी न हिंदू राष्ट्र होगा मुकम्मल।
अधूरी परमाणु संधि को अमली जामा पहनाने, दुर्घटना की स्थिति में भोपाल गैस त्रासदी की तरह मुकदमों में फंसने की संभावना से अमेरिकी कंपनियों को बरी करने के लिए भारतीय राजस्व को अमेरिकी कंपनियों का बीमा बनाने, मेकिंग इन अमेरिका के तहत भारत को अमेरिकी हथियार उद्योग का कारखाना बनाने और इस महादेश को रेडियोएक्टिव रक्तनदियों के डेल्टादेश में तब्दील करने, परमाणु रिएक्टर और हथियार बेचने आया है सौदागर ओबामाकृष्ण और भागवत पुराण चालू आहे कि गीता महोत्सव वसंत बहार है।
राष्ट्रपति बराक ओबामा खासतौर पर दो मुद्दों पर भारत के साथ समझौते को किसी कीमत पर टलने नहीं देना चाहते। परमाणु समझौते को लेकर भारत के अधिकारियों की ओर से जताई गई मजबूरियों के बावजूद माना जा रहा है कि शीर्ष वार्ता में इस पर सहमति बन जाएगी।इसी तरह उनकी कोशिश है कि वे वतन वापसी पर भारत के साथ जलवायु परिवर्तन संबंधी समझौते को भी अपनी यात्रा की एक अहम उपलब्धि के तौर पर पेश कर सकें। उधर, परमाणु जवाबदेही कानून में संभावित बदलावों को देखते हुए देश में राजनीतिक विरोध भी शुरू हो गया है।
कामरेड करात ने एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में कहा कि फ्रांस और रूस ने भारत के साथ परमाणु रियेक्टर बेचने का करार किया है, लेकिन अमेरिका ने अभी तक भारत के साथ परमाणु रियेक्टर बेचने का करार नहीं किया क्योंकि वह इस क्लॉज़ को बदलवाना चाहता है। भारत मुआवज़े के लिए हमारी बीमा कंपनियों के ज़रिये अमेरिकी कंपनियों को राहत देने का रास्ता खोलने की कोशिश में है, जो बिल्कुल ग़लत होगा। गौरतलब है कि रिएक्टरों में इस्तेमाल होने वाले और रिसाइकिल होने वाले ईंधन पर भी अमेरिका निगरानी रखना चाहता है, लेकिन भारत सरकार ने अमेरिका की इस मांग को गैरज़रूरी बताया है।
परमाणु ईंधन कहां से कहां पहुंच रहा है, इसकी निगरानी करने खातिर देशभर में ताकझांक के लिए अमेरिकी खुफिया आंख में भारत की आजादी और संप्रभुता घुसेड़ते हुए बाग बाग है छप्पन इंच की छाती।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौरे के पहले भारत और अमेरिका के बीच परमाणु करार पर अमल हो इसके लिए भारत कुछ उदार रुख अपना सकता है। किसी भी परमाणु दुर्घटना से जुड़ी देनदारी के मामले में विदेशी आपूर्तिकर्ताओं की जगह सरकारी गारंटी जोड़ी जा सकती है। परमाणु दायित्व कानून को लेकर विदेशी आपूर्तिकर्ताओं की चिंता के निवारण के लिए ऐसा हो सकता है। जिस दूसरे विकल्प पर विचार किया जा रहा है वह दुर्घटना बांड जारी करने या दुर्घटना बांड एवं सरकार की गारंटी का मिला जुला रूप है।
मन मसोस कर रह गये आगरावाले। नईदिल्ली तो वाशिंगटन डीसी में तब्दील है लेकिन आगरा एक्सप्रेसवे थूक चटवाकर चकाचक करने के बावजूद और आगरा में भी परिंदों के परों में जंजीरे डालने के बावजूद ताजमहल पर नहीं बांसुरी बजाने वाले हैं ओबामाकृष्ण।
देश भर में गूंज रही ओबामा वापस जाओं के नारे की गूंज लेकिन प्रेसीडेंट तक पहुंचनी नही है और चुनाव प्रचार का तेवर अभी कल्कि अवतार का बना हुआ है कि क्रेन से नईदिल्ली को वाशिंगटन डीसी या न्यूयार्क बना देना है तो काश्मीर का बंटादार बाकी है और बाकीर त्रिशुल अमित भागवत प्रवीण की सेनाएं भारतभर में अश्वेमेधी घोड़े दौड़ा रहे हैं। शत प्रतिशत हिंदुत्व का मतलब है शत प्रतिशत अमेरिकीकरण।
पलाश विश्वास


