सपा के धर्मनिरपेक्षता के दावे झूठे- आनंद पटवर्धन
सपा के धर्मनिरपेक्षता के दावे झूठे- आनंद पटवर्धन
जो आतंकवाद के खात्मे की बात कर रहे हैं वही इसे संरक्षण दे रहे हैं- आनंद पटवर्धन
साम्प्रदायिक ताकतों के आगे सपा सरकार घुटने टेक चुकी है- संदीप पांडेय
लखनऊ 18 अगस्त। “उत्तर प्रदेश के नौजवान खालिद मुजाहिद के साथ जो कुछ हुआ वैसी घटनाएं सारे मुल्क में हो रही हैं। बात केवल यहीं की नहीं है। चाहे वह बिहार हो या फिर महाराष्ट्र एक अघोषित आतंक का माहौल पूरे देश में आतंकवाद के नाम पर मुल्क के मुसलमानों के खिलाफ बनाया गया है। यह एक सच्चाई है कि आज जो लोग आतंकवाद के खात्मे की बात कर रहे हैं वह ही इसके पालन पोषण में लगे हुये हैं। हमें इन लोगों को बारीकी से पहचानना होगा ताकि इनके खिलाफ एक लम्बी लड़ाई लड़ी जा सके।“
मौलाना खालिद मुजाहिद की हत्या के आरोपी पुलिस तथा आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी की माँग को लेकर पिछले 89 दिनों से चल रहे अनिश्चितकालीन धरने को संबोधित करते हुये डॉक्युमेंट्री फिल्मकार आनन्द पटवर्धन ने रिहाई मंच के धरने में शिरकत करते हुये यह उद्गार व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि रिहाई मंच के लोग जिस तरह से एक आंदोलनात्मक लड़ाई लड़ रहे हैं वह अपने आप में एक मील का पत्थर है और आने वाले समय में जनतांत्रिक आंदोलनों के रूप में इनके इस धरने को हमेशा याद किया जायेगा। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था खुद ही आतंकवादी पैदा करने में जी जान से जुटी हुयी है। यह सामान्य बात है कि बेगुनाहों का कत्ल असंतोष लाता है। और यह असंतोष अगर भड़क गया तो यह व्यवसथा ही संकट में पड़ जायेगी। इसलिये यह जरूरी है कि आतंकवाद के नाम पर बेगुनाहों का उत्पीड़न तुरन्त बन्द हो।
श्री पटवर्धन ने कहा कि जब बाबरी मस्जिद का विध्वंस नहीं हुआ था तब मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार सकता लेकिन जब मैं अपनी फिल्म ‘राम के नाम’ बनाने के लिये वहाँ गया तो नजारा कुछ और ही था। प्रदेश पुलिस के लोग ही कारसेवकों का सहयोग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह अभी कुछ दिन पहले यह बात मान चुके हैं कि मस्जिद गिराये जाने की पूर्व जानकारी उन्हें थी। जिससे साबित होता है कि सपा की धर्मनिरपेक्षता के दावे गलत और गुमराह करने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि गुजरात में मुसलमानों के सामूहिक कत्लेआम के दोषी अब उत्तर प्रदेश में घुस गये हैं। इस समय इस प्रदेश की सेक्यूलर ताकतों की जिम्मेदारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है कि वे यहाँ पर गुजरात जैसा नरसंहार होने से हर हाल में रोकें। उन्होंने कहा कि भाजपा के भविष्य के लिये सन् 2014 का आम चुनाव निर्णायक होगा। लेकिन उतनी ही निणार्यक सेक्यूलर और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिये चल रहे राजनीतिक आंदोलन भी होंगे। यही देश की दिशा तय करेंगे।
धरने को संबोधित करते हुये सामाजिक कार्यकर्ता और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय ने कहा कि अब विहिप के लोग मुलायम से मिलकर फिर से गुफ्तगू कर रहे हैं। इन लोगों के बीच क्या बातें हुयी हैं यह सब साफ हो चुका है। मुलायम ने विहिप के लोगों से मंदिर बनवाने के लिये मुसलमानों से बात करने का भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा कि सूबे की सपा सरकार ने देश की सांप्रदायिक ताकतों के आगे घुटने टेक दिये हैं। उन्होने कहा कि संघ के पालतू वकीलों ने सरकार की मुकदमा वापसी प्रक्रिया का खुला विरोध किया। लेकिन मैने भी बेगुनाहों पर से मुकदमे वापस लेने के लिये स्थानीय कोर्ट में एक याचिका लगायी थी जिसे खारिज कर दिया गया। दरअसल सपा सरकार में एक मजबूत इच्छाशक्ति की कमी है अगर सरकार चाहे तो सब सम्भव है। सरकार से हमें अब किसी किस्म की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। सपा सरकार हिन्दुत्ववादी ताकतों के सामने घुटने के बल बैठ चुकी है।
इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि भूमंडलीकरण की नीतियों के साथ शुरू हुये राजनीतिक मूल्यों के पतन ने देश को तबाही के कगार पर पहुँचा दिया है। जिसे हम मूल्यों की राजनीति से ही सुधार सकते हैं। रिहाई मंच इन्हीं मूल्यों की स्थापना की लड़ाई लड़ रहा है।
इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार हरे राम मिश्र और एसएफआई के अखिल विकल्प ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से जारी किये गये आकड़ों में अवैध हिरासत के मामले में उत्तर प्रदेश न केवल अव्वल है बल्कि इस देश में अपना सर्वोच्च स्थान भी रखता है। यह कितने शर्म की बात है कि अपने को समाजवादी कहने वाली सपा सरकार के पिछले डेढ़ वर्षों के कामकाज में भी अवैध पुलिसिया हिरासत और टॉर्चर की घटनाओं में कोई कमी नहीं आयी है। प्रदेश में तीन हजार से ज्यादा अवैध हिरासत की घटनाओं का होना यह साबित करता है कि इस प्रदेश में लोकतांत्रिक हुकूमत तो कतई नहीं चल रही है। जब सरकार आम आदमी के न्यूनतम लोकतांत्रिक अधिकार को भी सुरक्षित नहीं कर पा रही हो तो फिर उससे यह कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वह खालिद के हत्यारे पुलिस वालों को कानून की सलाखों के पीछे भेजेगी।
आतंकवाद के नाम पर बंद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने का वादा पूरा करने की माँग को लेकर चल रहे धरने का संचालन अनिल आजमी ने किया। इस दौरान केके वत्स, डॉ. मसूदुर्रहमान, इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हाजी फहीम सिद्दीकी, भारतीय एकता पार्टी के सैयद मोईद अहमद, डॉक्टर कमरूदीन कमर, एसएफआई के अखिल विकल्प, डॉ जीमल अहमद, कारी हसनैन सिद्दीकी, डॉ आफताब, राधेश्याम, जैद फारूकी, शिवनारयण कुशवाहा, एनपी सिंह, मोहम्मद शारिग, अब्दुल कयूम सिद्दीकी, डॉ हारिस सिद्दीकी, लेखिका शबाना अदीब, मोहम्मद नसीम, डॉ काशिफ सिद्दीकी, कमर सीतापुरी, डॉ अली अहमद फातमी, शिव दास प्रजापति, प्रबुद्ध गौतम, हरे राम मिश्र, मोहम्मद फैज इत्यादि उपस्थित थे।


