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छिटपुट धमाकों से हिंदुत्व की इस सर्वनाशी सुनामी का मुकाबला करना असंभव!

पलाश विश्वास

हिंदी राष्ट्र में सबसे बड़ा संकट हिंदुत्व का है।

अलगाव और विघटन का शिकार अखंड हिंदी समाज है, जो हिंदी राष्ट्र का मूल आधार है। गुजरात में उना में दलितों की महारेली के बाद सवर्णों के हमलावर रुख से पूरे देश में दलितों के हिंदुत्व से अलगाव की जमीन तैयार हो रही है।

दलितों के लिए अस्तित्व संकट है और मनुस्मृति राजकाज में यह संकट ढाई हजार सालों से जारी है।

गौतम बुद्ध की क्रांति की वजह से सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक और सम्राट कनिष्क के सौजन्य से बौद्धमय भारत के पर्यावरण सत्य और अहिंसा, करुणा, बंधुत्व, मैत्री, प्रेम और शांति की जो दिशाएं खुलीं, उसके तहत राष्ट्र पर किसी वर्ण और वर्ग का एकाधिकार अभीतक भारतीय उपमहाद्वीप से लेकर चीन, जापान, तुर्की, मंगोलिया, मध्येशिया और सुदूर दक्षिण पूर्व एशिया तक में कभी नहीं रहा है राजनैतिक भुजोल होने के बावजूद सांस्कृतिक विविधता और बहुलता के सामंजस्य और समन्वय की निरंतरता के कारण। दूरियों के बावजूद।

मोहन्जोदारो और हड़प्पा समय से वाणिज्य के रेशमपथ से बाकी दुनिया के साथ, खासकर मध्य एशिया और दक्षिणपूर्व एशिया में भारतीय सांस्कृतिक विरासत का जो प्रभाव रहा है, उसका आधार गौतम बुद्ध का धम्म है।