20 दिन में 65 बड़ी वारदात और छह पुलिसकर्मियों ने की आत्महत्या, योगी बताएं सूबे के बदतर हालात के लिए कौन मुगल शासक जिम्मेदार - रिहाई मंच
20 दिन में 65 बड़ी वारदात और छह पुलिसकर्मियों ने की आत्महत्या, योगी बताएं सूबे के बदतर हालात के लिए कौन मुगल शासक जिम्मेदार - रिहाई मंच
65 major incidents and six policemen committed suicide in 20 days. Yogi should tell which Mughal ruler is responsible for the worse condition of the state - Rihai Manch
लखनऊ 17 अक्टूबर 2018। पिछले 20 दिनों में उत्तर प्रदेश में हुई आपराधिक घटनाओं की सूची जारी करते हुए रिहाई मंच ने कहा है कि यह पूछना जरुरी है कि जब योगी आदित्यनाथ सूबे को इलाहाबाद से प्रयागराज की बहस में उलझाए हुए थे तो उस दरम्यान क्या-क्या हुआ। मंच ने कहा है कि योगी इलाहाबाद का नाम बदलकर विविधता भरे इतिहास और पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। यह ढोंग अपनी विफलता को मुगलों की गुलामी से आजादी दिलाने के नाम पर है।
घटनाओं की सूची जारी करते हुए रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सवाल किया कि वे बताएं कि इन घटनाओं के लिए कौन-कौन से मुगल शासक जिम्मेदार हैं।
उन्होंने कहा कि दरअसल प्रयागराज के सहारे हिन्दुत्व को धार देने की कोशिश की जा रही है और 19 तारीख को दशहरे के मौके पर इलाहाबाद के परेड ग्राउंड में आरएसएस का शस्त्र पूजन होने जा रहा है। इसमें सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल खुद मौजूद होंगे। ऐसे में सूबे के हालात को समझा जा सकता है क्योंकि उसी दिन जुमा भी है।
श्री शुऐब ने कहा कि पिछले दिनों जिस तरह से प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव बढ़े हैं और पुलिस की अराजकता के साथ ही साथ उनमें बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति पूरी व्यवस्था के संकट को दर्शाती है। पिछले दिनों डीजी होमगार्ड का पत्र सामने आया जिसमें उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद किसी पद की आकांक्षा करते हुए हिन्दुत्व के प्रति अपनी निष्ठा स्पष्ट की थी।
रिहाई मंच नेता मसीहुद्दीन संजरी ने बताया कि सूबे और देश में बढ़ती हिंसा को लेकर पिछले 20 दिनों में घटित पैंसठ वारदातों की सूची प्रदेश की भयावह स्थिति को सामने लाती है। सूबे की महत्वपूर्ण घटनाओं के साथ नीतिगत स्तर पर प्रभावित करने वाली कुछ राष्ट्रीय घटनाएं भी इस सूची में शामिल हैं जैसे प्रधानमंत्री पर हमले की धमकी भरा मेल। इसमें सांप्रदायिक तनाव की ग्यारह, धर्मांतरण के नाम पर हिंसा की छह और पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों की आत्महत्या के छह मामले प्रमुख हैं। गुजरात में यूपी के लोगों के साथ हिंसा के बाद पलायन, सूबे में दशहरे पर आरएसएस द्वारा शस्त्र पूजन, धर्मांतरण के नाम पर हमले, अम्बेडकर प्रतिमा को तोड़े जाने से तनाव, विश्वविद्यालय में हक-हुकूक के आंदोलनों का दमन, किसानों पर लाठी चार्ज, केसरिया-भगवा झंण्डों के जरिए बवाल, परंपरा से उलट मूर्ति स्थापना, गौकशी व मूर्तियों के खंडित होने को लेकर तनाव, राम मंदिर को लेकर बयानबाजी व अयोध्या में कार्यक्रम, मॉब लिचिंग, वंदेमातरम और भारत माता की जय के नाम पर स्कूली बच्चों में टकराव, अलीगढ़ विश्वविद्यालय के कश्मीरी छात्रों पर देशद्रोह का फर्जी मुकदमा, आरटीआई कार्यकर्ता व जनप्रतिनिधियों की हत्या, दबंगों के जातिगत व सामंती शोषण, महिला हिंसा, आम नागरिकों की हत्या, पुलिस कर्मियों-प्रशासनिक अधिकारियों की आत्महत्या, मुठभेड़ों के नाम पर हो रही गिरफ्तारियां, आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तारी, रोहिंग्या व खालिस्तान के नाम पर गिरफ्तारी, हिरासत के दौरान मौत, ध्वस्त कानून व्यवस्था, लोकतांत्रिक और मानवाधिकार का हनन की घटनाओं का यह व्योरा सूबे की भयावह स्थिति को दर्शाता है।
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