बिहार चुनाव 2025: जस्टिस काटजू बोले “इन नचनियां-गवनियाओं को ही वोट दीजिए"
जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने बिहार चुनाव 2025 में भोजपुरी और मैथिली गायकों की टिकट राजनीति पर कटाक्ष किया। उन्होंने पूछा कि जो लोग बिहार को बदलने की बात करते हैं, क्या वे उसकी असली समस्याओं से वाकिफ हैं?....;
Bihar Elections 2025: Justice Katju said, "Vote for these dancers and singers only."
बिहार चुनाव 2025: भोजपुरी और मैथिली गायकों की टिकट राजनीति पर जस्टिस मार्कंडेय काटजू का व्यंग्यात्मक प्रहार
- बिहार में चुनावी टिकट की तलाश में गायक और कलाकार
- मैथिली ठाकुर, खेसारी लाल की पत्नी, रितेश पांडेय — कौन किस पार्टी से मैदान में
- जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा – ये बिहार की असली समस्याओं पर चुप क्यों हैं?
- बिहार की जमीनी हकीकत: बेरोजगारी, पलायन और भ्रष्टाचार पर मौन
- “जनता ग़रीब है, मूर्ख नहीं” – काटजू की तीखी टिप्पणी
जस्टिस काटजू का व्यंग्य: “इन नचनियां-गवनियाओं को ही वोट दीजिए, कम से कम मनोरंजन तो मिलेगा”
जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने बिहार चुनाव 2025 में भोजपुरी और मैथिली गायकों की टिकट राजनीति पर कटाक्ष किया। उन्होंने पूछा कि जो लोग बिहार को बदलने की बात करते हैं, क्या वे उसकी असली समस्याओं से वाकिफ हैं?....
बिहार के इस चुनावी माहौल में आजकल अनेक भोजपुरी और मैथिली गायक-गायिकाओं को स्वयं या अपने क़रीबी रिश्तेदारों के लिए चुनावी टिकट की खोज हैI कइयों को टिकट मिल भी गया हैI
उदाहरणस्वरूप :
मैथिली ठाकुर ( अलीनगर सीट से भाजपा से टिकट मिल चुका है )
पवन सिंह ( भाजपा के संभावित प्रत्याशी थे, बाद में चुनाव लड़ने से मना कर दिया )
अक्षरा सिंह ( चुनाव लड़ने की चर्चाएँ थीं. फ़िलहाल कोई टिकट नहीं मिला है )
खेसारी लाल यादव की पत्नी चंदा यादव ( छपरा सीट से आरजेडी का टिकट मिला )
रितेश पांडेय ( जन सुराज पार्टी की तरफ़ से करगहर सीट से टिकट मिला )
ये गायक-गायिका कहते हैं कि वह बिहार को बदल देंगे, उसकी ग़रीबी मिटा देंगे, और बिहार से लोगों का पलायन रोक देंगेI पर ये लोग कभी नहीं बताते कैसे ?
बिहार पिछले तमाम सालों से अपराध और भ्रष्टाचार में डूबा हुआ हैI हर साल जहरीली शराब से मौतें होती हैं, नौकरियाँ मिलती नहीं हैं और उनको पाने के लिए दूसरे प्रांतों में जाना होता है, रोजगार मांगने पर छात्र जानवरों की तरह पीटे जाते हैं, इम्तिहान होने के पहले पेपर आउट हो जाता है, मरीज अस्पतालों के बाहर लाइन में मर जाते हैं और दुर्भाग्य प्रबल हुआ तो अस्पताल का मुँह देखे बिना ही स्वर्ग सिधार जाते हैं, पुल तो खैर गिरते ही रहते हैंI लेकिन इन तमाम अवसरवादी-महत्वाकांक्षी गायकों-गायिकाओं ने कभी भी यह नहीं बताया कि बिहार के इन भीषण समस्याओं का समाधान क्या है ? इनकी मौकापरस्ती और बेशर्मी का आलम ये है कि राजनीति में आने का निर्णय लेने के बाद भी ये बिहार की समस्याओं पर बोलने से पहले टिकट मिलने का इंतज़ार कर रहे थेI क्या ये पार्टी के एजेंडे के मुताबिक समस्याओं का चयन करेंगे ?
इन्हें बेरोजगारी और पलायन नहीं दिख रहा है, या लाठी खाते विद्यार्थी नहीं दिख रहे ? ये ज़हरीली शराब से हुई मौतों के बारे में नहीं जानते, या अस्पताल के बाहर मरते मरीजों की ख़बरें इन तक नहीं पहुँच रहीं ?
आम जनता का मसीहा बनने की इतनी तलब है तो पहले ज़मीन पर उनकी लड़ाई लड़िये, जनता के असली सिपाही बनिए, सरकार से सवाल पूछिये, दमन झेलिये, मुकदमे झेलिये, वरना जनता खूब समझ रही है कि आपको उनकी कितनी सेवा करनी हैI
या तो सरकारी मंचों की मिठाई खा लीजिए या सरकार की आँखों में आँख डालकर सवाल पूछ लीजिएI चापलूसी और सवाल-जवाब एक साथ नहीं हो सकताI जनता ग़रीब है, बदहाल है, लेकिन मूर्ख नहीं है, उसे आपकी सेवा-भावना का खूब आभास है, और आपकी महत्वाकांक्षा भी उसे बाकायदा मालूम हैI
उपरोक्त बातें कहने के बावजूद मैं फिर भी बिहारी लोगों से आग्रह करूँगा कि आप इन नचनियां गवनियाओं को ही वोट देंI मैं ऐसा इस लिया कह रहा हूँ क्योंकि इनके जीतने के बाद यह विधान सभा भवन में नाच गाना करके आपका मनोरंजन करेंगे, अन्यथा आपको नेताओं के पिटे पिटाये खोखले भाषण और झूठे वादे ही सुनने को मिलेंगेI
जस्टिस मार्कंडेय काटजू
(जस्टिस काटजू सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश हैं। यह उनके निजी विचार हैं।)