अब हर कातिल को भारत रत्न घोषित करने की बारी!
असम की हिंसा, हिंदुत्व राजनीति और बच्चों की कुर्बानी — पलाश विश्वास का यह लेख भारत के वर्तमान की वह भयावह तस्वीर है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता;
पलाश विश्वास
पलाश विश्वास एक लेखक, वरिष्ठ पत्रकार, रंगकर्मी, आंदोलनकारी व स्तंभकार हैं. उन्होंने कई रचनाएं लिखी हैं.
जब असम में बचपन भून दिया गया: एक राष्ट्र, एक भयावह यथार्थ
- जब असम में बच्चों को जिंदा जलाया गया, पूरा देश चुप था — क्या यही है नया भारत?
- पलाश विश्वास की लेखनी से एक बेचैन करने वाला सत्य
हिंदुत्व महाभोज और जिंदा जलते बच्चे : पलाश विश्वास की कलम से
पत्रकार पलाश विश्वास का यह तीखा और मार्मिक लेख बताता है कि कैसे देश में धर्म, जाति और राष्ट्रवाद की राजनीति के बीच सबसे ज़्यादा नुकसान मासूम बच्चों और आदिवासियों को झेलना पड़ रहा है। यह लेख असम की ताज़ा हिंसा से लेकर बाबरी विध्वंस, गोधरा, और गोडसे के महिमामंडन तक के ऐतिहासिक और समकालीन संदर्भों को जोड़ता है, और हिंदुत्व की विचारधारा की पोल खोलता है…
किसी भी धर्म जाति भाषा क्षेत्र के बच्चे और औरतें हों, उनके सारे हक हकूक खत्म हैं और इस देश का बचपन अब असम है।
माननीय नोबेल लारिएट कैलाश सत्यार्थी के ध्यानार्थ खासकर यह बयान है शायद वे अब असम में हों जहां हिंसा में बड़ी संख्या में आदिवासी बच्चे जिंदा भून दिये गये हैं हिंदुत्व महाभोज में।
बचपन बचाओ अभियान के इस हिंदुत्व अभियान का विश्व जनमत पर क्या असर होना है, समझ लीजिये।
पत्रकार तमाम अटल जी और मालवीय जी को भरत रत्न बनाये जाने से बाग-बाग हैं।
अटल जी का किया धरा बाबरी विध्वंस और गुजरात नरसंहार में शाश्वत है, जिसपर किसी टिप्पणी की आवश्यकता भी नहीं है।
मालवीय जी को हमने देखा नहीं है।
वे बीर सावरकर की तरह हिंदुत्व के श्रेष्ठतम सिपाहसालार रहे हैं और हिंदू महासभा के संस्थापक सदस्य भी हैं। जबकि मेरठ की दंगा जनपद में नाथूराम गोडसे का अवतरण हो चुका है और गांधी को राजघाट में सीमाबद्ध करने के लिए इंद्रप्रस्थ के सिंहासन के भाग्यविधाता बनने को तैयार हैं गांधी का हत्यारा नाथूराम गोडसे।
बहुत संभव है कि राजीव दाज्यु की धारणा के विपरीत मोदी के हिंदुत्व राजकाज में अगला भारत रत्न इन्हीं नाथूराम गोडसे को दिया जाए मरणोपरांत, संयुक्त रुप से जनरल डायर के साथ। सिखों पंजाबियों का कत्लेआम उनने भी किया था आखिरकार।
देश की बागडोर नरेद्र भाई मोदी के हाथों में नहीं है कतई। जिन्हें इस देश की जनता ने प्रधानमंत्री चुना और उनने यह बागडोर अमित शाह के हाथों में थमा दी है।
अब वहींच होना है जो अमित शाह चाहें।
अब हर कातिल को भारत रत्न घोषित करने की बारी है।
लोगबाग, विशेषकर नवधनाढ्य सांढ़ संप्रदाय और केसरिया हुए मीडिया की ऩवउदारवादी की संताने बेसब्री से इसी के इंतजार में हैं।
जो पहले कहते थे कि आदिवासी विकास में बाधक हैं और उनका सफाया जरूरी है।
जो अब कहते हैं कि भारत हिंदुओं का देश है और तमाम गैरनस्ली लोगों का चाहे वे हिंदू हों या विधर्मी, सिरे से उनका सफाया हों।
जो कहते थे भारत अमेरिका बन रहा है वे अब बढ़ चढ़कर साबित कर रहे हैं कि इस्लाम और मुसलमानों का दुश्मन इजरायल कितना महान है।
जो भारत को अमेरिका का उपनिवेश बनाकर बम-बम थे वे भारत को मुकम्मल इजराइल बनाने पर तुले हुए हैं।
...इस सर्द मौसम में नैनीताल छोड़े पूरे पैतीस साल बाद भोर तड़के तक असम के अपडेट भयावह तस्वीरों के साथ साझा करके उत्सवी माहौल गुड़ गोबर कर रहा हूं।
गनीमत है कि हर कोई अपने राजीव नयन दाज्यू की तरह मुंहफट नहीं है कि जवाब में ऐसी तैसी कर दें।
कड़वा सच यही है कि यह अब मुकम्मल भारत की तस्वीर है।
जो तस्वीरें हमने अस्सी के दशक में मेरठ में रहते हुए पूरे गायपट्टी में देखी थी, और अपने लघु उपन्यास उनका मिशन में दर्ज की थीं, वे तस्वीरें भारत की तस्वीरें हैं अब।
आपकी आंखों में उंगलियां डालकर वही सच बताने की बदतमीजी कर रहा हूं। चाहे तो फांसी पर चढ़ा दें।
O- पलाश विश्वास