लोकसभा में प्रियंका गांधी का ओजस्वी भाषण : ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार से तीखे सवाल, पहलगाम हमले पर जवाबदेही की माँग

Priyanka Gandhi's powerful speech in Lok Sabha: Sharp questions to the government on Operation Sindoor, demand for accountability on Pahalgam attack;

By :  Hastakshep
Update: 2025-07-29 12:59 GMT

Priyanka Gandhi's powerful speech in Lok Sabha: Sharp questions to the government on Operation Sindoor, demand for accountability on Pahalgam attack

प्रियंका गांधी का लोकसभा में भावुक संबोधन

  • सेना को नमन: देश की रक्षा पर प्रियंका गांधी का सम्मान
  • बैसारन वैली हमला: 22 अप्रैल 2025 की घटना पर सवाल
  • ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार को घेरा
  • आतंकवादी संगठन TRF पर निशाना
  • गृहमंत्री और प्रधानमंत्री की जवाबदेही पर सवाल
  • ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य अधूरा क्यों?
  • सच्चाई और ज़िम्मेदारी: देश की जनता की माँग
  • शहीदों की शहादत पर राजनीति बनाम संवेदनशीलता

पहलगांव की त्रासदी और प्रियंका गांधी की चेतावनी

प्रियंका गांधी ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर भाषण देते हुए सरकार से पहलगांव आतंकी हमले पर जवाबदेही मांगी। TRF और सुरक्षा चूक पर सवाल उठाए...

नई दिल्ली, 29 जुलाई 2025। आज लोकसभा में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चल रही चर्चा के दौरान एक बेहद भावुक और तीखा भाषण दिया, जिसमें उन्होंने न केवल भारत की सेना की वीरता को सलाम किया, बल्कि सरकार की खामियों और लापरवाहियों को भी कठघरे में खड़ा किया। प्रियंका गांधी ने विशेष रूप से कश्मीर के बैसारन वैली में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार की जिम्मेदारी और चूक पर सवाल खड़े किए।

सलाम सेना को, सवाल सरकार से

भाषण की शुरुआत प्रियंका गांधी ने देश के सैनिकों को नमन करते हुए की। उन्होंने कहा कि जिस तरह देश की सीमाओं की रक्षा सैनिक कर रहे हैं, वह गौरव की बात है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “हमारी आज़ादी भले ही अहिंसक आंदोलन से मिली हो, लेकिन उसे कायम रखने में सेना का अमूल्य योगदान है।”

लेकिन बात यहीं नहीं रुकी। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सत्ता पक्ष के नेताओं के भाषणों को उन्होंने "एकतरफा" बताया और कहा कि इसमें सिर्फ श्रेय की बात की गई, पर सच्चाई और जवाबदेही पर चुप्पी साध ली गई है।

पहलगाम हमला : सरकार पर सवालों की बौछार

अपने भाषण में प्रियंका गांधी ने सबसे ज़्यादा ध्यान 22 अप्रैल को हुए बैसारन वैली आतंकी हमले पर केंद्रित किया, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गई थी। एक पीड़ित परिवार का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा :

“शुभम द्विवेदी, कानपुर का युवक, अपनी नवविवाहित पत्नी के साथ कश्मीर घूमने गया था। चार आतंकवादी जंगल से आए और शुभम को उसकी पत्नी के सामने मार डाला। उसके बाद एक-एक कर 26 लोगों को मारा गया।”

प्रियंका ने सवाल उठाया कि उस दिन उस क्षेत्र में कोई सुरक्षा बल क्यों मौजूद नहीं था? उन्होंने कहा कि रोज़ाना 1000-1500 पर्यटक उस क्षेत्र में जाते हैं, फिर भी सुरक्षा, मेडिकल सुविधा, या कोई राहत इंतज़ाम नहीं था।

सरकार की 'पब्लिसिटी' बनाम ज़मीनी हकीकत

प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार मीडिया प्रचार में शांति का संदेश दे रही थी, जबकि ज़मीनी हकीकत इससे एकदम उलट थी।

“प्रधानमंत्री जी ने कहा कश्मीर जाइए, ज़मीन खरीदिए, अमन चैन है। लेकिन अमन चैन के उस प्रचार ने 26 परिवारों को उजाड़ दिया।”

प्रियंका ने कहा कि इस हमले की ज़िम्मेदारी टीआरएफ (The Resistance Front) नामक आतंकी संगठन ने ली, जिसे सरकार ने तीन साल की देरी से 2023 में आतंकवादी संगठन घोषित किया।

गृह मंत्री पर तीखा हमला

प्रियंका गांधी ने सीधे गृह मंत्री अमित शाह पर हमला बोला और कहा :

“उनकी आंखों के सामने मणिपुर जला, दिल्ली में दंगे हुए, पहलगाम में हमला हुआ और वे अब भी पद पर बने हुए हैं। न इस्तीफा, न जवाबदेही।”

उन्होंने याद दिलाया कि 2008 के मुंबई हमलों के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार के गृहमंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने तुरंत इस्तीफा दिया था।

सीजफायर की घोषणा अमेरिका ने क्यों की?

प्रियंका गांधी ने सरकार से पूछा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब भारत पाकिस्तान को घेर चुका था, तो लड़ाई क्यों रोकी गई? उन्होंने आरोप लगाया कि इस सीजफायर की घोषणा भारत सरकार नहीं, बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने की।

“अगर दुश्मन शरण में आने को मजबूर था, तो आपने शरण क्यों दी?”

“यह ऐलान हमारी सरकार ने क्यों नहीं किया? क्या यह हमारी कूटनीतिक विफलता नहीं?”

नेतृत्व का मतलब सिर्फ श्रेय नहीं, जिम्मेदारी भी

प्रियंका गांधी ने दो टूक कहा :

“देश का नेतृत्व सिर्फ श्रेय लेने से नहीं चलता, जिम्मेदारी उठाने से चलता है। यह सोने का ताज नहीं, कांटों का ताज है।”

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर उन्होंने सेना को बधाई दी लेकिन जो राजनैतिक नेतृत्व अपने कर्तव्यों से भागता है, उस पर तीखा प्रहार किया।

सच्चाई, जवाबदेही और बहादुरी की माँग

अपने भाषण का समापन उन्होंने इस भावुक टिप्पणी से किया :

“हम सबकी सुरक्षा पक्की है, हमें सुरक्षा घेरे मिलते हैं। लेकिन पहलगाम में मारे गए 25 भारतीयों को कोई सुरक्षा नहीं मिली। उनके लिए कोई तंत्र नहीं था। वे सरकार के भरोसे थे, सरकार ने उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया।”

प्रियंका गांधी का यह भाषण न सिर्फ भावनात्मक था, बल्कि ठोस तथ्यों, आंकड़ों और तीखे सवालों से भरपूर था। उन्होंने सत्ता पक्ष से पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी की माँग की। उनका यह भाषण संसद की कार्यवाही का एक ऐतिहासिक पल बन गया, जिसे आगे चलकर सुरक्षा नीति, जवाबदेही और राजनैतिक नेतृत्व की कसौटी पर याद किया जाएगा।

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