ग्रामीण भारत में बदलाव की सड़क: पीएमजीएसवाई के तहत 7.8 लाख किमी से अधिक बारहमासी सड़कों का निर्माण

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत अब तक 7.83 लाख किलोमीटर बारहमासी सड़कों का निर्माण हो चुका है, जिससे 1.62 लाख से अधिक ग्रामीण बसावटों को जोड़कर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है।;

By :  Hastakshep
Update: 2025-08-06 04:35 GMT

संसद में सवाल- जवाब

पीएमजीएसवाई: ग्रामीण बुनियादी ढांचे में क्रांतिकारी बदलाव

  • 2025 तक बारहमासी सड़कों का आंकड़ा और लाभार्थी बसावटें
  • सामाजिक-आर्थिक विकास में पीएमजीएसवाई की भूमिका
  • अध्ययनों से मिली पुष्टि: शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोज़गार में सुधार
  • सड़कों की गुणवत्ता के लिए त्रिस्तरीय निगरानी प्रणाली
  • तकनीक और नवाचार: जियो टैगिंग और ओएमएमएएस का उपयोग

स्थायित्व और स्थानीय अनुकूलन की ओर कदम

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत अब तक 7.83 लाख किलोमीटर बारहमासी सड़कों का निर्माण हो चुका है, जिससे 1.62 लाख से अधिक ग्रामीण बसावटों को जोड़कर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है...

नई दिल्ली, 6 अगस्त 2025। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के अंतर्गत ग्रामीण भारत को बारहमासी सड़कों से जोड़ने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। लोकसभा में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान ने 5 अगस्त 2025 को जानकारी दी कि अब तक कुल 8.38 लाख किलोमीटर सड़कें स्वीकृत की गई हैं, जिनमें से 7.83 लाख किलोमीटर से अधिक का निर्माण पूरा हो चुका है। इस पहल ने न सिर्फ परिवहन व्यवस्था को बेहतर किया है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

पासवान ने बताया कि, “प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के विभिन्न कार्यकर्मों/घटको के अंतर्गत दिनांक 01.08.2025 तक कुल 8,38,611 किलोमीटर सड़क लंबाई स्वीकृत की गई है, जिसमें से 7,83,566 किलोमीटर सड़क लंबाई का निर्माण किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, दिनांक 01.08.2025 तक, देश में कुल 1.62 लाख बसावटो को पीएमजीएसवाई-I सड़कों के माध्यम से बारहमासी संपर्कता प्रदान की गई है। साथ ही, पीएमजीएसवाई-III के अंतर्गत अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 6.96 लाख सुविधा केंद्रों को सड़क से जोड़ा गया है, जिनमें 1.38 लाख ग्रामीण कृषि बाज़ार, 1.46 लाख शैक्षणिक केंद्र, 82 हज़ार चिकित्सा केंद्र और 3.28 लाख परिवहन और अन्य सुविधा केंद्र शामिल हैं।“

लोकसभा में दिए उत्तर में बताया गया कि “नीति आयोग के विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय (डीएमईओ), विश्व बैंक, बिरला प्रौद्योगिकी और विज्ञान संस्थान (बिट्स) पिलानी, भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), अहमदाबाद और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) सहित प्रतिष्ठित संस्थानों और एजेंसियों द्वारा किए गए कई प्रभाव मूल्यांकन अध्ययनों ने ग्रामीण विकास में पीएमजीएसवाई सड़कों की परिवर्तनकारी भूमिका बताई है।“

उत्तर में यह भी बताया गया कि “डीएमईओ अध्ययन (2020) में पाया गया कि पीएमजीएसवाई सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) 2 और 9 के साथ पूरी तरह संरेखित है, क्योंकि यह विकास के लिए ग्रामीण बुनियादी अवसंरचना का निर्माण करते हुए गरीबी और भुखमरी को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान देती है। अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि इस योजना के तहत निर्मित सड़कें घरेलू और सामुदायिक दोनों स्तरों पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं, बाज़ारों, आजीविका, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा तक पहुँच को सक्षम बनाती हैं, और संपत्ति और मानव पूंजी संचय के माध्यम से दीर्घकालिक गरीबी में कमी लाती हैं।“

यह भी बताया गया कि “विश्व बैंक के प्रभाव मूल्यांकन (2018) में बाज़ारों में ले जाई गई फसलों की मात्रा में 8% की वृद्धि, गैर-कृषि क्षेत्र में प्राथमिक रोज़गार में 13% की वृद्धि और घर पर प्रसव में 30% की कमी देखी गई, जो पीएमजीएसवाई सड़कों के निर्माण के बाद बेहतर स्वास्थ्य पहुँच को दर्शाता है। बेहतर मूल्य पाने के लिए किसानों ने काफ़ी दूर के कृषि बाज़ारों तक यात्रा की, जो बेहतर बाज़ार एकीकरण का संकेत है।“

यह जानकारी भी दी गई कि “इसी प्रकार, बिट्स पिलानी अध्ययन (2016) में स्कूलों में नामांकन में वृद्धि- खासकर छात्राओं के बीच- स्वास्थ्य सुविधाओं तक बेहतर पहुँच और वित्तीय निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि दर्ज की गई। पीएमजीएसवाई की सड़कों का संबंध आस-पास के शहरी इलाकों में रोज़गार के लिए आने-जाने में वृद्धि से भी था।

झारखंड, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में विश्व बैंक द्वारा किए गए गरीबी और सामाजिक प्रभाव आकलन (2014) में पीएमजीएसवाई सड़कों के निर्माण के कारण श्रम बाजार तक पहुंच में वृद्धि, आय में वृद्धि, व्यावसायिक विविधीकरण और विशेष रूप से महिलाओं के लिए आर्थिक गतिशीलता में वृद्धि पर प्रकाश डाला गया।

आईएलओ अध्ययन (2015) के निष्कर्षों से पता चला कि फसल पैटर्न में परिवर्तन, कृषि और सेवाओं में उच्च घरेलू आय, तथा अच्छी तरह से अनुरक्षित पीएमजीएसवाई सड़कों वाली बसावटो में स्वच्छता और सफाई के संबंध में जागरूकता में सुधार हुआ।

आईआईएम अहमदाबाद के अध्ययन (2017) ने इस बात की पुष्टि की कि पीएमजीएसवाई सड़कों ने यात्रा की गति और प्रशासनिक व सेवा केंद्रों तक संपर्कता में उल्लेखनीय सुधार किया है, और पीएमजीएसवाई सड़कों की गुणवत्ता गैर-पीएमजीएसवाई सड़कों से बेहतर है। सामाजिक-आर्थिक लाभ समावेशी प्रकृति के रहे जिससे सामान्यतः ग्रामीण समाज के गरीब वर्गों को अधिक लाभ हुआ।“

लोकसभा में दिए गए उत्तर के मुताबिक संक्षेप में, ये मूल्यांकन सामूहिक रूप से पुष्टि करते हैं कि पीएमजीएसवाई ने कृषि आय, रोजगार सृजन, बाजार पहुंच, शिक्षा और स्वास्थ्य संकेतकों और सामाजिक समावेशन में मापनीय सुधार किया है, जिससे ग्रामीण भारत के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

पीएमजीएसवाई के अंतर्गत निर्मित सड़कों की गुणवत्ता और स्थायित्व सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने एक व्यापक त्रिस्तरीय गुणवत्ता निगरानी प्रणाली स्थापित की है:

1. प्रथम-स्तरीय (आंतरिक गुणवत्ता नियंत्रण): कार्यान्वयन एजेंसियां सड़क निर्माण के सभी चरणों के दौरान नियमित आंतरिक गुणवत्ता जांच के लिए जिम्मेदार होती हैं। जिला और राज्य स्तर पर विशेष गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाएँ स्थापित की जाती हैं।

2. द्वितीय-स्तरीय (राज्य गुणवत्ता निगरानीकर्ता-एसक्यूएम): राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त, ये निगरानीकर्ता समय-समय पर निरीक्षण करते हैं और निर्माण गुणवत्ता, मानकों के पालन और स्थायित्व के आधार पर कार्यों का मूल्यांकन करते हैं।

3. तृतीय-स्तरीय (राष्ट्रीय गुणवत्ता निगरानीकर्ता-एनक्यूएम): ग्रामीण विकास मंत्रालय देश भर में कार्यों का औचक निरीक्षण करने के लिए पैनल में शामिल विशेषज्ञों को तैनात करता है। उनकी रिपोर्ट सीधे सुधारात्मक उपायों और वित्त पोषण संबंधी निर्णयों की जानकारी देती है।

इसके अलावा, ऑनलाइन प्रबंधन, निगरानी और लेखा प्रणाली (ओएमएमएएस) और जीआईएस-आधारित उपकरणों के माध्यम से सड़क परिसंपत्तियों की जियो-टैगिंग जैसे तकनीकी नवाचारों का उपयोग पारदर्शिता बढ़ाने, प्रगति पर नज़र रखने और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।

इसके अलावा, राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में विविध भूभाग और जलवायु चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, डिजाइन अनुकूलन और उपयुक्त सामग्री/प्रौद्योगिकियों के उपयोग - जैसे सीमेंट स्थिरीकरण, पैनलयुक्त कंक्रीट, और कॉयर/जूट जियोटेक्सटाइल्स के उपयोग - को प्रदर्शन और स्थिरता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

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