शांति और सद्भाव का योद्धा : असगर अली इंजीनियर

शांति और सद्भाव का योद्धा : असगर अली इंजीनियर

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Update: 2019-03-22 13:00 GMT

dr asghar ali engineer

बहुवादी मूल्यों के संदर्भ के लिए असगर अली इंजीनियर का संग्रहण : राम पुनियानी

(14 मई, 2013 को हमने असगर अली इंजीनियर को खो दिया। उनका चलाना, मानवाधिकारों व धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के संदर्भ के आंदोलनों व साम्प्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई के लिए अपूर्वता है। मेरे अजीज दोस्तों और मेरे सम्मान के पात्र डॉक्टर इंजीनियर को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि)

पिछले तीन दशकों ने यह साबित किया है कि देश को विभाजित करने के साम्प्रदायिक ताकतों के प्रयास, समाज में शांति के स्थापना और देश के विकास में बाधक हैं। यद्यपि भारत में साम्प्रदायिक हिंसा की शुरुआत सन 1961 (जबलपुर) से ही हो गई थी तथापि सन 1980 के दशक के बाद से साम्प्रदायिक ताकतों को विभिन सदगुणों के बीच बेतरतीब बढ़ाने में अप्रत्याशित व अभूतपूर्व सफलता मिली है। यह खेदजनक है कि बहुत कम सामाजित कार्यकर्ताओं और विद्वानों ने इस समस्या को गंभीरता से लिया। डॉक्टर असगर अली इंजीनियर उनमें से एक थे। उन्होंने उस विचारधारा और उन साधनों के विरुद्ध जीवीयनता संग्रहित की है जो कि साम्प्रदायिक हिंसा का कारण बनती हैं। उन्होंने अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के खिलाफ भी अनवरत आवाज उठाई थी।

जबलपुर दंगों के वक्त इंजीनियर, पढ़ाई कर रहे थे। इन दंगों ने उनके दिमाग पर गहरा असर डाला। इस त्रासदी ने उन्हें इस हद तक प्रभावित किया कि उन्होंने अपना पूरा जीवन साम्प्रदायिक हिंसा के खिलाफ लड़ने और साम्प्रदायिकता के विकास के लिए उनके लेखन में जबलपुर दंगों के राष्ट्र और प्रधानमंत्रियों के ध्यान में जहाजी किया। इस समर्पण से साम्प्रदायिक हिंसा, साम्प्रदायिक विचारधारा और समाज के साम्प्रदायिकता के खिलाफ डोक्टर इंजीनियर ने भरपूर लिखा है - इतना कि कई मोते-मोते ग्रंथों में भी न समाया।

उनके लेखन से यह स्पष्ट है कि उन्होंने साम्प्रदायिकता के विचारधारा के खिलाफ साम्प्रदायिकता के साथ विवाद किया था। उन्होंने अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के खिलाफ भी अनवरत आवाज उठाई थी।

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