जस्टिस काटजू ऐसा क्यों लिखते हैं कि आजकल ज्यादातर उर्दू शायरी बकवास होती है
मिर्ज़ा ग़ालिब ने कभी किसी शायर की शायरी को 'दाद' नहीं दिया जब तक कि वो संतुष्ट न हो जाते कि शेर सचमुच प्रशंसा के लायक हैं (देखें हाली की ग़ालिब पर...
क्या भारत को आधुनिक सोच वाली तानाशाही की आवश्यकता है?
जातिवाद और साम्प्रदायिकता सामंती ताकतें हैं, यदि भारत को आगे बढ़ाना है तो इन्हें नष्ट करना होगा, लेकिन संसदीय लोकतंत्र उन्हें और भी जकड़े हुए है।...






