अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन लागू, कांग्रेस बोली 'लोकतंत्र की हत्या'
अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन लागू, कांग्रेस बोली 'लोकतंत्र की हत्या'
अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन लागू
कांग्रेस बोली 'लोकतंत्र की हत्या'
नई दिल्ली, 26 जनवरी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गणतंत्र दिवस के मौके पर पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश को मंजूरी दे दी और राज्य विधानसभा को भंग कर दिया।
गृह मंत्रालय से जारी बयान के अनुसार, "राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 356(1) के तहत अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए और विधानसभा को भंग कर दिया। यह आदेश 26 जनवरी से लागू हो गया।"
बयान में आगे कहा गया है, "अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल से मिली रिपोर्ट के आधार पर राज्य की संवैधानिक संकट पर स्वत:संज्ञान लेते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 जनवरी को बैठक कर राष्ट्रपति से यह आदेश जारी करने की सिफारिश की थी।"
कांग्रेस ने मामले पर सुनवाई कर रहे सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने का इंतजार न करने के लिए केंद्र सरकार को कोसा और उस पर सर्वोच्च न्यायालय का अपमान करने का आरोप भी लगाया।
प्रतिष्ठित समाचारपत्र देशबन्धु में प्रकाशित खबर के मुताबिक कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वाडक्कन ने कहा, "गणतंत्र दिवस के दिन संविधान और लोकतंत्र की हत्या कर दी गई। केंद्र सरकार देश के संघीय ढांचे को ध्वस्त करने की कोशिश कर रही है। मामला सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है और इस बीच जिस तेजी से केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस पर फैसला लिया और कार्यवाही की गई, उससे साफ पता चलता है कि वे देश की शीर्ष अदालत का जरा भी सम्मान नहीं करते।"
कांग्रेस ने सोमवार को राष्ट्रपति से मुलाकात कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू न करने का अनुरोध किया था। सोमवार को ही गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी राष्ट्रपति से मुलाकात कर राज्य की स्थिति पर चर्चा की थी।
अरुणाचल के राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा ने पिछले वर्ष नौ दिसंबर को विधानसभा सत्र बुलाए जाने की तारीख आगे बढ़ा दी थी।
कांग्रेस ने राज्यपाल के इस कदम की आलोचना की थी और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा था कि राज्यपाल को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों और दो निर्दलीय विधायकों के प्रस्ताव पर कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने 18 जनवरी को इस मुद्दे पर कहा था कि वह इसकी जांच करेगा कि राजखोवा द्वारा विधानसभा अध्यक्ष नबम रेबिया को हटाए जाने के लिए पेश प्रस्ताव पर चर्चा के लिए विधानसभा सत्र की तिथि बढ़ाकर 16 दिसंबर करना वैध था या नहीं।
गौरतलब है कि कांग्रेस के 14 असंतुष्ट विधायकों के समर्थन से भाजपा विधायकों ने इटानगर के एक सभागार में विधानसभा सत्र बुलाकर रेबिया को अपदस्थ कर दिया। इस विधानसभा सत्र की अध्यक्षता उपाध्यक्ष ने की।
इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के 14 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी। लेकिन उपाध्यक्ष ने विधानसभा के विशेष सत्र में रेबिया को हटाए जाने का प्रस्ताव पारित करने से पहले बर्खास्त कर दिए गए कांग्रेस के 14 बागी विधायकों की सदस्यता बहाल कर दी।
// < !
var vtn_content_type="vod";
var ven_video_key="NzM3NjQ3fHwxNzE2fHw2MjR8fDEsMiwx";
var ven_width="405″;
var ven_height="325″;
//


