गुलमोहर हाउसिंग कॉम्प्लेक्स

गुलमोहर, गुलाबख़ास, घुसने के साथ ही पाम

डेढ़ सौ परिवारों के लिए लगभग एक आवासन

जरा घुसते ही मारुती वैन, स्कूटर, साइकिल

नाम बताओ – मुसलमान, हिन्दू कितने जन?

तब ठीक-ठीक आठ बजे होंगे, नमाज खत्म हुई

घर लौट रहे हैं घर के लोग, टीवी में सीरियल

शंखध्वनि मिल गई है जंगले में गोधूलि के

पुलिस जीप खड़ी हुई गेट पर – खड़ा हुआ महाकाल.

गुलमोहर में पुलिस घुसी – हबीब और बीना

वे लोग उस समय एक दूसरे का सहारा थे

हबीब लिखता है, बीना पढ़ाती है कॉलेज में अंग्रेजी

अंडमान में उनकी शादी हुई, गोवा में हनीमून.

एक फ़्लैट में गाने की क्लास, ग़ज़ल सुनाई देती है

सुनते हैं ग़ालिब, सुनते हैं कबीर, सुनते हैं नानक, रवि

दस-बारह लड़के-लड़कियों का बढ़िया एक स्कूल

छोटे घर में पूरा भारत, एक पूरी तस्वीर.

एक फ़्लैट में वे रहते हैं, लिखते हैं उर्दू में

अभी वे खुद किताब हैं, एक खुला पन्ना

लाहौर और अहमदाबाद वैसे नहीं है दूर

दोनों शहर अब भी उनकी दो आँखों के पत्ते हैं

गुलमोहर हाउसिंग में घुसने को गेट खोला

घुसती है पुलिस, उतरती है पुलिस, गले तक उतरती है शराब

आकर रुकी एक लोरी, एक मेटाडोर

लपक कर उतरे कार-सेवक, हाथ में लोहे की रॉड.

पुलिस जीप खड़ी रही, उतरे तेल के टिन

लगाओ तीली, जय श्री राम, हिन्दू दे सलाई

लगाओ घर में, दरवाजा तोड़ो, डालो पेट्रोल

जली आग, छोटी आग, आग फ़ैलती गई.

जय श्री राम, जय श्री राम, उड़ेल रहे हैं पेट्रोल

पुलिस अब पुलिस नहीं रही, हिंदी गाने गाती है

इस हाथ से उस हाथ चलता है खैनी और चूना

ऐसे दिनों में खैनी जोकि खूब काम करती है

इस घर से उस घर - हबीब हाथ जोड़ता है

कहता है मारो, मुझे मारो, जलाओ, जल जाऊं

मत मारो उसे, मत मारो उसे, सब मेरा दोष है

इस जले हुए हाथ से बीना का हाथ थोड़ा छूता जाऊं

हाबिब जलता है बीना जोर से पकड लेती है उसे

हाबिब जलता है, बीना अल्लाह को पुकारती है

लेकिन उठ खड़ी होती है बीना, उड़ेलो तुम लोग तेल

जलाओ देखें जलने के बाद कौन कहाँ रहता है?

यह कौन सा देश है ? आग में जलता हुआ यह किसका है हाउसिंग ?

यह कौन सा देश है ताबीज पहने बड़ा न्यायाधीश

शिलाग्रहण कर आये आइएएस ऑफिसर

इसके बाद भी चाह रहे हैं पूजा, कोर्ट में अनुमति

क्या चाहते हैं वे लोग? कौन सा देश बनाना चाहते हैं वे लोग ?

इस देश में और मुद्दे नहीं थे ? कितने लोग खा पाते हैं

देख आइये, शिक्षा नहीं, गाँव-गाँव में

अभी भी लोग माथे पर मैला ढोते हैं.

इस गाँव नहीं है पीने का पानी, उस गाँव नहीं है भात

इस गाँव नहीं है स्कूल जाने लायक कोई लड़का

इस गाँव में सिर्फ कार सेवक, उस गाँव में बजरंग

हे राम, तुम गंगातीरे कौन सा देश रच गये.

सुबोध सरकार के कविता संग्रह "कल्लु" ( बांग्ला से हिंदी अनुवाद) से

अनुवादक - मुन्नी गुप्ता अनिल पुष्कर